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फिर पैगंबर के कार्टून छाप रहा है शार्ली एब्दो

१ सितम्बर २०२०

2015 में कुछ इस्लामी बंदूकधारियों ने फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो की संपादकीय टीम को एक हत्याकांड में खत्म कर दिया था. शार्ली एब्दो एक बार फिर विवादित कार्टून छाप रहा है.

Frankreich Gedenken Charlie Hebdo | Je suis Charlie
तस्वीर: picture-alliance/Hollandse Hoogte/J. van Gennip

उस हमले के कथित सहयोगियों पर मुकदमा शुरू होने के मौके पर पत्रिका ने पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दोबारा छापने की बात कही है. पत्रिका के निदेशक लॉरां रिस सुरिसे ने शार्ली एब्दो के ताजा अंक के संपादकीय में लिखा है, "हम कभी नहीं झुकेंगे, हम कभी पीछे नहीं हटेंगे." इसी अंक में कार्टून दोबारा छापे जा रहे हैं.

फ्रांस के सबसे मशहूर कार्टूनिस्टों समेत 12 लोगों की 7 जनवरी 2015 को नरसंहार में जान ले ली गई. दो भाइयों साएद और शेरिफ कुआशी ने पेरिस में पत्रिका के दफ्तर में घुस कर अंधाधुंध गोलीबारी की. इन दोनों ने एक पुलिसकर्मी की भी जान ली और खुद को अल कायदा से जुड़ा बताया. इन लोगों ने गोलीबारी के बाद कहा, "हमने पैगंबर का बदला ले लिया."

इस दौरान एक यहूदी सुपरमार्केट को भी निशाना बनाया गया. अगले कई दिनों तक अलग अलग जगहों पर हमले होते रहे. सुपरमार्केट में अमेदी कुलबेली नाम के एक शख्स ने चार लोगों को बंधक बनाया और फिर उनकी हत्या कर दी. आखिरकार कुल मिला कर 17 लोगों की हत्या हुई. कुलबेली और ये दोनों भाई पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारे गए. इन लोगों को हथियार और दूसरी तरह की कथित मदद देने वाले 14 लोगों का पुलिस ने पता लगाया. इन्होंने खुद को इस्लामिक स्टेट से जुड़ा बताया. इन्हीं 14 लोगों के खिलाफ पेरिस में बुधवार से मुकदमा शुरू हो रहा है. इनमें एक महिला भी शामिल है.

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शार्ली एब्दो के ताजा अंक के कवर पर दर्जन भर कार्टून छापे गए हैं. इन्हें सबसे पहले 2005 में डेनमार्क के अखबार ज्युलैंड पोस्टेन ने छापा था. इसके बाद 2006 में इन्हें शार्ली एब्दो ने छापा. कार्टूनों के छपने के बाद दुनिया भर में बवाल हुआ. कवर के मध्य में काबू के नाम से मशहूर कार्टूनिस्ट जाँ काबु का बनाया कार्टून है. काबू की भी इस नरसंहार में मौत हुई. पहले पन्ने की हेडलाइन है, "ऑल ऑफ दिस जस्ट फॉर दैट (यह सब बस इसके लिए हुआ)." मुसलमान पैगंबर मुहम्मद की तस्वीर या कार्टून को ईशनिंदा के रूप में देखते हैं.

शार्ली एब्दो अलग अलग धर्मों के नेताओं का कार्टून बनाने को अभिव्यक्ति की आजादी मानता है और अकसर यह काम करता है. पत्रिका में इन कार्टूनों को बार बार छापा जाता है.

शार्ली एब्दो के संपादकों की याद में दीवार पर बनी तस्वीरेंतस्वीर: DW/L. Louis

पत्रिका की संपादकीय टीम का कहना है कि अब यह उन कार्टूनों को दोबारा छापने का सही समय है. उनके मुताबिक मुकदमा शुरू होने के लिहाज से अब यह "जरूरी" है. टीम ने लिखा है, "जनवरी 2015 के बाद हमसे अकसर मोहम्मद के दूसरे कार्टूनों को छापने के लिए कहा जाता रहा. हम हमेशा यह करने से मना करते रहे. इसलिए नहीं क्योंकि इस पर कोई रोक है, कानून हमें ऐसा करने की इजाजत देता है. हमें ऐसा करने के लिए किसी मकसद की जरूरत थी, ऐसा मकसद जिसका कोई अर्थ हो और जिसे लेकर बहस की जा सके." पत्रिका के दोबारा कार्टून छापने के फैसले ने उसे फ्रांस में बहुत से लोगों के लिए बोलने की आजादी का अगुआ बना दिया. हालांकि बहुत से लोग मानते हैं कि वह जरूरत से ज्यादा अपनी हदों से पार जाता है.

इन सबके बाद भी नरसंहार ने लोगों को दुख की घड़ी में एकजुट किया. बहुत दिनों तक #JeSuisCharile(आइ एम शार्ली) वायरल होता रहा. 

एनआर/एमजे(एपी, एएफपी)

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