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प्रशांत में मिला कीमती खनिजों का खजाना

४ जुलाई २०११

जापान के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें प्रशांत महासागर की सतह पर दुर्लभ खनिजों का खजाना मिला है. और इसे जल्द ही निकाला जा सकता है. इन दुर्लभ धातुओं का इलेक्ट्रॉनिक हाई टेक उत्पाद बनाने में इस्तेमाल किया जाता है.

तस्वीर: AP

भूगर्भ विज्ञान विभाग में असोसिएट प्रोफेसर यासुहिरो कातो ने कहा, "इस भंडार में दुर्लभ धातुओं और खनिजों की मात्रा बहुत है. सिर्फ एक वर्ग किलोमीटर के हिस्से में दुनिया की सालाना खपत पूरी करने जितना माल है." यह खोज कातो के नेतृत्व वाली एक टीम ने किया है. इस दल में जापान एजेंसी फॉर मरीन अर्थ साइंस एंड टेकनॉलॉजी के शोधकर्ता भी शामिल थे.

78 इलाकों में 3,500 से 6,000 मीटर की गहराई से निकली समुद्री गाद से उन्हें यह खनिज मिले हैं. 78 में से एक तिहाई इलाकों में दुर्लभ खनिज और इत्रियम धातु मिला है. एक टेलिफोन इंटरव्यू में कातो ने बताया कि यह खजाना हवाई के पूर्वी से पश्चिमी इलाके और फ्रांसीसी पोलिनेशिया के ताहिती तक के हिस्से में मिला है. उनका अनुमान है कि इस भंडार में करीब 80 से 100 अरब टन खनिज मौजूद हैं.जबकि हाल में अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने घोषणा की थी कि उन्हें चीन,रूस और अन्य सोवियत देशों सहित अमेरिका में केवल 10 करोड़ टन दुर्लभ खनिज मिले हैं.

तस्वीर: AP

इस खोज की जानकारी ब्रिटिश जरनल नेचर जिओसाइंस में प्रकाशित की गई है. इस तरह के भंडार में रेडियो एक्टिव यूरेनियम और थोरियम की मात्रा सामान्य तौर पर ज्यादा होती है जो पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो सकती है लेकिन जापानी वैज्ञानिक का कहना है कि इस भंडार में पाए गए रेडियोधर्मी पदार्थों की मात्रा धरती पर पाए जाने वाले भंडार से काफी कम है.

हाई टेक उत्पादों के लिए दुर्लभ धातुओं की जरूरत होती है और इसलिए इन्हें ढूंढने के काम में तेजी आई है. दुनिया में सबसे ज्यादा यानी 97 फीसदी दुर्लभ धातुओं का निर्यात करने वाला देश चीन है. उसने इनके निर्यात के नियम कड़े कर दिए हैं जिस कारण दुर्लभ धातुओं की कीमतें आसमान छू रही है.

तस्वीर: AP

कातो ने बताया कि समुद्री गाद में गैडोलिनियम, लुटेटियम, टर्बियम और डिस्प्रोसियम जैसी दुर्लभ धातुएं हैं. "इन्हें फ्लैट स्क्रीन टीवी, एलईडी वॉल्व और हाइब्रिड कार बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. समुद्री गाद को जहाजों पर लाया जा सकता है और फिर इन्हें एसिड लीचिंग से अलग किया जा सकता है. डाइल्यूट एसिड के इस्तेमाल से इन्हें तेजी से गाद से अलग किया जा सकता है. कुछ ही घंटों में हम 80 से 90 फीसदी दुर्लभ खनिज अलग कर सकते हैं."

हालांकि उन्होंने इस बात की जानकारी नहीं दी है कि इन खनिजों का खनन कब से शुरू हो सकेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः एस गौड़

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