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समाज

फिल्मों और वेब सीरीज से आहत होने लगी हैं भावनाएं

समीरात्मज मिश्र
२२ जनवरी २०२१

अमेजॉन प्राइम की वेब सीरीज 'तांडव' को लेकर विवाद अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि अब ‘मिर्जापुर’ पर विवाद खड़ा हो गया है. वेब सीरीज के खिलाफ मिर्जापुर में केस तो दर्ज हुआ ही है, सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटिस जारी किया है.

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तस्वीर: IANS/Amazon

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री पर नियंत्रण की मांग करने वाली याचिकाओं के साथ होगी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामा सुब्रमण्यम की बेंच ने यह नोटिस जारी किया है.

वेब सीरीज मिर्जापुर पर आरोप है कि इसके जरिए पूर्वी यूपी के अहम शहर मिर्जापुर की छवि को बदनाम किया जा रहा है. ये भी आरोप लगाया गया है कि एक युवक को इसलिए दूसरे राज्य में नौकरी नहीं मिली क्योंकि वो मिर्जापुर का रहने वाला था और इसके पीछे इस वेब सीरीज के जरिए मिर्जापुर की कथित तौर पर बनाई गई खराब छवि है. मिर्जापुर जिले के रहने वाले अरविंद चतुर्वेदी ने निर्माताओं के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई है.

वेब सीरीज का विरोध करने वालों का कहना है कि सीरीज में मिर्जापुर को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है जिससे इस जगह की छवि खराब हुई है और धार्मिक, क्षेत्रीय और सामाजिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया गया है. मामले में मिर्जापुर वेब सीरीज से जुड़े रितेश साधवानी, फरहान अख्तर और भौमिक गोडलिया और अमेजन प्राइम पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है. वेब सीरीज मिर्जापुर का दूसरा सीजन अक्तूबर में रिलीज हुआ था और उस वक्त भी खूब विवाद हुआ था. सोशल मीडिया पर इसके बायकॉट की मांग भी उठी थी. मिर्जापुर वेब सीरीज का पहला सीजन साल 2018 में रिलीज हुआ था और वह सीरीज भी विवादों से अछूती नहीं थी.

राज्यों की पुलिस में विवाद

इस बीच इस तरह के मुकदमे विभिन्न राज्यों की पुलिस के बीच भी विवाद का कारण बन रही है. 'मिर्जापुर' वेब सीरीज पर दर्ज मामले की जांच करने पहुंची यूपी पुलिस की मुंबई में पुलिसकर्मियों से नोकझोंक हो गई. यूपी पुलिस अभिनेता फरहान अख्तर के घर पूछताछ के लिए पहुंची थी लेकिन मुंबई पुलिस ने उसे ऐसा करने से रोक दिया. नियमों के मुताबिक किसी दूसरे राज्य से आए हुए पुलिसकर्मियों को मुंबई में किसी भी केस की जांच के लिए मुंबई पुलिस के नोडल ऑफिसर की इजाजत लेनी होती है.

गुरुवार सुबह भी यूपी पुलिस के अधिकारी मुंबई के अंधेरी में स्थित डीसीपी क्राइम ब्रांच के दफ्तर पहुंचे लेकिन कथित तौर पर उन्हें मुंबई पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिला. इसके बाद मिर्जापुर से आए पुलिस अधिकारी सीधे फरहान अख्तर से पूछताछ करने पहुंच गए लेकिन मुंबई पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया. पहले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से संबंधित मामले में भी बिहार और मुंबई पुलिस के बीच विवाद हुआ था.

कुछ अन्य वेब सीरीज पर विवाद

इससे पहले वेब सीरीज तांडव को लेकर भी हंगामा हुआ था और आखिरकार सीरीज निर्माताओं को माफी भी मांगनी पड़ी लेकिन सीरीज के खिलाफ लोगों का गुस्सा अभी भी शांत नहीं हुआ है और लोग इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं. यूपी की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में वेब सीरीज के निर्माता-निर्देशकों समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. उसके बाद मध्य प्रदेश के जबलपुर में भी केस दर्ज किया गया है.

वहीं शुक्रवार 22 जनवरी को रिलीज हुई फिल्म मैडम चीफ मिनिस्टर को लेकर भी भावनाओं से खिलवाड़ करने जैसे आरोप लगने लगे हैं. आपत्ति जताने वालों का कहना है कि फिल्म में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री और बीएसपी नेता मायावती की कहानी दिखाई गई है जिसमें कई आपत्तिजनक और गलत बातें हैं. हालांकि फिल्म निर्माताओं का कहना है कि इस फिल्म में किसी एक नेता के जीवन पर आधारित कहानी नहीं है बल्कि फिल्म की कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है.

खास हितों के लिए विरोध

फिल्म जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी भी फिल्म पर कथित तौर पर भावनाएं भड़काने के जो आरोप लगते हैं वो कहीं न कहीं कुछ वर्ग विशेष के हितों से प्रभावित होते हैं. फिल्म अभिनेता और थियेटर कलाकार इमरान जाहिद कहते हैं कि कई ऐसी फिल्में हैं जिनमें भगवान का मजाक उड़ाया गया है लेकिन उन फिल्मों की कोई चर्चा नहीं करता है. इमरान जाहिद उदाहरण के लिए फिल्म ‘ओ माई गॉड' का जिक्र करते हैं जिसमें कांजीलाल मेहता भगवान, खुदा और गॉड के अस्तित्व पर ही सवाल उठाते हैं.

फिल्म समीक्षकों का कहना है कि कई बार किसी फिल्म या वेब सीरीज पर विवाद एक व्यावसायिक रणनीति के तहत पैदा किया जाता ताकि उसकी जमकर चर्चा हो और विरोध ही सही, फिल्म खूब देखी जाए. कई फिल्मों के मामले में ऐसा देखा भी गया है. फिल्में औसत दर्जे की ही रहीं, लेकिन विवादों के चलते दर्शकों तक अपनी अच्छी पहुंच बनाने में कामयाब रहीं.

बोलने की आजादी या साजिश

हालांकि विवादों के पीछे साजिश देखने वालों की भी कमी नहीं है. फिल्म निर्देशक कहते हैं कि आपत्तिजनक कंटेंट और दृश्य डालकर जानबूझकर विवाद पैदा किया जाता है और अभिव्यक्ति की आजादी का नाजायज फायदा उठाया जाता है. उनके मुताबिक, फिल्म बनाने वालों को भी इस बारे में सोचना चाहिए.

विवेक अग्निहोत्री कहते हैं, "बोलने ‌की आजादी ठीक है लेकिन यह तब गलत होता है जब इसका इस्तेमाल किसी देश, समाज, संस्कृति और धर्म या जाति के खिलाफ किया जाता है. मुझे तो लगता है कि यह सब किसी साजिश के तहत हो रहा है. वेब सीरीज के मामले में ओटीटी प्लेटफॉर्म को एक राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.”

मिर्जापुर वेब सीरीज के दोनों सीजन और तांडव अमेजन प्राइम वीडियो पर ही रिलीज हुए हैं. मिर्जापुर में यूपी के मिर्जापुर जिले की राजनीति में हिंसा के प्रभाव को दिखाया गया है. अभिनेता पंकज त्रिपाठी, अली फजल, दिव्येंदु शर्मा, श्वेता त्रिपाठी ने इसमें अभिनय किया है. जबकि तांडव में हिंदू देवताओं पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों के खिलाफ ऐतराज जताया गया है.

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