जम्मू और कश्मीर में प्रशासन द्वारा जारी किए गए दो निर्देशों की वजह से चिंता और घबराहट का माहौल बन गया है. इसी तरह के कदम वहां अगस्त 2019 में राज्य का संवैधानिक दर्जा बदलने से पहले भी उठाए गए थे.
विज्ञापन
लद्दाख में भारत और चीन की सीमा पर लगातार बने हुए तनाव के बीच, जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा जारी किए गए दो निर्देशों की वजह से चिंता और घबराहट का माहौल बन गया है. ये दो निर्देश कश्मीर में एलपीजी सिलिंडरों के दो महीनों के स्टॉक की उपलब्धि सुनिश्चित करने और गांदेरबल जिले में सभी सरकारी स्कूलों को सुरक्षाबलों के रहने के लिए खाली करवाने के संबंध में हैं.
सिलिंडरों वाला निर्देश 27 जून का है और कश्मीर प्रशासन के फूड सिविल सप्लाइज एंड कंज्यूमर अफेयर्स विभाग के निदेशक द्वारा इलाके में सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के राज्य-स्तरीय कोऑर्डिनेटर के लिए जारी किया हुआ है. इसमें लिखा है कि जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल के सलाहकार का आदेश है कि घाटी में एलपीजी का पर्याप्त स्टॉक सुनिश्चित किया जाए. निर्देश में इस कदम के पीछे जिस कारण का जिक्र है वो भूस्खलन की वजह से राष्ट्रीय राज्यमार्ग के बंद हो जाने की संभावना है.
स्कूलों को खाली कराने का निर्देश गांदेरबल पुलिस विभाग के सीनियर सुपरिंटेंडेंट द्वारा गांदेरबल के डिप्टी कमिश्नर को लिखा हुआ है. इसमें कम से कम 16 स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए खाली कराने का अनुरोध किया गया है. पत्र में लिखा है कि ये सुरक्षाकर्मी अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के इंतजामों के लिए तैनात रहेंगे.
दोनों ही पत्रों में इन कदमों के पीछे उनके कारण की स्पष्ट चर्चा है लेकिन इसके बावजूद घाटी में इन कदमों को ले कर काफी संदेह इसलिए है क्योंकि इसी तरह के कदम वहां अगस्त 2019 में भी उठाए गए थे और उन्हें उठाने के कुछ ही दिनों बाद केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य का संवैधानिक दर्जा बदल कर उस से विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया था. गांदेरबल में कई स्थानीय लोगों ने डीडब्ल्यू को बताया कि वे वाकई इन सरकारी पत्रों को लेकर चिंतित हैं और चाहते हैं कि सरकार स्थिति के बारे में उन्हें पूरी जानकारी दे.
पूर्व मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर कहा कि ये सरकारी निर्देश कश्मीर में घबराहट की स्थिति पैदा कर रहे हैं.
कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि इन निर्देशों को ले कर संदेह इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि इस मौसम में भूस्खलन के ज्यादा मामले नहीं होते हैं और अमरनाथ यात्रा इस साल होगी या नहीं, इसे ले कर निर्णय अभी नहीं लिया गया है. सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे में क्या इन तैयारियों के ये मायने हैं कि या तो चीन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तैयारी हो रही है और अगस्त 2019 की घोषणाओं की तरह घाटी में फिर से कोई बड़ी घटना घटने वाली है.
कहानी पुलित्जर जीतने वाले भारतीय फोटो पत्रकारों की
समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के तीन भारतीय फोटोग्राफरों ने प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार जीता है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाबंदियों के बीच उन्होंने आखिर कैसे खींची और भेजीं तस्वीरें?
