प्रकाश झा ने राजनीति से तौबा की
१४ जून २०११समकालीन राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर संवेदनशील फिल्में बनाने वाले झा ने राजनीति में काफी हाथ पांव मारे हैं. उन्होंने 2004 में अपने गृह क्षेत्र चंपारन से लोकसभा चुनाव लड़ा. फिर वह 2009 लोक जनशक्ति पार्टी की टिकट पर 2009 में पश्चिम चंपारन सीट से मैदान में उतरे. लेकिन दोनों ही बार वह लोकसभा में पहुंचने में नाकाम रहे.
अब प्रकाश झा का कहना है कि वह आगे चुनाव नहीं लड़ेंगे. जब उनसे पत्रकारों ने पूछा कि क्या 2014 में उनका चुनाव लड़ने का इरादा है, तो उन्होंने कहा, "मैं चुनावी राजनीति में अपनी पारी खेल चुका हूं. मुझे अहसास हो गया है कि यह मेरे लिए नहीं है. भविष्य में मैं किसी चुनाव में हिस्सा नहीं लूंगा. मैं फिल्में बनाकर ही खुश हूं."
प्रकाश झा आजकल अपनी नई फिल्म आरक्षण के प्रचार में लगे हैं. आरक्षण में अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में हैं और यह फिल्म जाति के आधार पर आरक्षण को लेकर हो रही राजनीति पर आधारित है. फिल्म में दीपिका पादुकोण और सैफ अली खान भी अहम भूमिकाओं में हैं.
आरक्षण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भारत में बात तक करना मुश्किल है. एक जाति की बात कहते ही दूसरी जाति के लोग सड़कों पर उतर आते हैं. ऐसे में प्रकाश झा अपनी फिल्म में किसका साथ देंगे? वह कहते हैं कि फिल्म बहुत संतुलित है और किसी का पक्ष नहीं लेती.
झा का कहना है कि वह इस फिल्म के जरिए देश में आरक्षण की वजहें और प्रभावों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. वह कहते हैं, "इस फिल्म में मैं सिर्फ आरक्षण की बात नहीं कर रहा हूं. यह शिक्षा के व्यवसायीकरण की भी बात करती है जो आरक्षण से ही जुड़ा पहलू है. मुझे इस सारे मुद्दे के सामाजिक असर को समझने और उसे कहानी में कहने के लिए चार साल का वक्त लगा."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम