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प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी के आदेश

१५ जनवरी २०१३

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार करने का आदेश जारी. सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत खाने का आरोप झेल रहे राजा परवेज अशरफ को बुधवार को कोर्ट में पेश करने का निर्देश भी दिया है.

तस्वीर: Reuters

पावर रेंटल प्रोजेक्ट मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रधानमंत्री समेत 16 लोगों की गिरफ्तारी का आदेश दिया. कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह बुधवार को प्रधानमंत्री को अदालत में पेश करे.

कोर्ट के आदेश की जानकारी देते हुए वकील आमिर अब्बास ने कहा, "मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में आरोपी सभी लोगों को उनके पद की परवाह किए बिना गिरफ्तार करने का आदेश दिया है. अगर कोई देश छोड़ चुका है तो एनएबी (राष्ट्रीय जबावदेही ब्यूरो) के अध्यक्ष और उनकी टीम को इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा."

अब्बास ने आगे कहा, "16 में राजा अशरफ भी शामिल हैं." प्रधानमंत्री के सलाहकार फवाद चौधरी ने अदालत के फैसले को असंवैधानिक करार दिया है. चौधरी ने कहा कि सेना और सुप्रीम कोर्ट सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं.

जून 2012 में प्रधानमंत्री बनने से पहले राजा अशरफ पाकिस्तान के जल और ऊर्जा मंत्री थे. उन पर आरोप है कि मंत्री रहते हुए उन्होंने कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाया. आरोप है कि लाभ पाने वाली कंपनियों ने अशरफ को भारी रिश्वत दी. रिपोर्टों के मुताबिक राजा अशरफ ने 22 अरब रुपये की रिश्वत ली. इस केस के बाद पाकिस्तान में प्रधानमंत्री को 'राजा रेंटल' कहकर भी चिढ़ाया जाता है.

कादरी की रैलीतस्वीर: picture-alliance/dpa

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक भूचाल आ गया है. सुप्रीम कोर्ट की ही वजह से पिछले साल यूसुफ रजा गिलानी को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था. कोर्ट ने गिलानी को अदालत की अवमानना करने के कारण पद के लिए अयोग्य करार दिया था. गिलानी के इस्तीफे के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने राजा परवेज अशरफ को प्रधानमंत्री बनाया. जून 2012 में हुई इस नियुक्ति के समय ही यह माना जा रहा था कि राजा भी देर सबेर कानून की गर्मी झेलेंगे.

सर्वोच्च अदालत का आदेश ऐसे वक्त में आया है जब पाकिस्तान की राजनीति में अचानक ताहिरुल कादरी का नाम गूंज रहा है. कनाडा से पाकिस्तान लौटे कादरी चुनाव सुधार, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था को खत्म करने के लिए एक अंतरिम सरकार की मांग कर रहे हैं. कादरी तालिबान के खिलाफ भी गरज रहे हैं. माना जा रहा है कि कनाडा से लौटे मौलवी कादरी को सेना का समर्थन हासिल है. हालांकि सेना और कादरी साठगांठ की खबरों से इनकार कर रहे हैं.

सोमवार से कादरी राजधानी इस्लामाबाद में अपने हजारों समर्थकों के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं. मंगलवार को भी कादरी ने अपने समर्थकों के साथ राजधानी में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी और आंसू गैस के गोले भी दागने पड़े. मंगलवार को कादरी ने इस्लामाबाद में जमा अपने 25,000 समर्थकों से फिर कहा कि वे यहीं डटे रहें.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि देश में आम चुनाव समय पर ही होंगे. पावर रेंटल प्रोजेक्ट मामले से पहले चुनाव प्रक्रिया में सुधार की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह साफ किया. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा कि चाहे कुछ भी हो, चुनाव समय पर ही होंगे.

कादरी पर बिफरे रहमान मलिकतस्वीर: DW

1947 में आजाद हुआ पाकिस्तान सैन्य शासन के लिए मशहूर रहा है. पाकिस्तान में यह पहला मौका है जब संसद करीब पांच साल तक चली है. लेकिन आखिर दिनों में इस संसद को भी राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है. माना जाता है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार को अमेरिका का भी समर्थन हासिल है. अमेरिकी दबाव की वजह से भी पाकिस्तानी सेना पीपीपी सरकार को समय से पहले हटा नहीं सकी. लेकिन मौजूदा सरकार के सामने कादरी नाम की चुनौती खड़ी है.

पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक ने कादरी की अंतरिम सरकार के गठन की मांग को खारिज करते हुए कहते हैं, "हम कादरी के दबाव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि उनकी मांग असंवैधानिक हैं."

रिपोर्ट: ओएसजे/एमजे (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)

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