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Khan
"चूहा-बिल्ली" का खेल
"ये हमेशा चूहा-बिल्ली का खेल था" - एसोसिएटेड प्रेस के फोटोग्राफर डार यासीन ने अगस्त 2019 में कश्मीर में लागू हुई तालाबंदी की कहानियों को तस्वीरों में कैद करने के तजुर्बे को कुछ यूं बयान किया है. यासीन और उनके दो और सहयोगियों मुख्तार खान और चन्नी आनंद को इस दौरान जम्मू और कश्मीर में खींची गई तस्वीरों के लिए 2020 के फीचर फोटोग्राफी के पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. देखिये इनमें से कुछ तस्वीरें.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
घोषणा
अगस्त में जम्मू में एक इलेक्ट्रॉनिक्स सामान की दुकान पर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनते लोग. 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म कर उसे दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था. कश्मीर तब से एक तरह के लॉकडाउन में है जिसके तहत वहां के नागरिकों पर कई कड़े प्रतिबंध लागू हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
विरोध
अगस्त में श्रीनगर में कर्फ्यू के बीच अर्धसैनिक बल के जवानों पर दूर से पत्थर फेंकता एक प्रदर्शनकारी. श्रीनगर में एपी के फोटोग्राफर मुख्तार खान और यासीन डार को प्रदर्शनकारियों और सेना के जवानों दोनों का ही अविश्वास झेलना पड़ता था.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
पहरा
अगस्त में श्रीनगर में कंटीली तारों से बंद एक सुनसान सड़क पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी. श्रीनगर में खान और यासीन कई बार कई दिनों तक घर नहीं लौट पाते थे और अपने परिवारों तक अपनी खबर भी नहीं पहुंचा पाते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Yasin
बंदूकें और बूट
पिछले साल अगस्त में श्रीनगर में तालाबंदी के दौरान ड्यूटी पर तैनात दो सुरक्षाकर्मी. खान और यासीन अपनी खींची हुई तस्वीरें दिल्ली ऑफिस तक पहुंचाने के लिए एयरपोर्ट पर अनजान यात्रियों से अपील करते थे. कुछ यात्री डर कर अपील ठुकरा देते थे तो कुछ मान लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin
नमाज
अगस्त 2019 में जम्मू में मस्जिद में ईद पर नमाज अदा करते हुए लोग. आनंद जम्मू में काम करते हैं और कहते हैं कि पुरस्कार से वो अवाक रह गए. वे बीस साल से एपी के लिए काम कर रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
ये कैसी ईद
अगस्त 2019 में ईद पर जम्मू में सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बीच अपने रास्ते पर जाता एक मुस्लिम व्यक्ति. एपी के अध्यक्ष गैरी प्रुइट ने कहा कि इस टीम की बदौलत ही दुनिया कश्मीर में आजादी की लंबी लड़ाई में हुई एक नाटकीय तेजी देख पाई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Anand
वापसी
अगस्त में प्रवासी श्रमिक जम्मू और कश्मीर को छोड़ अपने अपने घर जाने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में बैठे हुए. कर्फ्यू और फोन और इंटरनेट के बंद होने के बावजूद ये तस्वीरें एपी के इन फोटोग्राफरों ने खींचीं और किसी तरह भेजीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP/C. Anand
पुलिस
सितंबर 2019 में श्रीनगर में शिया प्रदर्शनकारियों पर डंडे चलाता एक पुलिसकर्मी. एपी के फोटोग्राफरों ने कभी अंजान लोगों के घर में छिप कर तो कभी कैमरों को सब्जियों के थैलों में छिपा कर तस्वीरें खींची.
तस्वीर: picture-alliance/AP/M. Khan
बंदूकों के साए में
नवंबर में श्रीनगर में एक बाजार में हुए एक विस्फोट के स्थल की जांच करता हुआ एक सुरक्षाकर्मी. यासीन कहते हैं कि उनके काम का उनके लिए पेशे-संबंधी और व्यक्तिगत दोनों मतलब है. वे कहते हैं इन तस्वीरों में सिर्फ दूसरों की नहीं बल्कि उनकी खुद की भी कहानी है.