प्रदर्शनों में घिरा हांगकांग अब मंदी की चपेट में भी आया
१५ नवम्बर २०१९
पांच दिन से हांगकांग थमा हुआ है और विरोध प्रदर्शनों की आंच लंदन तक जा पहुंची है. प्रदर्शनकारियों और सरकार समर्थकों की झड़प की चपेट में आए एक बुजुर्ग शख्स की मौत हो गई है.
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चीन के शासन वाले हांगकांग में हिंसा बढ़ती जा रही है. यहां इसी महीने प्रदर्शनों के दौरान पार्किंग की जगह से गिर कर एक छात्र की मौत भी हो गई थी. इस बीच प्रदर्शनों के दौरान एक "मास्क पहने दंगाई" की फेंकी ईंट से जख्मी 70 साल के एक बुजुर्ग की गुरुवार को मौत हो गई. सोशल मीडिया में इस घटना का वीडियो भी सामने आया था. हांगकांग के फूड एंड इवायरनमेंटल हाइजीन डिपार्टमेंट ने अपने कर्मचारी की मौत पर दुख जताया है और परिवार को मदद देने की बात कही है.
प्रदर्शनों ने शहर के कई हिस्सों में कामकाज पूरी तरह से ठप्प कर दिया है, खासतौर से पर्यटन और खुदरा व्यापार पर भारी असर पड़ा है. जैसी कि आशंका थी हांगकांग की सरकार ने को इस बात की पुष्टि कर दी है कि बीते एक दशक में पहली बार यहां मंदी आई है. हांगकांग प्रशासन ने शुक्रवार को जारी आर्थिक आंकड़ों में बताया कि साल की तीसरी तिमाही में जीडीपी 3.2 फीसदी सिमट गई है. इसके साथ ही कहा गया है कि शहर की अर्थव्यवस्था अब मंदी की चपेट में है.
सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग के कई हिस्सों को पांच दिनों से बंद कर रखा है. स्कूलों को बंद होने पर मजबूर किया गया है और कुछ हाइवे पर भी गाड़ियां नहीं चल पा रही हैं. छात्रों ने यूनिवर्सिटी परिसर का रास्ता भी बैरिकेड लगा कर बंद कर दिया है. इस बीच अधिकारी हिंसा को रोकने के लिए उपाय करने में जुटे हैं.
प्रदर्शनकारियों ने बैरियरों और दूसरे कबाड़ी सामानों की मदद से क्रॉस हार्बर टनेल को बंद कर दिया है जो हांगकांग द्वीप को कोवलून जिले से जोड़ता है. इसकी वजह से भारी ट्रैफिक जाम हो गया है. सरकार ने एक बार फिर कंपनियों से आग्रह किया है कि वह कर्मचारियों के लिए काम के लचीले तौर तरीकों का इंतजाम करे ताकि इस समस्या से निपटा जा सके.
हांगकांग में प्रदर्शनों का सिलसिला इस साल जून से चल रहा है जब यहां की सरकार ने एक प्रत्यर्पण बिल पेश किया. इस कानून के लागू हो जाने के पर हांगकांग से अपराधियों को चीन में मुकदमा चलाने के लिए भेजा जा सकता था. भारी विरोध के बाद यह बिल तो रद्द कर दिया गया लेकिन इसके साथ शुरू हुए प्रदर्शन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. अब यहां ज्यादा लोकतांत्रिक प्रशासन की मांग हो रही है.
इस बीच हांगकांग के नेता कैरी लाम की मुख्य कानूनी सलाहकार टेरेसा चेंग पर लंदन में लोगों की एक गुस्साई भीड़ ने धक्कामुक्की की जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने "हत्यारा" और "शर्मनाक" जैसे नारे भी लगाए. हांगकांग सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि चेंग को "गंभीर शारीरिक चोट" आई है हालांकि इस बारे में और ब्यौरा नहीं दिया गया है.
