कोलंबिया में सरकारी सेनाओं के खिलाफ करीब 5 दशक से लड़ रहा लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना गुरिल्ला संगठन फार्क हिंसक संघर्ष को खत्म करने के लिए सहमत हुआ.
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एक शांति समझौते के तहत कोलंबिया सरकार ने सशस्त्र विद्रोही गुट फार्क के साथ सहमति बना ली है. गुरिल्ला समूह के साथ हिंसा में अब तक ढाई लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और करीब 45,000 लोग गुमशुदा हो चुके हैं. दोनों पक्षों के वार्ताकारों ने क्यूबा की राजधानी हवाना में यह घोषणा की. इसी के साथ लैटिन अमेरिका में जारी सबसे बड़े और सबसे पुराने गुरिल्ला समूह के साथ युद्ध खत्म होगा.
इन समझौतों में प्रारंभिक शर्तें हैं कि सरकार जमीन सुधार की दिशा में बड़े बदलाव करेगी, अपनी एंटी-नार्कोटिक्स रणनीति बदलेगी और देश के कई उपेक्षित इलाकों में राज्य का विस्तार करेगी. दूसरी ओर गुरिल्ला योद्धाओं को हथियार छोड़ने होंगे. समझौते का अंतिम मसौदा अभी सामने नहीं आया है.
पिछले कई सालों से फार्क सेना को कमजोर करने के सरकारी अभियानों के बाद नवंबर 2012 में इस हिंसक गुट के साथ सरकार ने वार्ता के प्रयास शुरु किए. लेकिन कई दशकों से दोनों पक्षों के बीच पसरे अविश्वास के कारण बातचीत जल्दी किसी नतीजे की ओर नहीं बढ़ सकी. सितंबर 2015 में कोलंबिया के राष्ट्रपति खुआन मानुएल सांतोज ने हवाना जाकर फार्क के खिलाफ की गई ज्यादतियों की जांच बैठा दी, गलत कामों में लगे गुरिल्लाओं को सजा दिए जाने लगी और इनकी हिंसा से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिए जाने की व्यवस्था की.
कोलंबिया का यह गृह युद्ध दुनिया के सबसे जानलेवा संघर्षों में गिना जाता है. 1964 में शुरू हुई इस लड़ाई के अंत की घोषणा करते हुए राष्ट्रपति सांतोज ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि आज मैं अपने देश को एक बहुत महत्वपूर्ण, ऐतिहासिक समाचार दे रहा हूं." अब इस एकॉर्ड को वोटरों द्वारा मंजूरी मिलनी है, जो कि 2 अक्टूबर को होगा. देश की विपक्षी पार्टी इस मौके पर वोटरों को समझौता अस्वीकार करने के लिए प्रभावित कर सकती है क्योंकि वे इसे राष्ट्रपति सांतोज के समर्थन की परीक्षा के रूप में देख रहे हैं. 2010 से लेकर अब तक के शासनकाल में राष्ट्रपति सांतोज की अप्रूवल रेटिंग इस समय अपने न्यूनतम स्तर 21 फीसदी पर है.
देश के कई लोगों को डर है कि इस समझौते के प्रभाव में आने के बाद जो गुरिल्ला लड़ाके अपनी गलती कुबूल कर लेंगे, उन्हें जेल नहीं जाना पड़ेगा या फिर अधिक से अधिक कुछ साल तक किसी प्रभावित इलाके में सामुदायिक सेवा का आदेश होगा.
करीब 7,000 की तादाद वाले फार्क लड़ाकू दस्ते में लगभग एक तिहाई महिलाएं हैं. खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, सरकारी बलों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देना और आम शहरियों के साथ घुल मिल कर उनसे ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं निकालना इनके प्रमुख काम हैं. वामपंथी विचारों वाले फार्क ने अपनी पहली लड़ाई किसानों के हक के लिए लड़ी थी. मार्क्स और चे गुएरा से प्रभावित इन योद्धाओं पर अपनी लड़ाई का खर्च निकालने के लिए ड्रग्स कारोबार करने के आरोप हैं.
कोलंबियाई गुरिल्ला योद्धाओं की झलक
लैटिन अमेरिका का सबसे बड़ा और सबसे पुराना गुरिल्ला समूह फार्क कोलंबिया में सरकारी सेनाओं के खिलाफ करीब 5 दशक से लड़ रहा है. इनकी महिला योद्धाएं बेहद खतरनाक मानी जाती हैं. कोलंबिया के जंगलों में इनके जीवन की झलकियां...
