फिर हिंसक हुआ असम-मिजोरम सीमा विवाद
१९ अक्टूबर २०२०सीमावर्ती इलाकों में शनिवार देर शाम हुई हिंसा व आगजनी में कई दुकानें जला दी गईं और कम से कम चार लोग घायल हो गए. दोनों राज्यों ने इस बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय से शिकायत की. केंद्र ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सोमवार को दोनों राज्यों के मुख्य सचिव के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक की है. इसकी अध्यक्षता केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने की. इस मुद्दे पर आगे भी बातचीत जारी रहेगी. दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद लंबे अरसे से चल रहा है. सीमा विवाद के मुद्दे पर इसी महीने दो बार हिंसक झड़पें हो चुकी हैं. मिजोरम की 164.6 किमी लंबी सीमा असम से लगी है.
ताजा घटना
कछार जिले से लगे सीमावर्ती इलाके में ताजा हिंसा में कम से कम चार लोग घायल हो गए और कई दुकानें जला दी गईं. शनिवार शाम को लाठियों और डंडों से लैस असम के कुछ लोगों ने कछार जिले के सीमावर्ती गांव के बाहरी इलाके में स्थित ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास कथित तौर पर एक समूह पर पथराव किया. उसके बाद मिजोरम के कोलासिब जिले के सीमावर्ती वैरांग्टे गांव के लोग भी भारी तादाद में मौके पर पहुंचे और उन्होंने जवाबी हमला शुरू कर दिया. घंटों तक चली इस हिंसक झड़प में मिजोरम के चार लोगों समेत कई लोग घायल हो गए. गंभीर रूप से घायल एक व्यक्ति को कोलासिब जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, दोनों राज्यों ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में भारी तादाद में सुरक्षा बल के जवानों को तैनात कर दिया है. इलाके में कुछ दिनों से जारी तनाव को देखते हुए पहले से ही धारा 144 लागू है.
मिजोरम में कोलासिब जिले के पुलिस उपायुक्त एच लालथंगलियाना बताते हैं, "इलाके में लागू निषेधाज्ञा के बावजूद वैरांग्टे गांव की नाराज भीड़ ने नेशनल हाइवे के किनारे बनी लगभग 20 अस्थायी झोपड़ियों और दुकानों को आग लगा दी. यह असम के लैलापुर गांव के लोगों की थीं.”
मुख्यमंत्रियों की बातचीत
इस घटना के बाद असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल ने फोन पर मिजोरम के मुख्यमंत्री से बातचीत करके विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया. मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने भी सोनोवाल को शांति बहाल करने का भरोसा दिया है. जोरमथांगा ने कैबिनेट की बैठक बुला कर हिंसा से उपजी स्थिति पर विचार-विमर्श किया. दूसरी ओर, सोनोवाल ने प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी इस घटना से अवगत कराया.
असम सरकार ने कहा है कि फिलहाल परिस्थिति काबू में हैं और इलाके में शांति बहाल करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही भारी तादाद में पुलिसवालों को तैनात किया गया है. असम के वन मंत्री व स्थानीय विधायक परिमल शुक्लबैद्य कहते हैं, "इलाके में ऐसी घटनाएं लगभग हर साल होती हैं क्योंकि दोनों ही तरफ के लोग अवैध तरीके से पेड़ काटते हैं.” मुख्यमंत्री सोनोवाल के निर्देश पर परिमल ने रविवार को लैलापुर का दौरा किया और लोगों से बातचीत की. असम सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह घटना समुदायों में अशांति पैदा करने के लिए उपद्रवियों की करतूत थी.
मिजोरम के कोलासिब जिले का वैरांग्टे गांव राज्य के उत्तर में है. यहां से होकर गुजरने वाला नेशनल हाइवे-306 ही मिजोरम को असम के कछार इलाके से जोड़ता है. कछार के पुलिस अधीक्षक भंवर लाल मीणा बताते हैं, "हिंसा की खबरें मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात पर काबू पा लिया. भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं.” उधर, मिजोरम के गृह मंत्री लालछमलियाना कहते हैं, "सीमा पर भारी तादाद में बांग्लादेशी घुसपैठिए रहते हैं. इनकी तादाद लगातार बढ़ रही है. यह लोग अक्सर हिंसा भड़काते रहते हैं.”
पुराना है सीमा विवाद
दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद बहुत पुराना है. मिजोरम सरकार ने असम से लगी सीमा के पुनर्निधारण की मांग उठाई है. उसकी दलील है कि बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीआईएफआर), 1873 और वर्ष 1993 के लुसाई हिल्स नोटिफिकेशन के इनर लाइन के आधार पर सीमा दोबारा निर्धारित की जानी चाहिए. बीईएफआर के तहत अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड को यह अधिकार है कि वे इनर लाइन परमिट के बिना बाहरी व्यक्ति को वहां जाने व रहने से मना कर सकते हैं. वर्ष 1972 में केंद्र शासित प्रदेश और 1987 में पूर्ण राज्य का का दर्जा मिलने से पहले मिजोरम को असम के लुसाई हिल्स जिले के तौर पर जाना जाता था.
मिजोरम के गृह मंत्री लालछमलियाना बताते हैं, "हमने असम के साथ सीमा के पुनर्निधारण के लिए बीते साल 15 दिसंबर को केंद्रीय गृह सचिव को एक पत्र भेजा था. उम्मीद है केंद्र इस समस्या के समाधान के लिए शीघ्र कदम उठाएगा.” मिजोरम की कुल 164.6 किमी लंबी सीमा असम से लगी है. इसमें से 123 किमी दक्षिणी असम में है. मिजोरम का दावा है कि उसके 509 वर्गमील इलाके पर असम ने कब्जा कर लिया है. इस मुद्दे पर पहले भी कई बार हिंसक झडपें हो चुकी हैं. मार्च 2018 में जोफाई में हुई हिंसा में दर्जनों लोग घायल हो गए थे. उसके बाद इस महीने की नौ तारीख को भी असम के करीमगंज और मिजोरम के मामित जिले की सीमा पर भी हिंसा हुई थी.
पूर्वोत्तर राज्यों के बीच आपसी सीमा विवाद कोई नया नहीं है. दरअसल आजादी के समय पूरा इलाका असम में था. उसके बाद प्रशासनिक सहूलियत के लिए समय-समय पर कई हिस्सों को अलग राज्य का दर्जा दिया जाता रहा. लेकिन कोई भी राज्य सीमा निर्धारण को मानने को तैयार नहीं है. यही वजह है कि मिजोरम के अलावा मेघालय और नागालैंड के साथ भी असम का सीमा विवाद अक्सर हिंसक रूप लेता रहा है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि दशकों पुराने इस विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र को तमाम पक्षों के साथ बातचीत एक स्थायी समाधान तलाशने की पहल करनी चाहिए. एक पर्यवेक्षक लिटन दास कहते हैं, "इलाके के राज्यों में सीमा को लेकर अक्सर होने वाली हिंसा उग्रवाद और पिछड़ेपन के लिए पहले से ही कुख्यात पूर्वोत्तर इलाके के विकास में सबसे बड़ी बाधा बनती जा रही है. इलाके में शांति बहाल करने के लिए इस समस्या का शीघ्र निपटारा जरूरी है.”
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