1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

प्यासा कॉफी तक नहीं, कॉफी प्यासे तक चल कर आएगी

१० जून २०११

सोचिए कैसा हो अगर आपको उठ कर कॉफी मशीन तक ना जाना पड़े, बल्कि मशीन खुद ही समझ जाए कि आपका कप खाली हो गया है और उसे भरने आपके पास आ जाए. जर्मनी में कुछ स्टूडेंट्स ने ऐसी एक मशीन तैयार की है.

Zwei Frauen sitzen im Café und trinken gemeinsam Kaffee, Mai 2009
तस्वीर: Fotolia/konradbak

यह मशीन कॉफी बनाएगी तो नहीं, लेकिन आप तक पहुंचाएगी जरूर. जर्मनी के एस्सेन शहर में तीन स्कूली छात्रों ने ऐसी एक मशीन तैयार की है. इन छात्रों ने यह मशीन बनाकर क्षेत्रीय स्तर पर हुई युवा शोध प्रतियोगिता को जीत लिया. इसके अलावा इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी इंजीनीयरिंग के लिए एक खास पुरस्कार दिया गया है. लीनो थोमास, लुकास बोरमन और नीना राइनहार्ट - इन तीनों ने स्कूल के फिजिक्स के प्रोजेक्ट के लिए इस मशीन को बनाया.

कॉफी मशीन के साथ लीनो थोमासतस्वीर: DW

कैसे बनाई मशीन

मशीन कुछ इस तरह की है - एक कैमरे को लकड़ी की पट्टियों से जोड़ा गया है. सारा काम इस कैमरे का ही है. कैमरा पहले कप को ढूंढता है और फिर समझता है कि वह कितना दूर है. लीनो थोमास ने डोएचे वेले को बताया, "हमें पहले एक मेज तय करनी होगी और फिर उस पर कप रखना होगा. मशीन में लगा कैमरा कप को पहचान लेता है और फिर यह तय करता है कि मशीन की नली का ऐंगल क्या होना चाहिए ताकि कॉफी सीधे कप में ही गिरे."

लीनो थोमास और लुकास बोरमनतस्वीर: DW

अन्य स्कूली बच्चों की तरह यह बच्चे भी खुराफाती ढंग का कुछ बनाने की सोच रहे थे. दरअसल वे एक शूटिंग मशीन बनना चाहते थे, लेकिन बना ली कॉफी मशीन. लीनो बताते हैं कि उन्हें यह अनोखा विचार आया कहां से, "हमने पहले गेंद या ऐसी किसी चीज के बारे में सोचा था, लेकिन फिर हमें एहसास हुआ कि हमारे टीचर को कॉफी का बहुत चस्का है. हमने सोचा शूटिंग भी हो जाएगी और कॉफी भी पी जाएगी."

नहीं हो पाएगा इस्तेमाल

लेकिन इस मशीन को रेस्त्रां में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि इसमें कई तरह की खामियां हैं. नीना राइनहार्ट बताती हैं, "फिलहाल हर कप का आकार एक जैसा ही होना चाहिए. उनका रंग मेज के रंग से अलग होना चाहिए, नहीं तो मशीन मेज और कप में फर्क नहीं समझ पाएगी." हैमबर्ग में एक कॉफी शॉप चलाने वाले आन्द्रेयास वेसेल एलेरमन को भी लगता है कि यह मशीन सम्पूर्ण नहीं है, "मुझे नहीं लगता कि इस मशीन का रेस्त्रां में उपयोग किया जा सकता है क्योंकि वहां एक मेज पर एक से अधिक लोग होते हैं. मशीन समझ ही नहीं पाएगी कि उसे किस कप पर ध्यान देना है. और जब मशीन गलती करेगी तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? जरा सोचिए, मशीन कॉफी शूट कर रही हो और कॉफी किसी व्यक्ति पर गिर जाए."

कॉफी मशीनतस्वीर: DW

पर नीना राइनहार्ट के पास मशीन के उपयोग का एक बेहतर विचार है. नीना कहती हैं कि इस मशीन को अग्निशामक यंत्र में बदला जा सकता है. कैमरे में ऐसे सेंसर लगाने होंगे जो आग को पहचान लें. उसके बाद कैमरा सही ऐंगल का पता लगा कर वहां पानी बरसा सकता है.

रिपोर्ट: एलिजाबेथ शू/ईशा भाटिया

संपादन: उभ

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें