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बंद से लेकर सविनय अवज्ञा के रूप में नागरिकता बिल का विरोध

चारु कार्तिकेय
११ दिसम्बर २०१९

नागरिकता संशोधन विधेयक ने भारत के काफी लोगों को उद्वेलित कर दिया है. पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर कोलकाता और अलीगढ़ तक नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध हो रहा है.

Indien l Protest gegen Einbürgerungsgesetz
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

नागरिकता संशोधन विधेयक के संसद से पारित होने की आशंका के बीच, संसद के बाहर बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं. सड़कों पर बिल के विरोध के सामने संसद के अंदर हो रहा विरोध फीका पड़ता नजर आ रहा है.

पूर्वोत्तर राज्यों में कई दिनों से बिल का विरोध सड़कों पर जाम के रूप में दिखाई दिया है. प्रदर्शनकारियों ने जगह जगह पुतले और टायर जलाए हैं, तो कहीं बंद लागू करवा कर और पेड़ों को काट कर सड़कें जाम भी की गई हैं. पिछले दिनों ऐसा विरोध असम तक सीमित था, पर अब ये मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा जैसे राज्यों तक भी फैल गया है.

तस्वीर: Reuters/A. Hazarika

त्रिपुरा में तो हालात इतने नाजुक हो गए कि प्रशासन ने 10 दिसंबर को 48 घंटों के लिए पूरे राज्य में एसएमएस सेवाएं और इंटरनेट बंद करने का आदेश दे दिया. इस पर भी हालात नहीं संभले और 11 दिसंबर को राज्य के कई हिस्सों में सेना को तैनात करना पड़ा.

असम में भी सेना की एक टुकड़ी तैनाती के लिए तैयार रखी गई है. बताया जा रहा है कि राज्य में अस्सी के दशक में छह साल तक चले छात्र आंदोलन के दौरान जो हालात थे, कुछ उसी तरह के हालात बनते नजर आ रहे हैं. 11 दिसंबर को असम के 10 जिलों में भी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं.

जहां जहां भी बिल के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं, वहां कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्र प्रदर्शनकारियों में सबसे आगे हैं. असम में भी ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने अग्रणी भूमिका निभाई है. अब इनसे प्रेरणा ले कर पूर्वोत्तर के बाहर भी देश के अलग अलग कोनों में छात्र विधेयक के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं.

तस्वीर: Reuters/J. Dey

कलकत्ता में प्रेसीडेंसी कॉलेज और जाधवपुर विश्वविद्यालय में बिल के खिलाफ भारी विरोध देखा गया. जाधवपुर विश्वविद्यालय में बिल की प्रतियां भी जलाई गईं. उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने 10 दिसंबर की रात जम कर बिल का विरोध किया, प्रतियां जलाईं और विश्वविद्यालय को पूर्ण रूप से बंद करने का आह्वान किया. सड़कों पर विरोध के अलावा एक अनूठी सविनय अवज्ञा मुहिम भी शुरू की गई है.

तस्वीर: Reuters/A. Hazarika

एक्टिविस्ट और पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर ने घोषणा की है कि अगर विधेयक दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो वे आधिकारिक तौर पर इस्लाम अपना लेंगें. उन्होंने कहा है कि जब नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर बनेगा तो वो उसके लिए कोई भी पहचान पत्र या अन्य कागजात नहीं देंगे और इस सजा की मांग करेंगे कि उनकी नागरिकता छीन ली जाए और और उन्हें हिरासत केंद्र में डाल दिया जाए. उन्होंने अपील भी की कि और लोग भी उनके साथ इस मुहिम में जुड़ें.

कांग्रेस पार्टी की पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन ने भी कुछ इसी तरह की घोषणा की है. उन्होंने कहा है कि वो भी अपनी भारतीय नागरिकता के कागजात देने और रजिस्ट्री कराने से "सविनय इंकार" करती हैं.

कांग्रेस पार्टी के कई कार्यकर्ताओं और नेताओं ने खुद को नटराजन की मुहिम के साथ जोड़ लिया है. 

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