रूस से मिसाइल खरीदने से नाराज अमेरिका ने तुर्की पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है. जिसका तुर्की ने कड़ा जवाब दिया है.
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तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने तुर्की के समाचार चैनल हैबार से कहा, "अमेरिका की ओर से अगर प्रतिबंध लगाने की धमकियां दी जाएंगी तो हमको भी इसका जवाब देना पड़ेगा. जरूरत पड़ी तो हम अमेरिका के लिए इनसरलैक और क्यूरेसिक एयरबेस बंद कर देंगे."
तुर्की के रूस से एस- 400 डिफेंस मिसाइल खरीदने के बाद यह विवाद शुरु हुआ. इसके बाद अमेरिकी सांसद तुर्की पर प्रतिबंध लगाने के लिए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर दबाव बना रहे हैं. इस डील को नाटो और एफ- 35 फाइटर जेट के साथ असंगत बताया गया. रूस और तुर्की की डील अमेरिकी कानून के भी खिलाफ बताई जा रही है. अमेरिका ने एफ- 35 फाइटर जेट के प्रोग्राम से तुर्की को हटा दिया है.
अमेरिका के लिए तुर्की के हवाई अड्डे क्यों जरूरी
तुर्की जिन हवाईअड्डों को अमेरिका के लिए बंद करने की बात कह रहा है, वो अमेरिकी सेना के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं. दक्षिण तुर्की में बने इनसरलैक एयरबेस से ही अमेरिकी सेना ने मिडिल ईस्ट और अफगानिस्तान में कई ऑपरेशन किये हैं. सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट पर कार्रवाई के लिए भी इसी एयरबेस का इस्तेमाल किया गया था. अमेरिकी सेना के 50 बी 61 न्यूक्लियर बम भी यहीं पर खड़े हैं.
पूर्वी तुर्की के क्यूरेसिक एयरबेस पर नाटो का रडार स्टेशन है. जिसे अमेरिका के लिए बंद करने की बात तुर्की कर रहा है. एर्दोवान से पहले तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने भी अमेरिका की धमकी के बाद अपने दो एयरबेस बंद करने का मुद्दा उठाया था.
दरअसल नाटो के दो सदस्यों देशों के बीच खटास तब पैदा हुई जब तुर्की ने उन कुर्द लड़ाकों पर कार्रवाई करनी शुरु कर दी जिन्होंने उत्तर पूर्वी सीरिया में आईएस के आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में अमेरिका की मदद की थी. अमेरिका ने जब अपनी सेना को इस क्षेत्र से वापस बुला लिया तब तुर्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ सीरिया में पेट्रोलिंग करने की डील पर हस्ताक्षर कर दिये.
तुर्की सीरिया के कुर्द लड़ाकों को वाईपीजी का सहयोगी मानता है. वाईपीजी को तुर्की में एक आतंकवादी संगठन के रूप में प्रतिबंधित किया गया है. यह संगठन तुर्की में 35 सालों से अलगाववादी आंदोलन चला रहा है.
एर्दोवान ने अमेरिकी संसद के उस प्रस्ताव पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है जिसमें तुर्की में पहले विश्व युद्ध के दौरान अर्मेनिया के लोगों की मौत को जनसंहार नाम दिया है. फिलहाल ट्रंप ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
हर साल कुछ लोग या अभियान ऐसे होते हैं, जो दुनिया को एक नए दौर में ले जाते हैं. कुछ आशा बनते हैं और कुछ निराशा. अमेरिका की मशहूर टाइम मैगजीन साल के अंत में ऐसे ही अहम चेहरे चुनती हैं. एक नजर बीते 10 साल के अहम चेहरों पर.
तस्वीर: Reuters/Time
2019: ग्रेटा थुनबर्ग
स्वीडन की 16 साल की ग्रेटा थुनबर्ग पर्यावरण और जलवायु संकट का अहम चेहरा बन चुकी हैं. 2018 में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लोगों में जागरुकता पैदा करने के लिए ग्रेटा ने स्वीडन की संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन के लिए हर शुक्रवार अपना स्कूल छोड़ा था जिसे देखकर कई देशों में #FridaysForFuture के साथ एक मुहिम शुरू हो गई.
तस्वीर: Reuters/Time
2018: जमाल खशोगी
इस साल टाइम मैगजीन ने उम पत्रकारों को सम्मानित किया जो अपने देश में सरकार या मजबूत ताकतों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. वॉशिंगटन पोस्ट के सऊदी स्तंभकार जमाल खशोगी को भी पत्रिका ने श्रद्धांजलि दी. साथ ही में कई अन्य देशों के पत्रकारों को भी टाइम ने इस सम्मान के लिए चुना.
तस्वीर: Reuters/Time Magazine
2017: साइलेंस ब्रेकर
वो लोग जिन्होंने यौन शोषण, उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाई, जो मीटू आंदोलन में मुखर रहे, उन्हें इस साल टाइम के कवर पर जगह मिली. इनमें एक्टर एश्ले जूड, सिंगर टेलर स्विफ्ट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुजन फाउलर भी शामिल थे.
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2016: डॉनल्ड ट्रंप
हिलेरी क्लिंटन को हराकर, डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति पद इसी साल संभाला. ट्रंप "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" के नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरे थे. सक्रिय राजनीति के अनुभव के बिना एक कारोबारी का इस तरह जीतना एक नई बात थी.
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2015: अंगेला मैर्केल
2005 से जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, ग्रीस के आर्थिक संकट और यूरोप में प्रवासियों के संकट पर प्रभावशाली नेता बनकर दुनिया के सामने उभरीं. वह यूरोप की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक हस्ती भी हैं.
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2014: इबोला फाइटर्स
ये शब्द उन स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिये प्रयोग किया गया जिन्होंने इबोला वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. इसमें सिर्फ डॉक्टर, नर्स ही शामिल नहीं हैं, बल्कि एंबुलेंस कर्मचारी, मृत लोगों को दफनाने वाले कर्मचारी तक शामिल हैं.
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2013: पोप फ्रांसिस
इस साल पोप बेनेडिक्ट के इस्तीफे के बाद पोप फ्रांसिस को रोमन कैथोलिक चर्च के पोप चुने गए. यह पहला मौका था जब वेटिकन में बतौर पोप, दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के व्यक्ति की नियुक्ति हुई.
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2012: बराक ओबामा
मिट रॉमनी को हराकर बराक ओबामा दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए.
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2011: आंदोलनकारी
अरब क्रांति, टी पार्टी आंदोलन, जैसे आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों को इस साल टाइम मैगजीन ने अपना कवर पेज पर उतारा.
2010: मार्क जकरबर्ग
फेसबुक के सह संस्थापक मार्क जुकरबर्ग टाइम मैगजीन के कवर पेज पर रहे. मार्क ने फेसबुक की शुरुआत 2004 में की और आज दुनियाभर में इसके 241 करोड़ एक्टिव यूजर हैं.