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प्रदूषण से जूझते बेंगलुरू में लोगों जितने ही होंगे वाहन

त्यागराज
७ जून २०१९

कर्नाटक के राज्य परिवहन अधिकारियों की मानें तो राजधानी बेंगलुरू में जल्दी ही वाहनों की संख्या बढ़ते बढ़ते वहां की आम जनसंख्या से अधिक हो सकती है.

Indien Bangalore Verkehr
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh NV

आज जहां बेंगलुरू की आबादी एक करोड़ के आसपास है वहीं वाहनों की संख्या तेजी से बढ़कर 80.90 लाख तक पहुंच गयी है. जिस गति से इनकी संख्या बढ़ रही है हैरानी नहीं होगी अगर कुछ समय के भीतर ही यहां आबादी से अधिक वाहन होंगे.  पूरे कर्नाटक में 2.10 करोड़ के आसपास वाहन हैं, जिनमें से 40 फीसदी से अधिक गाड़ियां तो केवल बेंगलुरू में ही हैं. इनमें से 55 लाख से अधिक दोपहिया और 15 लाख से ज्यादा कारें हैं. परिवहन आयुक्त वीपी इक्केरी के अनुसार सिर्फ 2018-19 में राज्य में नए वाहनों की तादाद कम से कम 16 लाख तक पहुंच चुकी थी. राज्य के  बाहर से आने वाली गाड़ियों की संख्या इस सूची में नहीं आती. इक्केरी का कहना है कि बेंगलुरू में प्रतिदिन 1,700 से अधिक नई गाड़ियां देखने को मिलती हैं.

यही कारण है कि जहां एक तरफ बेंगलुरू प्रदूषण से जूझ रहा है वहीं तंग सड़कों की वजह से वाहनों की औसत गति 10 किलोमीटर प्रतिघंटे तक ही सीमित रह जाती है. यही नहीं, करीब 14,000 किलोमीटर तक फैली शहर की 90,000 सड़कों में एक समय में केवल 17 लाख वाहन दौड़ाए जा सकते हैं. हालत ये है कि यहां 40 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ऊपर गाड़ी चलाना किसी सपने जैसा हो गया. इन हालातों में शहर में नए   वाहनों का आना स्थिति को और भी गंभीर बना रहा है.

शहर में बढ़ते वाहनों और उनके कारण होते ट्रैफिक जाम के कारण सड़क दुर्घटनाएं भी ज्यादा हो रही हैं. पिछले चार वर्षो में बेंगलुरू में कम से कम 22,000 लोग इसका शिकार हुए हैं. शहर की ट्रैफिक पुलिस के अनुसार  ज्यादातर यहां वाहनों और तंग सड़कों की वजह से हर दिन करीब 10 लोग किसी न किसी सड़क दुर्घटना में घायल होते हैं. गौर करने वाली बात है कि बेंगलुरू के मुकाबले मुंबई में वाहनों की संख्या 36 लाख है और चेन्नई में 56 लाख. हैदराबाद भी कुछ कम नहीं है क्योंकि वहां वाहनों की तादाद 56 लाख के लगभग है. विशेषज्ञ  मानते हैं कि आगे चल कर ऐसी समस्या इन शहरों को भी बुरी तरह घेर लेगी. खासकर जब वाहनों की संख्या  कम होती नहीं दिख रही है. इसके कारण पैदा हुई दूसरी गंभीर समस्या है प्रदूषण, खासकर बेंगलुरू में. शहर के परिवहन आयुक्त ने बताया कि उनका विभाग किसी को नई गाड़ियां लेने से तो नहीं रोक सकता लेकिन लोगों को बिजली से चलने वाले वाहनों को खरीदने के लिए प्रोत्साहित करता है. इसके लिए लोगों को सरकारी मदद भी मिलती है.

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शहर में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है जिसका एक बड़ा कारण वाहनों की बढ़ती संख्या है. विषेशज्ञ मानते  हैं कि शहरों में 62 प्रतिशत धूल का कारण बढ़ते वाहनों की तादाद ही है. प्रदूषण विशेषज्ञ लियो सल्डाना के अनुसार विश्व में लगभग 70 लाख लोगों की मौत बढ़ते प्रदूषण के कारण होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत से भी अधिक भारतीय होते हैं. यही कारण है कि कुछ विकसित देशों में अब वाहनों की संख्या को कम करने के मकसद से कंजेशन टैक्स लगाने की बात को आगे बढ़ाया जा चुका है.

बेंगलुरू समेत देश के दूसरे शहरों में भी गाड़ियों की बढ़ती तादाद और उससे होने वाले ट्रैफिक जाम से केंद्र सरकार भी बेहद परेशान है. इसी कारण उसने गत वर्ष राज्यों से कहा था कि वे अपने शहरों में भीड़भाड़ वाले हिस्सों की पहचान करें, जहां कंजेशन टैक्स लागू किया जा सकता है. राज्यों को यह भी कहा गया था कि अगर वे इस बारे में कोई स्टडी कराते हैं तो उसका 80 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार उठा सकती है.

जानकारों का यह भी मानना है कि वाहनों पर नियंत्रण करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को प्रभावी बनाना आवश्यक होगा. खासकर जब बेंगलुरू की राज्य परिवहन की 6,000 बसों में प्रतिदिन शहर के एक फीसदी लोग ही सफर करते हैं और बाकी रोड ट्रैफिक अधिकतर निजी वाहनों का प्रयोग करता है. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शहर के लोगों ने खुद कंजेशन टैक्स की मांग के साथ पंचीकरण और पार्किंग फीस में बढ़ौती पर जोर देना शुरू कर दिया है. इसके साथ साथ बेंगलोर मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (बीएमटीसी) और नम्मा मेट्रो जैसी सुविधाओं को बढ़ाने की मांग भी अब जोर पकड़ने लगी है. लोग चाहते हैं कि बीएमटीसी बसों की सुविधा विश्वसनीय बने और देर रात तक चले.

इस बीच इन सब से परे, राज्य का परिवहन विभाग एक बात से तो खुश है कि नई गाड़ियों के बढ़ते पंजीकरण के कारण उसके राजस्व में 2018-19 में लगभग 6,000 करोड़ रुपयों से अधिक की वसूली हो चुकी है.

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