जर्मनी अपनी दोहरी शिक्षा प्रणाली के लिए जाना जाता है. इसके तहत स्कूली शिक्षा के बाद किशोरों को व्यावसायिक प्रशिक्षण मिलता है. कोरोना महामारी के दौरान बहुत से किशोर प्रशिक्षण से वंचित हैं.
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कोरोना महामारी का असर यूं तो दुनिया भर में हुआ है, लेकिन जर्मनी में अर्थव्यवस्था के कुछ इलाके इसके खास चपेट में आए हैं. इसका असर पर्यटन, संस्कृति और रेस्तरां जैसे इलाकों में कारोबार और नौकरी पर हुआ है. इसका प्रभाव बहुत से नौजवानों के भविष्य पर भी पड़ा है, जिन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण की जगह नहीं मिल रही है. आने वाले महीनों में जर्मनी में स्कूली साल खत्म हो रहा है और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए नया साल शुरू हो रहा है. इस मौके पर पर जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार 2019 के मुकाबले 2020 में व्यावसायिक प्रशिक्षण के कॉन्ट्रैक्ट में करीब 10 फीसदी की कमी देखी गई.
सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार यह कमी अभूतपूर्व है. सांख्यिकी कार्यालय का कहना है कि हालांकि पिछले सालों में व्यावसायिक प्रशिक्षण की सीटों में कमी होती रही है, लेकिन पिछले साल जितनी कमी हुई है उतनी कभी नहीं हुई. पिछले साल 4,65,000 किशोरों ने व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया. सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार उनमें दो तिहाई संख्या पुरुषों की थी. पिछले साल व्यावसायिक प्रशिक्षण की सीटें पाने में महिलाएं पुरुषों से और पीछे रही हैं. उनकी संख्या में 10.2 प्रतिशत की कमी आई.
जर्मनी में पढ़ने की 10 वजह
विदेश में पढ़ाई का विचार आने पर आप अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा या फिर ऑस्ट्रेलिया के बारे में सोचते होंगे ना? जर्मनी के बारे में सोचिए, क्योंकि यह एक बेहतर विकल्प है.
तस्वीर: Leibnitz Universität in Hannover
कर्ज मुक्त पढ़ाई
जर्मनी में अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स के लिए भी उतनी ही फीस है जितनी स्थानीय छात्रों के लिए है. यूरोप के अंग्रेजी भाषी देशों और अमेरिका के मुकाबले तो यह बहुत कम है.
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उच्च गुणवत्ता
जर्मनी की किसी भी सरकारी यूनिवर्सिटी का स्तर दुनियाभर में अच्छा कहा जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में इसके विश्वविद्यालय बहुत अच्छा स्थान पाते हैं.
तस्वीर: DW/L. Sanders
वजीफे
अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया में जब पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिलती है तो वह कुल फीस का कुछ फीसदी होती है. ज्यादा से ज्यादा 80 प्रतिशत. जर्मनी में चूंकि फीस ज्यादा नहीं है तो छात्रवृत्ति मिलने पर पढ़ाई ही नहीं, रहने खाने का खर्च भी निकल आता है.
तस्वीर: Universität Heidelberg
अंग्रेजी में पढ़ाई
जर्मनी में एक हजार से ज्यादा ऐसे कोर्स हैं जो अंग्रेजी में होते हैं. अंडरग्रैजुएट और ग्रैजुएट लेवल के ये कोर्स जर्मन भाषा की बाधा नहीं मानते इसलिए विदेशी छात्रों को मुश्किल नहीं होती.
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जर्मन की पढ़ाई
अगर आप ऐसा कोर्स करना चाहते हैं जो अंग्रेजी में उपलब्ध नहीं है, तब भी यूनिवर्सिटी की ओर से जर्मन कोर्स उपलब्ध होते हैं जिनसे पढ़ाई आसान हो जाती है. साथ ही 'कवियों और फिलॉस्फरों' की भाषा सीखने का मौका भी मिलता है.
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हेल्थ इंश्योरेंस
जर्मनी में स्वास्थ्य बीमा आवश्यक है. यहां 80 यूरो महीना देकर छात्र फुल हेल्थ कवर पा सकते हैं. अंग्रेजी देशों के मुकाबले यह कुछ भी नहीं है.
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सस्ता और अच्छा यातायात
जर्मनी का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम बहुत अच्छा और सस्ता है. यहां आपको अपनी निजी कार की जरूरत कभी महसूस नहीं होगी. और यूरोप के बीच में रहने से आप बाकी यूरोपीय देशों में भी आसानी से जा सकते हैं.