ब्रिटेन में चीन के दूतावास की तरफ से कहा गया है कि चेंग को धक्का दे कर जमीन पर गिरा दिया गया और उनके हाथ में चोट आई है. चीनी दूतावास ने कहा है, "(चेंग को) दर्जनों चीन विरोधी और आजादी समर्थकों ने घेर लिया और उन पर हमला किया." दूतावास के मुताबिक इस घटना ने दिखा दिया है कि "हिंसक और गैरकानूनी दोषी" अब अपनी हिंसा को देश के बाहर ले जा रहे हैं. चीन ने इस घटना की ब्रिटेन में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है और आग्रह किया है कि दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए. हांगकांग की नेता कैरी लाम ने भी इस हमले की कठोर निंदा की है. चेंग हांगकांग की नेता कैरी लाम की मुख्य कानूनी सलाहकार हैं और उन्होंने प्रस्तावित बिल को आगे बढ़ने में बड़ी भूमिका निभाई थी.
महीनों से चले आ रहे विरोध प्रदर्शनों ने हांगकांग को बीते कई दशकों के सबसे बड़े राजनीतिक संकट में डाल दिया है. 2012 से चीन की सत्ता पर काबिज राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने भी यह एक बड़ी चुनौती बन गई है. ब्राजील की यात्रा पर गए चीनी राष्ट्रपति ने गुरुवार को कहा कि हिंसा को रोकना हांगकांग के लिए इस वक्त सबसे जरूरी काम है.
हांगकांग के कई इलाकों में छात्रों और युवाओं का प्रदर्शन चल रहा है. हांगकांग के प्रमुख आर्थिक केंद्र में और पूर्वी जिले ताई कू में शुक्रवार को दोपहर के खाने के वक्त कई ऑफिस कर्मचारियों ने मास्क पहन कर "हांगकांग की आजादी" के लिए नारे लगाए. प्रदर्शन में शामिल 31 साल की निकोल ने कहा, "बीते कुछ महीनों में जो हुआ है उससे लोगों का दिल टूट गया है. सरकार केवल दंगाइयों की निंदा करने के लिए सामने आ रही है... वो यह नहीं सोच रहे हैं कि हमारे शहर में अचानक इतने सारे दंगाई कहां से आ गए और क्यों यहां के आम लोग उनकी मदद कर रहे हैं."
हांगकांग की कई यूनिवर्सियों में हजारों की संख्या में छात्र डेरा डाले बैठे हैं, उनके पास भारी मात्रा में खाना, ईंट पत्थर, पेट्रोल बम, गुलेल और दूसरे घर में बने हथियारों का ढेर है.
पुलिस का कहना है कि यहां की प्रतिष्ठित चायनीज यूनिवर्सिटी इन दिनों, "पेट्रोल बम बनाने का अड्डा" बन गई है और छात्रों की हरकतें "आतंकवाद के करीब पहुंचने की दिशा में एक और कदम" बन गया है. जून में हिंसा शुरू होने के बाद से 12 से 83 साल की उम्र के करीब 4000 लोगों को अब तक हिरासत में लिया गया है. विरोध प्रदर्शनों और संकट का फिलहाल कोई हल दिखता नजर नहीं आ रहा है. हांगकांग में बहुत से लोग नाराज हैं क्योंकि उन्हें लग रहा है कि उनकी आजादी पर रोक लगाई जा रही है. 1997 में ब्रिटेन ने जब हांगकांग को चीन के हवाले किया तब से यहां "एक देश दो व्यवस्था" के फॉर्मूले पर प्रशासन चल रहा है. चीन हांगकांग के मामले में दखल के आरोपों से इनकार करता है और उसने यहां की समस्याओं के लिए ब्रिटेन और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को जिम्मेदार ठहराया है.
गुरुवार को अमेरिकी संसद की एक सलाहकार समिति ने संसद से आग्रह किया कि अगर चीन वहां प्रदर्शन को रोकने के लिए बल प्रयोग करता है तो वह हांगकांग को मिला विशेष दर्जा खत्म करने के लिए कानून बनाए.
हांगकांग के प्रशासन ने इसका यह कह कर विरोध किया है कि शहर के आंतरिक मामलों में विदेशी सरकारों को दखल देने की जरूरत नहीं है.
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)
हांगकांग में चल रहे प्रदर्शनों की वजह क्या है
हांगकांग में चल रहे विरोध प्रदर्शन दुनियाभर की मीडिया में छाए हुए हैं. हांगकांग में प्रदर्शनकारी चीन से अधिक स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. हांगकांग में हो रहे प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि क्या है.
