ईरान के कई शहरों में चार दिन से जारी प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति हसन रोहानी ने माना है कि बढ़ती महंगाई को लेकर लोगों में हताशा है. सैकड़ों लोग गिरफ्तार किए गए हैं जबकि सोशल मीडिया और मैसेजिंग एप ब्लॉक कर दिए गए हैं.
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ईरानी राष्ट्रपति रोहानी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा कि ईरानी लोगों को प्रदर्शन करने का हक है लेकिन प्रदर्शन हिंसक नहीं होने चाहिए. ये सत्ता विरोधी प्रदर्शन कई जगह हिंसक हो गए हैं. सोशल मीडिया पर पोस्ट एक वीडियो में दिखा है कि पश्चिमी ईरान के दोरुद में गोली लगने से दो प्रदर्शनकारी घायल हो गए और कथित रूप से दोनों की मौत हो जाने की खबर है. देश में अन्य जगहों पर फिल्माए गए वीडियो में दिख रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी है और सरकारी इमारतों पर हमलों की भी खबरें हैं.
रोहानी ने कहा, "हम एक आजाद देश हैं इसलिए लोगों को अपनी बात कहने का हक है. " रविवार को कैबिनेट की बैठक के बाद उन्होंने कहा, सरकार को अपनी "वैध आलोचना और प्रदर्शनों के लिए जगह देनी चाहिए", लेकिन "आलोचना करने और हिंसा कर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने में फर्क होता है".
साल 2009 में सुधार समर्थक व्यापक रैलियों के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा प्रदर्शन है. प्रदर्शनकारियों ने 'अवैध रूप से एकत्रित नहीं होने की' ईरान के आतंरिक मंत्री की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया. इस सिलसिले में अधिकांश जानकारियां सोशल मीडिया पर सामने आ रही हैं जिनकी पुष्टि करना मुश्किल हो रहा है.
क्यों सड़कों पर उतर आए ईरान के लोग?
ईरान में कई साल बाद इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं. अलग अलग शहरों में सड़कों पर उतरे ये हजारों लोग आखिर कौन हैं और क्या चाहते हैं, चलिए जानते हैं.
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कब हुई शुरुआत?
ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत 28 दिसंबर को मशाद शहर से हुई, जब बढ़ती महंगाई के खिलाफ सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए. अगले दो दिनों के भीतर ये प्रदर्शन राजधानी तेहरान समेत कई और शहरों तक पहुंचे गए.
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प्रदर्शनों का कारण?
कुछ प्रदर्शनकारी बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असामनात के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं. वहीं बहुत से लोग सरकार की नीतियों से खफा हैं. प्रदर्शनों के दौरान, "रोहानी मुर्दाबाद", "फलस्तीन को भूल जाओ", और "गजा नहीं, लेबनान नहीं, मेरी जिंदगी ईरान के लिए है" जैसे नारे लग रहे हैं.
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प्रतिबंधों की मार?
कुछ लोग आम जनता पर पड़ रहे आर्थिक बोझ की वजह ईरान की विदेश नीति को बता रहे हैं जो कई क्षेत्रीय संकटों में उलझा है, तो कइयों की राय में, ईरान पर लगे प्रतिबंधों का असर अब जनता की जेब पर होने लगा है. कुल मिलाकर लोग सरकार से नाराज हैं.
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सरकार समर्थक भी सड़कों पर
ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी और सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई का समर्थन करने वाले कट्टरपंथियों ने भी सड़क पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद की. हालांकि सरकार समर्थक इन प्रदर्शनाकरियों की संख्या सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों से काफी कम दिखी.
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कितने शहरों में प्रदर्शन?
अब तक एक दर्जन से ज्यादा शहरों से प्रदर्शनों होने की खबर है, जिनमें जनजान, केरमानशाह, खोरामाबाद, अबार, अराक, दोरुद, इजेह, तोनेकाबोन, तेहरान, करज, मशाद, शहरेकोर्द और बांदेर अब्बास शामिल हैं.
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क्या कहती है सरकार?
राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा है कि लोगों में बढ़ रही हताशा को वह समझते हैं और जनता को प्रदर्शन करने का हक है. लेकिन उन्होंने कहा कि हिंसा और तोड़फोड़ को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
ईरानी सरकार का कहना है कि इन प्रदर्शनों को फैलाने के लिए सोशल मीडिया और खासकर टेलीग्राम का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद सरकार ने कई मैसेजिंग एप्स पर रोक लगा दी है. सरकार ने टेलीग्राम से हिंसा भड़काने वाले अकाउंट्स को बंद करने के लिए कहा है.
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कितने हताहत?
ईरान में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 21 लोगों के मारे जाने की खबर है. इसके अलावा सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है. प्रदर्शनों के कारण ईरान की सरकार को तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है.
