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फिर सिर उठा रहा है लिट्टेः भारत

२ नवम्बर २०१०

भारत सरकार ने कहा है कि तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे खुद को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहा है और वह भारत के वीआईपी लोगों को निशाना बना सकता है. इसीलिए लिट्टे पर लगे बैन को बढ़ाना सही है.

वी प्रभाकरण था लिट्टे का मुखियातस्वीर: AP

लिट्टे पर प्रतिबंध को बढ़ाने के मुद्दे की जांच परख के लिए बनाए गए एक सदस्यीय जस्टिस विक्रमजीत सेन ट्राइब्यूनल के सामने सरकार ने यह बात कही है. केंद्र सरकार ने कहा है, "लिट्टे के बचे खुचे लोग दोबारा संगठित होने की कोशिश कर रहे हैं और इनसे बेहद महत्वपूर्ण लोगों को खतरा है." अतिरक्त सॉलिसीटर जनरल अमरजीत सिंह चढ़ियोके ने कहा कि सरकार के पास संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए पर्याप्त सामग्री हैं. उन्होंने हाल में ही लिट्टे समर्थकों की तरफ से लिखे गए लेखों और भाषणों का भी जिक्र किया.

उन्होंने खासकर तमिल फिल्म निर्देशक सीमन का नाम लिया जिन्होंने लिट्टे के समर्थन में कई भाषण दिए हैं और श्रीलंका में तमिलों की लड़ाई का समर्थन किया है. 1992 में भारत सरकार ने लिट्टे पर उस वक्त प्रतिबंध लगाया था, जब संगठन के कुछ सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी.

अतिरक्त सॉलीसिटर जनरल ने 14 मई को लिट्टे पर लगे प्रतिबंध को बढ़ाने की अधिसूचना का भी बचाव किया. उनका दावा है कि लिट्टे के लोग तमिलनाडु में सक्रिय है और विस्फोटकों और संचार उपकरणों की तस्करी में शामिल है. पिछले महीने इस ट्राइब्यूनल ने चेन्नई में सुनवाई की और अलग अलग पक्षों की बात सुनी.

मई में केंद्रीय सरकार ने फैसला किया कि तमिल विद्रोही संगठन पर प्रतिबंध को और दो साल के लिए बढ़ाया जाएगा. दरअसल गृह मंत्रालय को रिपोर्टें मिली थीं कि लिट्टे के कुछ सदस्य संगठन को दोबारा खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. मंत्रालय के मुताबिक लिट्टे भारत के लिए खतरा बन सकता है क्योंकि इससे हमदर्दी रखने वाले इंटरनेट के जरिए भारत के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं.

अमेरिका सहित कई देशों ने लिट्टे को आंतकवादी संगठनों की सूची में रखा गया है. पिछले साल श्रीलंकाई सेना ने लिट्टे का सफाया कर तीन दशकों से चल रहे गृह युद्ध का खात्मा किया.

रिपोर्टः पीटीआई/एमजी

संपादनः ए कुमार

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