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/R. Abd
फार्क और सरकारी सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष को खत्म करने के लिए 23 मार्च तक एक शांति समझौता तैयार किए जाने का लक्ष्य है. इसमें अब तक दो लाख से ज्यादा मौतें और करीब 40,000 लोग गुमशुदा हो चुके हैं. कोलंबियाई गुरिल्ला योद्धाओं में से एक जूलियाना (तस्वीर में) का 16 साल की उम्र में उसके सौतेले पिता ने बलात्कार किया. फिर वह भाग कर फार्स में शामिल हो गयी. अब जंगलों में अलेक्सिस उसका पार्टनर है.
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करीब 7,000 की तादाद वाले फार्क लड़ाकू दस्ते में लगभग एक तिहाई महिलाएं हैं. खूफिया जानकारी इकट्ठा करना, सरकारी बलों की गतिविधियों के बारे में जानकारी देना और आम शहरियों के साथ घुल मिल कर उनसे ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं निकालना इनके प्रमुख काम हैं. हवाना की शांति वार्ता के बाद गुरिल्ला योद्धा जूलियाना राजनीति में सक्रिय होना चाहेंगी.
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फार्क की महिलाएं पूछताछ के दौरान काफी क्रूर रवैया अपनाने के लिए जानी जाती हैं. इन्हें पुरुषों के मुकाबले अपनी विचारधारा को लेकर ज्यादा कट्टर भी माना जाता है. वामपंथी विचारों वाले फार्क ने अपनी पहली लड़ाई किसानों के हक के लिए लड़ी थी. मार्क्स और चे गुएवेरा से प्रभावित ये योद्धा अपनी लड़ाई का खर्च निकालने के लिए ड्रग्स कारोबार भी करते हैं.
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कुछ साल पहले यह पता चला था कि कैसे इन गुटों में शामिल महिलाओं के गर्भवती होने का पता चलने पर उनका जबरन गर्भपात करवा दिया जाता था. अगर कोई बच्चा पैदा हो भी गया तो उसे मां से कहीं दूर ले जाया जाता था. ऐसी कई महिलाएं जो युद्ध छोड़ कर भाग निकलीं थीं, अपने खोए हुए बच्चों की तलाश में जंगलों में भटकती हैं.
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जंगलों में रहते हुए भी इन योद्धांओं की कार्यशैली काफी आधुनिक है. कास्त्रो (तस्वीर में) की ही तरह गुट की महिला सदस्य आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर बाहरी दुनिया के बराबर संपर्क में रहती हैं. हवाना में आयोजित शांति वार्ता में फार्क की ओर से कास्त्रो ने भी हिस्सा लिया था. शांति वार्ताओं को शुरु हुए करीब तीन साल हो चुके हैं.
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कम उम्र के बच्चों और बच्चियों को जबरन इस सेना में शामिल किए जाने की कई कहानियां रही हैं. लेकिन इस जंगल कैंप की तस्वीरों से ऐसा नहीं लगता. यहां लिंग के आधार पर कोई भेदभाव भी नहीं दिखता. महिला और पुरुष दोनों ही हथियार चलाने से लेकर खाना बनाने तक के सारे काम करते हैं.
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इन जंगलों में भी आमतौर पर वही खाना खाया जाता है जो कि एक गरीब दक्षिण अमेरिकी परिवार में मिलता है. चावल, अंडे, सॉसेज और बीन्स. ये अपना खाना साथ लेकर यायावरी का जीवन जीते हैं. अलेक्सिस ने बताया, "फार्क में हम पैसों को कभी हाथ नहीं लगाते, हमारे पास ड्रग्स से लेकर सिगरेट तक सब कुछ रहता है."
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41 साल के जुआन पाब्लो 35वीं फार्क फ्रंट के कमांडर हैं. पिछले 25 सालों से लड़ाई में शामिल रहे पाब्लो का मानना है, "इस लड़ाई का अंत बिना किसी विजेता के होगा." शांति समझौते के अनुसार ये गुरिल्ला योद्धा हथियार छोड़ देंगे. कोलंबिया का यह गृह युद्ध दुनिया के सबसे जानलेवा संघर्षों में गिना जाता है.