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फतह और हमास में समझौता, फलीस्तीनी खुश

४ मई २०११

प्रतिद्वंद्वी फलीस्तीनी गुटों फतह और हमास के बीच मेलमिलाप के समझौते से पश्चिमी तट और गजा पट्टी में लोग बेहद खुश हैं. दोनों गुटों ने काहिरा में समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस्राएल ने नाराजगी जताई.

तस्वीर: AP

हमास के नेता खालेद मेशाल और फतह गुट के नेता और फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास समझौते के वक्त काहिरा में मौजूद थे. वहीं सैकड़ों फलीस्तीनियों ने सड़कों पर निकल कर इसका समर्थन किया. गजा में 700 लोग मार्च करते हुए गुमनाम सैनिकों के चौक की तरफ गए. उनके हाथों में दोनों गुटों के पीले और हरे झंडे थे. जश्न के माहौल में कई लोग पटाखे भी चलाते दिखे.

चार साल से जारी मतभेदों को पीछे छोड़ते हुए दोनों गुट फिर एक साथ खड़े हो गए हैं. मेलमिलाप के समझौते में एक अंतरिम सरकार के गठन पर जोर दिया गया है, जो अधिकृत पश्चिमी तट और हमास के नियंत्रण वाले गजा पट्टी इलाके पर शासन करेगी. यह सरकार एक साल के भीतर होने वाले संसदीय और राष्ट्रपति चुनावों की तैयारियां भी करेगी.

कितना अहम है मेलमिलाप

फलीस्तीनी लोग इस मेलमिलाप को अलग फलीस्तीनी राष्ट्र की स्थापना के लिए बहुत अहम मान रहे हैं. वह 1967 के युद्ध में इस्राएल द्वारा कब्जाए गए इलाके पर अपना अलग देश चाहते हैं. समझौते पर हस्ताक्षर के लिए हुए समारोह के उद्घाटन भाषण में अब्बास ने कहा, "हम फलीस्तीनियों के सामने घोषणा करते हैं कि हमने अपने मतभेदों के काले अध्याय को पलट दिया है. हम मिस्र से इस अच्छी खबर का एलान करते हैं जिसने फलीस्तीनी लोगों के प्रति हमेशा अपनी राष्ट्रीय और एतिहासिक जिम्मेदारी को निभाया है. काले चार सालों ने फलीस्तीनी हितों को नुकसान पहुंचाया है. अब हम एक दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ एकजुट हैं." अब्बास के बाद मेशाल ने अपनी ने अपनी बात कही. हमास के प्रमुख ने इस्राएल को अपने गुट का इकलौता दुश्मन बताया है. काहिरा में मेशाल ने कहा कि उनका गुट मेलमिलाप के लिए कोई भी कीमत चुकाने के लिए तैयार है. उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारी असली लड़ाई इस्राएल से" हैं.

तस्वीर: AP

मिस्र के खुफिया प्रमुख मुराद मुवाफी ने कहा, "यह ऐतिहासिक पल है और फलीस्तीनी लोगों की असल इच्छा का दस्तावेज है. लोगों ने एकता की तरफ अपना एक कदम बढ़ाया है."

इस्राएल नाराज, अमेरिका कूल

अब्बास के प्रवक्ता नबील रदानियाह ने बताया कि समझौते पर फतह गुट की तरफ से आजम अल-अहमद और हमास मूसा अबु मरजौक ने हस्ताक्षर किए. यह अभी साफ नहीं है कि मेशाल और अब्बास ने क्यों इस पर दस्तख्त नहीं किए. इस्राएली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने इस समझौते को खारिज किया है. उन्होंने टैक्स से मिलने वाले राजस्व को फलीस्तीनी प्राधिकरण को देने पर भी रोक लगा दी है. नेतन्याहू का कहना है कि फतह को इस्राएल या हमास में से एक चुनना होगा. इस्राएल हमास को शांति का दुश्मन मानता है.

अमेरिका ने फलीस्तीनी गुटों के समझौते पर ठंडी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने सोमवार को नेतन्याहू और फलीस्तीनी प्रधानमंत्री सलाम फय्याद से बात की है. प्रवक्ता मार्क टोनर ने वॉशिंगटन में पत्रकारों को बताया कि भविष्य में मदद से जुड़ा कोई भी कदम उठाने से पहले अमेरिका नई सरकार के गठन पर नजदीक से नजर रखेगा. अमेरिका भी हमास को आतंकवादी संगठन मानता है और चाहता है कि नई सरकार इस्राएल के साथ हुए समझौतों और उसके अस्तित्व के अधिकार को मान्यता दे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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