तापसी पन्नू ने कहा है कि उनकी फिल्म मुल्क "सच्ची देशभक्ति और राष्ट्रवाद" को दर्शाती है और जिनको इस फिल्म से तकलीफ है उन्हें अपनी सोच को बदलने की, "दिमाग को खोलने की" जरूरत है.
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बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी ने आईएएनएस को ई-मेल के जरिए दिए साक्षात्कार में कहा, "फिल्म में सच्ची देशभक्ति और राष्ट्रवाद को दिखाया गया है और अगर किसी को इस फिल्म से तकलीफ है, तो शायद उसका दिमाग इतना खुला नहीं है कि वह दूसरे पक्ष के विचारों को भी समझ सके. जिस किसी को भी इससे समस्या है, वह समस्या दरअसल उसके दिमाग में है."
तापसी ने आगे कहा, "मैं समझती हूं कि इस फिल्म में हम जो कहना चाह रहे हैं, उसे देखने के लिए आपको खुली मानसिकता की जरूरत होगी. मुल्क में हमने किसी समुदाय की आलोचना नहीं की है और ना ही हमने कहा कि कोई समुदाय अच्छा या बुरा है. हमने बस सच्चाई दिखाई है और निर्णय दर्शकों पर छोड़ दिया है."
यह पूछे जाने पर कि यह फिल्म कैसे लोगों की मानसिकता बदलने में सहयोग देगी, तापसी ने कहा कि उनका उद्देश्य उपदेश देना नहीं है. उन्होंने कहा, "समुदाय, धर्म और जाति को लेकर काफी पूर्वाग्रह हैं. इस फिल्म में हमने दर्शाया है कि यह पूर्वाग्रह गलत हैं. हमारे दिमाग में कई सालों के दौरान भरे गए इन पूर्वाग्रहों ने क्या किया है और कैसे इसका कुछ लोगों को फायदा मिलता है."
तापसी आगे कहती हैं, "सालों से हमें बताया जा रहा है कि कुछ समुदायों को विशिष्ट तरीके से देखा जाना चाहिए. तो, मुझे लगता है कि हमें इसके पीछे के तर्क पर सवाल उठाना चाहिए. मुल्क इस तर्क पर और यह क्यों शुरू हुआ, इस पर सवाल उठाती है और इसे तुरंत बदलने की जरूरत बताती है."
फिल्म के संदेश के बारे में वे कहती है, "हमें उम्मीद है कि इस फिल्म के बाद लोग आपस में इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे, इससे जुड़े सवालों पर बात करेंगे और जवाब खोजने की कोशिश करेंगे. यह हम और आप ही हैं जो बदलाव ला सकते हैं. कोई तीसरा हमारी मदद नहीं कर सकता."
तापसी ने सिनेमा में कलात्मक स्वतंत्रता पर कहा, "सिनेमा भी एक प्रकार की कला है और इसे भी अभिव्यक्ति की आजादी चाहिए. यह जिम्मेदारी का काम है लेकिन जब हम इसे करते हैं, तो हमें मीडिया और जनता का समर्थन मिलना चाहिए क्योंकि हम समाज में मौजूद मुद्दों को उठाने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए सिनेमा को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए ताकि निर्देशक और लेखक जो महसूस करत हैं, उसे पर्दे पर दर्शा पाएं. फिर यह दर्शकों का फैसला है कि आप उसे वास्तव में देखना चाहते हैं या नहीं. यह एक लोकतांत्रिक मुल्क है और लोग जो चाहें, वह कर सकते हैं."
पाकिस्तान में मुल्क पर लगी रोक
पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने फिल्म को देश में बैन कर दिया है. इस पर फिल्म के निर्देशक अनुभव सिंहा ने पाकिस्तान के लोगों से निवेदन किया है कि वे गैरकानूनी तरीके से उनकी फिल्म देखें. ट्विटर पर पाकिस्तानी लोगों के नाम एक पत्र पोस्ट कर उन्होंने लिखा है, "मैं आपसे एक सवाल करना चाहता हूं. ऐसा क्यों है कि वे (सेंसर बोर्ड) नहीं चाहते कि आप ऐसी फिल्म देखें जो मिल कर रहने के बारे में बात करती है." उन्होंने आगे लिखा, "मुझे पता है, आज नहीं तो कल आप तक फिल्म पहुंच ही जाएगी. इसे जरूर देखें और मुझे बताएं कि पाकिस्तान सेंसर बोर्ड ने इसे क्यों बैन किया."