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रहना-खाना
जर्मनी में भी रहना बहुत सस्ता नहीं है लेकिन यदि आप कम खर्च में रहना चाहते हैं तो आपको बहुत सारे सस्ते और अच्छे विकल्प मिल सकते हैं.
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सोशल लाइफ
अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट्स का जर्मनी में लोग दिल से स्वागत करते हैं. यूनिवर्सिटी का माहौल युवाओं के लिए किसी मेले से कम नहीं होता. पढ़ाई के साथ साथ पार्टी और ढेर सारी गतिविधियों का केंद्र हैं विश्वविद्यालय.
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नौकरी के मौके
पोस्ट ग्रैजुएट लोगों के लिए जर्मनी में काम की कमी नहीं है, खासकर तकनीकी शिक्षा के बाद. जर्मनी कुशल विशेषज्ञों की कमी का सामना करने के लिए शिक्षा के बाद नौकरी की संभावना देता है.
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जर्मनी के विभिन्न प्रांतों में व्यावसायिक प्रशिक्षण में कमी से पता चलता है कि किस प्रांत में अर्थव्यवस्था की क्या हालत है. हैम्बर्ग और जारलैंड में कमी साढ़े 12 प्रतिशत से ज्यादा रही है, जबकि राजधानी बर्लिन से सटे ब्रांडेनबुर्ग में सिर्फ 2.8 प्रतिशत. यह इसलिए भी है कि कृषि क्षेत्र में हालत उतनी खराब नहीं रही. उसमें एक साल पहले के मुकाबले 500 ज्यादा किशोरों को प्रशिक्षण का मौका मिला. उद्योग और व्यापार में 12 प्रतिशत की कमी और कारीगरी में 6.6 प्रतिशत की. कोरोना महामारी का असर खासकर उद्योग और व्यापार पर पड़ा है.
व्यावसायिक प्रशिक्षण का मकसद किशोरों को सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण के साथ काम के लिए तैयार करना है. दो से तीन साल के व्यावसायिक प्रशिक्षण के दौरान ट्रेनी को तनख्वाह भी मिलती है. 2018 में ट्रेनी की औसत मासिक आय 908 यूरो थी. सबसे अच्छी तनख्वाह वाले व्यवसायों में शिप मैकेनिक, नर्स, राजमिस्त्री और बीमा क्लर्क आते हैं जिन्हें पहले साल करीब 1100 और तीसरे साल में 1500 यूरो से ज्यादा मिलता है. इन नौकरियों में सालाना तनख्वाह 35 से 40 हजार यूरो होती है.
जंगल की बेरी ने दिया कमाई का रास्ता
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जर्मनी की दोहरी शिक्षा प्रणाली अपने आप में अनूठी है जिसे देश में कम बेरोजगारी दर के लिए जिम्मेदार माना जाता है. तीन साल व्यावसायिक ट्रेनिंग के कारण देश में हमेशा प्रशिक्षित कुशल कर्मी उपलब्ध रहते हैं. जर्मनी के मिटेलश्टांड के नाम से विख्यात छोटे और मझौले उद्यम इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं क्योंकि देश के 10 में 8 ट्रेनी इन्हीं उद्यमों में ट्रेनिंग पाते हैं. इस सिस्टम की वजह से जर्मनी में 2019 में 15 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर सिर्फ 5.8 प्रतिशत थी, जबकि यूरोप में यह दर 15 प्रतिशत थी. ग्रीस और स्पेन जैसे देशों में यह 30 प्रतिशत से ज्यादा है.
व्यावसायिक प्रशिक्षण एक तरह से नौकरी पाने की गारंटी है. 2018 में 71 प्रतिशत ट्रेनी को उन्हीं कंपनियों में नौकरी मिल गई जहां वे ट्रेनिंग पा रहे थे. श्रम बाजार शोध संस्थान के अनुसार 94 प्रतिशत ट्रेनी को तीन महीने के अंदर नौकरी मिल जाती है. जर्मनी में करीब 30 लाख छोटे और मझौले उद्यम हैं. देश के करीब 15 लाख ट्रेनीशिप में 80 प्रतिशत ट्रेनिंग इन्हीं उद्यमों में दी जाती है. प्रशिक्षण का बड़ा खर्च 70 प्रतिशत तक भी वही उठाते हैं. लेकिन उन्हें प्रशिक्षित कर्मचारियों की भर्ती पर कोई खर्च नहीं करना पड़ता क्योंकि 10 में सात ट्रेनी उन्ही कंपनियों में नौकरी कर लेते हैं.
