हैदराबाद के इंडस्ट्रियल इलाके में फार्मा कंपनियों के तालाब में केमिकल डालने के कारण करीब 23 लाख मछलियों की मौत हो गयी है.
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भारत में हैदराबाद के संगारेड्डी जिले के पतनचेरू के पास एक झील में फार्मा कंपनियों के केमिकल छोड़े जाने से करीब 23 लाख मछलियां मारी गयी हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार पुलिस ने फार्मा कंपनियां माइलन, हितेरो फार्मा, ऑरबिंदो, एसएमएस फार्मा, श्रीराम और वैंटेक के खिलाफ धारा 277 और 278 के तहत एफआईआर दर्ज की है.
दरअसल काजीपल्ली इंडस्ट्रियल इलाके में करीब 30 प्रमुख फार्मा कंपनियां हैं. इन कंपनियों के केमिकल अपशिष्ट को सीधे झील में छोड़ दिया गया था. 266 एकड़ में फैले इस तालाब की 70 से 80 प्रतिशत मछलियां केमिकल की वजह से मारी गयी हैं.
जलवायु परिवर्तन और लगातार बढ़ते प्रदूषण की वजह से बड़ी संख्या में मछलियों के बारे जाने की घटनायें बार-बार सामने आती हैं. पिछले साल तमिलनामडु के तट पर दर्जनों मरी हुई व्हेल मिली थीं. उसी दौरान भारत से हजारों किलोमीटर दूर जर्मनी और हॉलैंड के तटों पर भी 12 व्हेल मछलियां मृत पाई गईं थीं.
समुद्रों पर मंडराते पांच खतरे
धरती के दो-तिहाई हिस्से पर समंदर का राज है. समंदर न सिर्फ जीवों को बल्कि इंसानों को भी भोजन, ऊर्जा और अन्य संसाधन उपलब्ध कराता है. लेकिन अब पानी के अंदर की यह दुनिया मानवीय क्रियाकलापों के चलते खतरे में नजर आ रही है.
तस्वीर: Imago/OceanPhoto
मछलियों की कमी
दुनिया के तमाम देशों में लोगों का मुख्य आहार मछलियां और सीफूड है. खाने-पीने की ये आदतें कम आय वाले देशों में अधिक नजर आती हैं. अब लोग पहले के मुकाबले अधिक मछलियां और समुद्री जीवों का सेवन करते हैं और अब मांग की भरपाई प्राकृतिक तरीकों से करना मुश्किल है. लेकिन इस मानवीय आदत ने समुद्री जीवों के अस्तित्व पर सवाल उठा दिये है.
तस्वीर: Imago/OceanPhoto
समुद्रों में बढ़ता अम्ल
औद्योगिकीकरण के बाद देश-दुनिया में कार्बन उत्सर्जन एक बड़ा मसला बन कर उभरा है. वातावरण में कार्बन डॉयआक्साइड का स्तर 40 फीसदी बढ़ा है और इसका एक बड़ा हिस्सा समंदर में भी घुल गया है. समंदर में कार्बन डॉयआक्साइड का बढ़ता स्तर अम्लीकरण करता है जिससे इसकी पीएच वैल्यू में गिरावट आती है. मतलब अब समंदर बेसिक से ज्यादा एसिडिक हो रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बढ़ता प्रदूषण
बढ़ती आबादी और कचरे प्रबंधन के अभाव ने समंदर में कचरे के स्तर को बढ़ा दिया है. समुद्र अब जहाजों और तटीय इलाकों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए कचरा डालने का बड़ा ठिकाना बन गये हैं. हालांकि अब लोगों में जागरुकता जरूर बढ़ी है लेकिन अब भी टनों कचरा यहां फेंका जाता है. इस कचरे को खाना समझकर जीव खा लेते हैं और इनकी मौत हो जाती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Thompson
गर्म होती दुनिया
समुद्र न सिर्फ कार्बन डॉयआक्साइड का भंडारण कर लेते हैं बल्कि यह ताप को भी सोख लेते है. मानवीय क्रियाओं से उत्सर्जित होनी वाली कार्बन डॉयआक्साइड की तकरीबन 93 फीसदी गर्मी और ताप को ये समंदर सोख लेते हैं और पानी को तापमान बढ़ा देते हैं. पानी का बढ़ता तापमान समुद्री जीवों और खासकर कोरल्स के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है.
तस्वीर: XL Catlin Seaview Survey
संसाधनों की चाह
पानी के भीतर की यह दुनिया सिर्फ समुद्री जीव-जंतुओं का घर ही नहीं है बल्कि यहां कई संसाधन भी उपलब्ध है. मसलन समुद्र के अंदर मैग्नीज अलग-अलग रूपों में मिलता है जिसका इस्तेमाल स्टील में किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक जमीन की तुलना में समुद्र के अंदर 7 अरब टन अधिक मैग्नीज उपलब्ध है. लेकिन इसे निकालने की प्रक्रिया समुद्री जीवन के लिए खतरा बनी हुई है. रिपोर्ट-ब्रिगिटे ओस्टेराथ/एए