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क्या बोला विश्व समुदाय?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ्तार ना करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा, "दमनकारी व्यवस्था हमेशा नहीं रह सकती. दुनिया देख रही है." जर्मनी और फ्रांस ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई है.
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उत्तरी ईरान के अबहार में प्रदर्शनकारियों ने ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की तस्वीर वाले एक बड़े बैनर को आग के हवाले कर दिया. इस बीच, मध्य ईरान के अराक शहर में सरकार समर्थित बासिज मिलिशिया के स्थानीय कार्यालयों में भी कथित रूप से प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी.
खबरें हैं कि राजधानी तेहरान में आजादी चौक पर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए. तेहरान में रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि शहर में स्थिति नियंत्रण में है. समाचार एजेंसी आईएसएनए को ब्रिगेडियर जनरल इस्माइल कोवसारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी अगर प्रदर्शन जारी रखते हैं तो उन्हें 'राष्ट्र के लौह हाथ' का सामना करना पड़ेगा.
एक वीडियो में दिखाया गया है कि उत्तर-पूर्व के मशहद में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस से भिडंत के बाद उनकी मोटर साइकिलें जला दीं. लोगों के मोबाइल फोन पर इंटरनेट उपलब्ध नहीं होने की भी खबरें हैं. पश्चिमी ईरान के कर्मनशाह में माकन नाम के एक प्रदर्शनमकारी ने बीबीसी पर्शियन को बताया कि विरोध कर रहे लोगों को पीटा गया, ''लेकिन हम यह नहीं बता सकते कि यह पुलिस थी या बासिज मिलिशिया.''
उन्होंने कहा, "मैं राष्ट्रपति रोहानी के खिलाफ प्रदर्शन नहीं कर रहा हूं.. हां, उन्हें अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की जरूरत है, लेकिन यह ऐसी व्यवस्था है जो सड़ चुकी है. इस्लामिक गणराज्य और इसकी संस्थाओं को सुधारने की जरूरत है."
इससे पहले तेहरान यूनिवर्सिटी में हुए प्रदर्शन में अयातुल्ला खमेनेई को पद से हटाने की मांग की गई. प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई. शनिवार को समूचे देश में सरकार के समर्थन में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. 2009 में हुए प्रदर्शनों को दबाए जाने के आठ साल पूरे होने के मौके पर पहले से ही इनके आयोजन की योजना बनाई गई थी.
शनिवार को सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शन, सरकार के समर्थन में हुए प्रदर्शनों से छोटे थे लेकिन इनका महत्व इसलिए अधिक माना गया कि ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शन कोई रोजमर्रा की बात नहीं हैं. खास बात यह भी है कि प्रदर्शनों की वजह केवल खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ना या बेरोजगारी ही नहीं है, बल्कि प्रदर्शनकारी धर्मगुरुओं की सत्ता के खात्मे के लिए भी आवाज उठा रहे हैं. ईरानी अधिकारियों ने सत्ता विरोधी प्रदर्शनों के लिए 'क्रांतिकारी विरोधी और विदेशी शक्तियों के एजेंटों' को जिम्मेदार ठहराया है।
--आईएएनएस
ईरान के स्टंटबाज
ईरान की गिनती ड्राइविंग के लिहाज से सबसे खतरनाक देशों में होती है. तस्वीरों से इसका पता भी चल जाता है.
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ईरान के युवाओं में एक्रोबैट स्ट्रीट शो काफी लोकप्रिय है. इसमें हिस्सा लेने वाले युवा आए दिन मोटरसाइकिल पर खतरनाक स्टंट करते हैं.
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मोटरसाइकिल पर स्टंट करना गैरकानूनी है, लेकिन इसके बावजूद युवा गुचगुप इसका आयोजन करते हैं और स्टंट दिखाते हैं.
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इंटरनेट और मोबाइल के जरिये ऐसे आयोजनों की जानकारी चुनिंदा युवाओं को मिलती है. फिर वे तयशुदा जगह पर मिलते हैं
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स्टंट मारने वाले हाइवे पर भी ऐसा करने से बाज नहीं आते. हाइवे पर हर साल इसके चलते हादसे भी होते हैं.
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ईरान में 80 लाख से ज्यादा मोटरसाइकिलें रजिस्टर्ड हैं. हर दिन 1,500 नई मोटरसाइकिलें खरीदी जाती हैं.
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ईरान में सड़क हादसों का सबसे ज्यादा शिकार भी मोटरसाइकिल सवार ही होते हैं.
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बीते कुछ साल में देश में मोटरसाइकिल हादसों को कम करने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं.
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डोमिनिक रिपब्लिक, थाइलैंड, वेनेजुएला के बाद ईरान को ड्राइविंग के लिहाज से सबसे खतरनाक देश करार दिया गया है. आगे देखिये और कुछ जोखिम भरे स्टंट.