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फिर लिखना होगा मानवजाति का इतिहास

९ जून २०१७

होमो सेपियन्स के मोरक्को में मिले जीवाश्म मानवजाति के इतिहास को फिर से लिखेंगे. इस नयी खोज का मतलब है कि इंसान के पूर्वज समझे जाने वाले होमो सेपियन्स के धरती पर होने के सबूत 2 लाख नहीं बल्कि 3 लाख साल पहले से मौजूद हैं.

Max Planck Institut - Homo sapiens älter als gedacht
तस्वीर: picture-alliance/MPI EVA Leipzig/Philipp Gunz

मोरक्को के पास एक पुरातात्तविक भूभाग पर शोधकर्ताओं को एक खोपड़ी, चेहरे और जबड़े की हड्डियां मिली, जिनकी पहचान 315,000 साल पहले के होमो सेपियन्स के तौर पर की गयी हैं. अभी तक की खोज के अनुसार होमो सेपियन्स का उद्भव 2 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका का माना जाता रहा है, लेकिन नयी खोज के मुताबिक 3 लाख साल पहले ही होमो सेपियन्स के उत्तर अफ्रीका में विकास के सबूत मौजूद हैं.

एक बार फिर से सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने अपनी अत्याधुनिक तकनीकों के जरिये डायरेक्ट-डेटिंग की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई है. डायरेक्ट डेटिंग वह प्रक्रिया होती है जिसमें पुरातत्व-जीव विज्ञान में जंतुओं और पौधों के प्राप्त अवशेषों के आधार पर जीवन काल या समय चक्र का निर्धारण किया जाता है. 

विज्ञान पत्रिका ‘नेचर' में छपी इस रिपोर्ट के मुताबिक इस खोज का यह मतलब नहीं है कि होमो सेपियन्स का उद्भव उत्तर अफ्रीका में हुआ बल्कि इसे ऐसे समझा जाना चाहिए कि शुरुआती होमो सेपियन्स का विकास और फैलाव इस पूरे महाद्वीप में हुआ था.

इस खोज के लिए एक पूरी रिसर्च टीम ने काम किया जिसका नेतृत्व प्रोफेसर जाँ जाक हुबलिन और डॉक्टर अब्दल्लाउद बेन नासर ने किया. प्रोफेसर जीन जर्मनी के लाइपजिग शहर में माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एन्थ्रोपोलॉजी में प्रोफेसर हैं और डॉक्टर बेन मोरक्को के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्कियोलॉजी एंड हेरिटेज में काम कर रहे हैं. दोनों शोधकर्ताओं ने जेब इरहाउंड में मिली होमो सेपियन्स की हड्डियों पर काम किया है.

हुबलिन पहली बार 1980 में जेब इरहाउन्ड पहुंचे थे, जब उन्हें वहां से मिली बच्चे की जबड़े की हड्डी का एक हिस्सा दिखाया गया था. वहां 1961 में इंसान की एक पूरी खोपड़ी खोजी जा चुकी थी. कुछ समय बाद वहां खुदाई करने पर खोपड़ी की कुछ और हड्डियां और पत्थर के औजार और मानव उपस्थिति के कुछ और सबूत भी मिले थे.

डॉक्टर हुबलिन के अनुसार वो हड्डियां इतनी पुरानी थीं कि उन्हें देखकर पहली बार में कुछ भी समझना मुश्किल था. उस बारे में कई अंदाजे लगाए थे और पहली बार में सोचा गया था कि वे हड्डियां 40 हजार साल पुरानी हैं.

अभी तक की जानकारी के मुताबिक सबसे पुराने इंसानी जीवाश्म 196,000 और 160,000 साल पुरानी इंसानी खोपड़ियां हैं. लेकिन इस रिसर्च टीम में शामिल शोधकर्ता रेनो जॉन बोयो ने ऐसी कार्यप्रणाली विकसित की जिसने प्राप्त जीवाश्म के एकदम सटीक जीवन काल पता लगाया और रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि हुबलिन की रिसर्च टीम ने जो जीवाश्म खोजे हैं वो दरअसल सबसे पुराने और 3 लाख साल पुराने हैं.

शोभा शमी

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