दिल्ली में विधानसभा चुनावों से ठीक तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं को फिर राम मंदिर की याद दिला दी. लोकसभा में प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मंदिर के निर्माण के लिए उनकी सरकार ने एक ट्रस्ट की स्थापना की मंजूरी दे दी है. ट्रस्ट का नाम होगा श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और ये मंदिर के निर्माण से संबंधित हर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होगा. भारतीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अयोध्या के राजपरिवार से संबंध रखने वाले विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र इस ट्र्स्ट पहले सदस्य बताए जा रहे हैं.
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि पूरी 67.703 एकड़ की अधिग्रहित जमीन ट्रस्ट को दे दी जाएगी. इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी घोषणा की कि केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक नई मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन प्रदान करें और राज्य सरकार ने इस अनुरोध को मान भी लिया है.
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भारतीय राजननीति में अयोध्या एक ऐसा सुलगता हुआ मुद्दा रहा है जिसकी आग ने समाज को कई बार झुलसाया है. जानिए, कहां से कहां तक कैसे पहुंचा यह मुद्दा...
तस्वीर: dpa - Bildarchivकुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheedइस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curranब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D .E. Curranमस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
तस्वीर: DW/Waheedविश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
तस्वीर: DW/S. Waheedजिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesविश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: APवीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesतत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
तस्वीर: APगोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
तस्वीर: APपुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
तस्वीर: CC-BY-SA-Shaid Khanविवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
तस्वीर: APजस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: APइलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
तस्वीर: APसुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
तस्वीर: APरामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
तस्वीर: DW/V. Deepakसुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangueप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh इसके तुरंत बाद ही उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से राज्य सरकार में मंत्री श्रीकांत शर्मा ने घोषणा की कि सरकार ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के धन्नीपुर गांव में पांच एकड़ जमीन देने का निर्णय किया है.
दिल्ली में विधानसभा चुनावों के लिए शनिवार आठ फरवरी को मतदान होना है. चुनावों में बीजेपी को जीत दिलाने के लिए पार्टी के सभी नेता चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं. इनमें प्रधानमंत्री खुद भी शामिल हैं. वह इस अभियान में दिल्ली में दो रैलियों में भाषण दे चुके हैं जिनमें उन्होंने आम आदमी पार्टी सरकार की जम कर आलोचना भी की है.
एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि संसद का सत्र 11 फरवरी तक है और ये घोषणा अगर करनी ही थी तो दिल्ली चुनाव के बाद भी की जा सकती थी.
लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा के अंदर रहने की कोशिश की है. 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा था कि अयोध्या में विवादित जमीन पर राम मंदिर ही बनेगा और मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को कहीं और जमीन दी जाएगी. इस निर्णय को लागू करने के लिए अदालत ने तीन महीनों की मोहलत दी थी और ये अवधि दिल्ली चुनाव के अगले दिन खत्म हो जाएगी. लिहाजा 9 फरवरी से पहले ये घोषणा कर देना सरकार की मजबूरी थी.
कई मुस्लिम नेताओं और संगठनों ने घोषणा की आलोचना की है. ओवैसी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड से अपील की कि वो जमीन के प्रस्ताव को ठुकरा दे.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सईद कासिम रसूल इलियास ने डीडब्ल्यू से कहा कि उन्हें विवादित स्थल से दूर ये जमीन स्वीकार्य नहीं है.