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अंग्रेजों का हांगकांग में आना
हांगकांग पहले एक किसानों और मछुआरों का द्वीप हुआ करता था. यहां पर चीन के क्विंग साम्राज्य का राज चलता था. 1841 में पहली बार ब्रिटिश सेनाओं और क्विंग साम्राज्य के बीच ओपिअम का प्रथम युद्ध हुआ. इसमें ब्रिटिश सेनाओं की जीत हुई और पहली बार हांगकांग के कुछ हिस्से पर ब्रिटेन का शासन शुरू हुआ.
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हांगकांग पर ब्रिटिश शासन
इसके बाद क्विंग साम्राज्य कमजोर होता गया. ब्रिटिश और मजबूत होते गए. क्विंग और ब्रिटिशों के बाद युद्ध और संधियां चलती रहीं. ब्रिटेन ने हांगकांग के अलग-अलग हिस्से जीत लिए. 1898 में हुई एक संधि के बाद वर्तमान हांगकांग को ब्रिटेन को 99 साल के लिए लीज पर दे दिया गया. हांगकांग पूरी तरह ब्रिटेन के अधिकार में आ गया.
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हांगकांग की विकास यात्रा
ब्रिटेन का राज शुरू होने के बाद हांगकांग में विकास के काम भी होने लगे. 1911 में हांगकांग यूनिवर्सिटी, 1924 में एयरपोर्ट बनने के बाद हांगकांग ने तेजी से विकास किया. हांगकांग जल्दी ही दुनिया की तेजी से विकसित हो रही जगहों में शामिल हो गया. 1949 में चीन में नई व्यवस्था लागू हो गई लेकिन हांगकांग पर ब्रिटिश शासन चलता रहा. हांगकांग में ब्रिटेन एक गवर्नर नियुक्त कर शासन चलाता था.
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चीन के हवाले हांगकांग
ब्रिटेन ने हांगकांग को 99 साल की लीज पर लिया था. ये लीज 1997 में खत्म होने वाली थी. ऐसे में 1979 में पहली बार हांगकांग के गवर्नर मूरे मैकलेहोसे ने 1997 के बाद इसके भविष्य के बारे में सवाल उठाया. 1984 में ब्रिटेन और चीन के बीच समझौता हुआ कि 1 जुलाई 1997 को ब्रिटेन हांगकांग को चीन के अधिकार में सौंप देगा. लेकिन हांगकांग को कुछ विशेषाधिकार दिए जाएंगे.
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एक देश, दो व्यवस्था
तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति डेंग जियाओपिंग ने हांगकांग को स्वायत्तता देने के लिए एक देश, दो व्यवस्था की मांग स्वीकार की. ये व्यवस्था जुलाई, 2047 तक के लिए मान्य है. हांगकांग बेसिक लॉ नाम से अलग कानून बनाया गया. इसके मुताबिक हांगकांग में स्वतंत्र मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार होगा. यहां अलग संसद होगी जिसका निष्पक्ष चुनाव होगा. चीन की साम्यवादी व्यवस्था और नीतियां यहां लागू नहीं होती.
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जिनपिंग का एलान
2017 में हांगकांग की यात्रा पर गए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एलान किया कि 50 साल पूरे होने यानी जुलाई 2047 के बाद भी एक देश, दो व्यवस्था का कानून चलता रहेगा. हांगकांग की संसद के पूर्व राष्ट्रपति जास्पर त्सांग योक सिंग का मानना है कि हांगकांग बेसिक लॉ 2047 के बाद भी नहीं बदलेगा और यह व्यवस्था ऐसे ही चलती रहेगी.
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हांगकांग के नागरिकों को भरोसा नहीं
जिनपिंग के खुले एलान के बाद भी हांगकांग के निवासियों को इस बात पर भरोसा नहीं है. उनका मानना है कि 2047 के बाद हांगकांग में भी चीन जैसी व्यवस्था लागू हो जाएगी. ऐसे में उनकी स्वतंत्रता का अधिकार भी छिन जाएगा. हांगकांग में फिलहाल कैरी लाम की सरकार है जो चीन की समर्थक मानी जाती हैं. यही वजह है कि हांगकांग के लोगों का चीन पर शक बढ़ रहा है.
