पौलैंड और हंगरी के लिए यूरोपीय फंड में कटौती का रास्ता साफ
१६ फ़रवरी २०२२
इस फैसले के बाद पोलैंड और हंगरी को यूरोपीय संघ से मिलने वाले अरबों यूरो के फंड में कटौती का रास्ता साफ हो गया है. इन दोनों देशों ने यूरोपीय संघ के लोकतांत्रिक मानकों का उल्लंघन किया है. दोनों देशों ने तात्कालिक प्रतिक्रिया में नाखुशी जताई है और उम्मीद की जा रही है कि वो इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे. पोलैंड ने इसे "खतरनाक" और उसकी "संप्रभुता के लिए खतरा" बताया है. उधर हंगरी ने इसे "राजनीतिक फैसला" कह कर इसकी आलोचना की है.
कोरोना महामारी के उफान वाले दौर में हुए एक सम्मेलन में यूरोपीय संघ के देशों को उबारने के लिए 800 अरब यूरो का फंड जमा करने की योजना बनाई गई थी. 2020 में हुई इसी सम्मेलन में कंडिशनलिटी मेकनिज्म यानी शर्त के तंत्र को बनाया गया. इसके तहत अगर यूरोपीय संघ का कोई देश लोकतंत्र के मानकों का उल्लंघन करता है तो संघ के पास उसे मिलने वाले फंड में कटौती करने का अधिकार होगा.
ईसीजे के मुकदमे में 10 सदस्य देशों ने शर्त तंत्र का समर्थन किया. इसमें फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड्स, आयरलैंड और स्वीडन शामिल हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे संगठनों ने भी आयोग से इस तंत्र को जल्दी से पोलैंड और हंगरी के खिलाफ इस्तेमाल करने की मांग की थी.
अदालत का फैसला
यूरोपीय आयोग ने पोलैंड और हंगरी को पिछले साल नवंबर में ही औपचारिक पत्र लिख कर लोकतंत्र के मानकों में हो रही कमी पर नोटिस दिया था. पोलैंड के मामले में आयोग ने न्यायिक सुधारों की आलोचना की थी. आयोग का मानना है कि ये सुधार जजों की स्वतंत्रता घटाने के साथ ही पोलैंड के कानून के ऊपर यूरोपीय संघ के कानून को वरीयता से भी इनकार करते हैं. हंगरी के लिए यह मामला सार्वजनिक खरीद, हितों के टकराव और भ्रष्टाचार से जुड़ा है.
यूरोपीय कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी ईसीजे ने अपने फैसले में कहा है कि सभी सदस्य देशों ने संघ के, "समान मूल्यों...जैसे कि कानून का शासन और एकजुटता" के दस्तावेज पर दस्तखत किए हैं और यूरोपीय संघ को "उन मूल्यों की रक्षा करने में सक्षम" होना चाहिए.
ईसीजे ने पोलैंड और हंगरी की इस दलील को खारिज कर दिया कि यूरोपीय संघ के समझौते के तहत मिले उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. इन देशों का कहना है कि कानून के शासन की शर्त वाला तंत्र महज एक साल पहले ही लागू हुआ है. इसकी बजाय ईसीजी ने कहा है कि यूरोपीय संघ का बजट, यूरोपीय संघ की एजुटता को "व्यावहारिक असर देने का एक प्रमुख औजार है." 2021-2027 के लिए यूरोपीय संघ ने 2 लाख करोड़ यूरो का बजट तय किया है.
फैसले पर प्रतिक्रिया
यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फॉन डेय लाएन ने ईसीजे के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि इससे पुष्टि हो गई है, "हम सही रास्ते पर हैं. इन फैसलों को देखते हुए हम आने वाले हफ्तों में ऐसे दिशानिर्देशों को लागू करेंगे जिनसे यह स्पष्ट होगा कि इस तंत्र का हम किस तरह से उपयोग करेंगे."
यूरोपीय आयोग पर यूरोपीय संसद ने हंगरी और पोलैंड के खिलाफ शर्त वाले तंत्र का इस्तेमाल करने के लिए दबाव बनाया है. हंगरी और पोलैंड इसका सख्त विरोध कर रहे हैं.
ईसीजे के फैसले के बाद पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेउत्स मोरविकी ने तंत्र के समर्थन वाले फैसले को "बेहद चिंताजनक और खतरनाक कहा." पोलैंड के न्याय मंत्री का तो यह कहना है कि यह यूरोपीय संघ की संस्थाओं को "संप्रभुता सीमित" करने के लिए "गैरकानूनी उल्लंघनों" के रास्ते खोल देगा.
उधर हंगरी के न्याय मंत्री जुडित वार्गा ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "यह फैसला इस बात का जीता जागता सबूत है कि ब्रसेल्स अपनी "ताकत का दुरुपयोग" कर रहा है. उन्होने इस फैसले को "राजनीति से प्रेरित" भी कहा है.
फ्रांस ने इस फैसले को "अच्छी खबर" बताया है. जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने ट्वीट किया है कि इस फैसले ने "यूरोपीय संघ के लिए हमारे मूल्यों के समुदाय की रक्षा करने और उसे मजबूत बनाने के लिए एक और अहम औजार की पुष्टि कर दी है."
एनआर/एके(एएफपी)