सबसे ज्यादा कमाई वाले पेशे
ज्यादातर लोग अच्छी नौकरी पाने के लिए पढ़ाई करते हैं. किस विषय में कॉलेज डिग्री लेने से सबसे ऊंची सैलरी वाली नौकरी मिलेगी? फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार ये हैं वे 10 पेशे जिनमें मिलता है सबसे ज्यादा वेतन.
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सर्जन
सेहत की दुनिया के जटिल से जटिल ऑपरेशन को अंजाम देने वाले सर्जन नौकरीपेशा लोगों में सबसे ज्यादा वेतन पाते हैं. कई डॉक्टर नौकरी के अलावा अपनी निजी क्लीनिक में भी काम करते हैं. मेडिकल पेशे में खास ट्रेनिंग और बड़े रिस्क लेने की जरूरत होने के कारण इनकी सालाना कमाई भी सबसे ऊंची होती है.
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मनोचिकित्सक
फोर्ब्स की 2015 की लिस्ट में साइकोलॉजिस्ट दूसरे स्थान पर हैं. अव्वल तो गरीब लोगों की इन तक पहुंच ही नहीं होती और मानसिक समस्याओं को वैसी देखभाल भी नहीं मिलती. अमीर और समर्थ लोग ही मोटी फीस देकर इन मनोचिकित्सकों की सेवा लेते हैं.
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फिजिशियन
एक सामान्य चिकित्सक या जीपी डॉक्टरों की पूरी दुनिया में काफी मांग है. वह मरीज को देखकर तय करता है कि उसे स्पेशलिस्ट के पास जाने की जरूरत है या नहीं. अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों का प्रभुत्व है. इनकी कमाई भी अच्छी है और कैरियर में जल्दी ऊंचे पदों पर बढ़ते हैं.
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कॉर्पोरेट एक्जिक्यूटिव
बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले वरिष्ठ स्तर के कॉर्पोरेट एक्जिक्यूटिव बाजार की नई चुनौतियों और तनाव का सामना करते हैं, लेकिन उसके एवज में वे मोटी मोटी तनख्वाहें भी पाते हैं.
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डेंटिस्ट
दांतों का अच्छा डॉक्टर बनने के लिए मेडिकल डिग्री, लंबी ट्रेनिंग और सधा हुआ हाथ चाहिए. इसमें ज्ञान के साथ हाथ का हुनर और कारीगरी भी चाहिए. मेहनत वाले इस पेशे में कमाई भी उतनी ही अच्छी होती है.
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पेट्रोलियम इंजीनियर
अमेरिका के जॉब मार्केट के हिसाब से इस पेशे को कमाई में छठे नंबर पर रखा गया है. इंजीनियरिंग की तमाम शाखाओं में भी इस काम की बहुत पूछ है. बड़ी मांग के कारण कमाई भी ऊंची होती है.
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ऑर्थोडॉन्टिस्ट
ये दातों के डॉक्टरों से भी ज्यादा ट्रेनिंग लेते हैं. दांतों, जबड़ों और दोनों के जोड़ से संबंधित सर्जरी करने में भी सक्षम होते हैं. इस विशेष हुनर वाले काम के लिए इन्हें वेतन भी काम के हिसाब से ही अच्छा मिलता है.
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डाटा वैज्ञानिक
हाल के सालों में इनकी मांग खूब बढ़ी है. जितनी प्रचुर मात्रा में डाटा उपलब्ध हो रहा है, उनके विश्लेषण के लिए दक्ष विशेषज्ञों की जरूरत भी पड़ रही है. अगर जटिल आंकड़ों से खेलना पसंद है तो आप भी करें इसकी पढ़ाई और खूब पैसे कमाएं.
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एयर ट्रैफिक कंट्रोलर
हालांकि पहले के मुकाबले इन एक्सपर्ट्स की मांग कुछ कम हुई है. एयर ट्रैफिक से जुड़ी कई चीजों को ऑटोमेटिक कर दिया गया है लेकिन फिर भी इस पेशे में कार्यरत लोगों की कमाई इस समय बहुत ऊंची है.
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फार्मासिस्ट
इनकी भी हर जगह जरूरत है. मांग में बने रहने के कारण फार्मासिस्ट अच्छी सैलरी भी पाते हैं. इसके लिए भी बाकायदा डिग्री लेनी होती है. मेडिकल जगत में हर समय विशेषज्ञों की मांग बनी रहती है.