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प्रत्यर्पण कानून का विरोध
लाम ने हांगकांग की संसद में एक बिल पेश किया जिसके मुताबिक हांगकांग के लोग जो चीन में अगर कोई अपराध करेंगे तो उनका चीन को प्रत्यर्पण किया जा सकेगा. तब तक ऐसा नहीं था. इस बिल का हांगकांग में काफी विरोध हुआ. लाम ने इस बिल को ठंडे बस्ते में डाल दिया लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे पूरी तरह खत्म करने की मांग की.
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प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई से भड़का आक्रोश
प्रत्यर्पण कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने बल प्रयोग किया. उन पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का प्रयोग किया गया. कुछ लोग इसमें घायल हो गए. इससे प्रदर्शनकारी और भड़क गए. प्रदर्शनकारियों ने लाम के इस्तीफे और बल प्रयोग की जांच को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया. पुलिस पर आरोप है कि लोगों को घायल करने के लिए बल प्रयोग किया गया.
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चुनाव से लेकर अलगाववाद तक
हांगकांग में कई प्रदर्शनकारी चीन से आजादी की मांग कर रहे हैं. हालांकि वहां की सभी राजनीतिक पार्टियां ऐसे प्रदर्शनकारियों से दूरी बना रही हैं. बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी हांगकांग में निष्पक्ष चुनावों की मांग कर रहे हैं. अब तक हांगकांग के नेता को एक चीन समर्थक समिति और चीन की सरकार द्वारा चुना जाता है. लाम भी इस तरीके से हांगकांग की नेता चुनी गई हैं.
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वर्तमान चुनाव का तरीका चीन के पक्ष में
हांगकांग की संसद में 70 सीटें हैं. इनमें से आधी सीटों पर चुनाव से प्रतिनिधि चुने जाते हैं. बची हुई आधी सीटों को फंक्शनल संसदीय क्षेत्र मानकर उन पर प्रतिनिधि मनोनीत किए जाते हैं. फिलहाल 43 सांसद चीन समर्थक हैं. ऐसे में इनका ही बहुमत है. हांगकांग बेसिक लॉ के मुताबिक संसद और उसका नेता स्वतंत्र रूप से चुना जाना चाहिए लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका है.
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चीन से क्या क्या अलग है हांगकांग में
चीन के पास हांगकांग के रक्षा और विदेश मामलों के ऊपर कानून बनाने का अधिकार है. इनके अलावा सभी मुद्दों पर हांगकांग के पास अपने कानून बनाने का अधिकार है. इसलिए हांगकांग को स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव जोन कहा जाता है. हांगकांग की मुद्रा भी चीन से अलग है. चीन की मुद्रा युआन और हांगकांग की मुद्रा हांगकांग डॉलर है.
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चीन की सेना हांगकांग में नहीं आ सकती
चीन हांगकांग के रक्षा संबंधी मामलों पर कानून बनाने का अधिकार रखता है. हांगकांग बेसिक लॉ के अनुच्छेद 14 के मुताबिक चीन की सेना हांगकांग पर बाहरी हमले की स्थिति में रक्षा करेगी. चीन की सेना हांगकांग के आंतरिक मामलों में दखल नहीं दे सकती है. हाल में चल रहे प्रदर्शनों में चीन की सेना चीन सरकार के आदेश पर कानूनी रूप से दखल नहीं दे सकती है. हालांकि अगर हांगकांग सरकार मदद मांगे तो ऐसा हो सकता है.
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30 जून 2047 के बाद क्या होगा
हांगकांग का समाधान एक राजनीतिक समाधान हो सकता है. लेकिन यह समाधान चीन और हांगकांग दोनों को मान्य हो तभी संभव है. अगर दोनों तरफ के लोग किसी राजनीतिक समाधान पर राजी होते हैं तो 2047 के बाद भी वर्तमान व्यवस्था लागू रह सकती है. लेकिन हांगकांग में मौजूद चीन समर्थित सरकार कोई चीन समर्थक फैसला लेती है तो भविष्य अलग भी हो सकता है.