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पौधों तक बढ़ी फेसबुक की सोशल नेटवर्किंग

१५ सितम्बर २०१०

पौधों में जीवन को खोजने वाले वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु कॉ भी इसका अहसास नहीं रहा होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब पौधे सोशल नेटवर्किंग करेंगे. लेकिन यह हकीकत है. एक पौधा फेसबुक से भोजन पानी ले रहा है और दोस्त भी बना रहा है.

सोशल हुए पौधेतस्वीर: AP

ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में यह कारनामा जीव विज्ञान के शोध छात्र बशकिम इसाइ ने कर दिखाया है. स्थानीय लाइब्रेरी में मीट ईटर नाम के तीन पौधों को इसाइ ने फेसबुक से जोड़ दिया. देखते ही देखते पिछले दो महीने में इन पौधों के 5,000 से भी ज्यादा दोस्त बन गए और वे सब मिलकर इनकी देखभाल भी करने लगे.

इनके भरण पोषण के लिए इसाइ ने खास तकनीकी इंतजाम किए. इसके लिए खाद और पानी की दो नलियां पौधों के गमलों से जोड़ दी गईं और नलियों को फेसबुक से जोड़ दिया गया. जब भी किसी को पौधे को पानी देना हो सिर्फ एक मैसेज भेजने की जरूरत है. मैसेज मिलते ही एक बीप की हल्की सी आवाज के साथ पानी या खाद अपने आप नली के जरिए गमले तक पंहुच जाएगा.

हालांकि पौधों से भावनात्मक लगाव का एक नुकसान भी हुआ. ऑनलाइन दोस्तों के ज्यादा प्यार की वजह से खाद पानी कुछ ज्यादा ही मिल जाने कारण दो पौधे मर गए. अब सिर्फ एक ही पौधा बचा है और ऐसी स्थिति से बचने के लिए एहतियात भी बरती जा रही है.

मीट ईटर के दोस्त भोजन पानी दिए जाने का नजारा भी ऑनलाइन देख सकते हैं. इसके लिए गमले पर एक कैमरा लगाया गया है. जिसके जरिए लाइव फुटेज देखे जा सकते है. इस सबके लिए शर्त सिर्फ मीट ईटर का दोस्त बनने की है.

रिपोर्टः एजेंसियां/निर्मल

संपादनः ए कुमार

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