सिंहा ने अपने पत्र की शुरुआत "प्यारे पाकिस्तान के नागरिकों" से की और साथ ही लिखा कि इसके लिए उन्हें बहुत से लोग "राष्ट्रविरोधी" घोषित कर देंगे. सिंहा के अनुसार फिल्म ना ही पकिस्तान के पक्ष में बोलती है और ना ही उसके खिलाफ, बल्कि फिल्म में हिन्दू मुस्लिम एकता पर जोर दिया गया है, जिसकी जरूरत दोनों देशों को है.
निवेदिता (आईएएनएस)
इमेज से बंधे बॉलीवुड के एक्टर्स
इमेज से बंधे बॉलीवुड के एक्टर्स
फिल्मों में गुस्से की बात होगी तो सनी देओल का नाम आएगा. रोमांस की बाजी शाहरुख खान के हाथ लगेगी. देखिये कुछ खास भूमिकाओं में सबसे सटीक बैठने वाले एक्टर्स.
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दिल अच्छा, आदतें बुरी
मारपीट में शामिल रहना, पिस्तौल से फायरिंग करना और कभी कभी जज्बाती हो जाना, बॉलीवुड में जब जब ऐसे अभिनय की बात होती है तो संजय दत्त का नाम जेहन में आता है.
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गुस्सा और फाइट
इस मामले में सनी देओल से बेहतर शायद कोई नहीं. उनके चेहरे पर गुस्सा 100 फीसदी सच लगता है. लात घूसों के सहारे होने वाली फाइट में सनी देओल सबसे ज्यादा असरदार नजर आते हैं.
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फ्लर्ट
हिरोइन को रिझाना हो, झल्लाना हो या प्यार से दूर करना हो, सिनेमा के पर्दे पर यह काम अक्षय कुमार बहुत ही अच्छे करते हैं. वक्त के साथ उनके अभिनय में विविधता आई है लेकिन फ्लर्ट करने के मामले में अब भी उनका कोई सानी नहीं है.
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रहस्यमयी इंसान
इरफान खान. तमाम फिल्में देखने के बाद भी इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है कि इरफान खान अगला डॉयलॉग किस अंदाज में कहेंगे. बेहद मंझे हुए अभिनेता इरफान हर किरदार में रहस्य और नयापन फूंकने के लिए जाने जाते हैं.
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रोमांस और अंधा गुस्सा
इस मामले में शाहरुख खान का सिक्का चलता है. नायिका से हाथ फैलाकर बेपनाह मुहब्बत और इमोशनल करते हुए विदा लेना, शाहरुख ये काम बखूबी करते हैं. डर और बाजीगर जैसी फिल्मों के किंग खान ने यह भी साबित किया है कि वह पर्दे पर कैसा अंधा गुस्सा सामने ला सकते हैं.
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उलझा हुआ दोस्त
रणबीर कपूर. कॉलेज में पढ़ने वाला एक ऐसा युवा जो खुद नहीं जानता कि वह क्या करना चाहता है. वह प्यार तो करता है, लेकिन उसमें भी उलझता रहता है. पढ़ाई खत्म करने के बाद क्या करना, ये भी उसे पता नहीं. लेकिन वह गजब का दोस्त है. रणबीर कपूर का अभिनय कुछ ऐसी इमेज तैयार करता है.
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हर काम स्टाइल से
एक्टिंग के मामले में सलमान खान भले ही हल्के महसूस हों, लेकिन स्टाइल के मामले उनका जवाब नहीं. चाहे चश्मा कॉलर के पीछे लटकाना हो, बॉडी दिखानी हो या फिर जेब में हाथ डालकर डांस करना हो, सलमान युवाओं के बीच स्टाइल ऑइकन से कम नहीं.
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गोपनीय समस्याएं
मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्तर पर हर इंसान के भीतर कुछ डर छुपे होते हैं, लेकिन यह डर सच साबित हो जाएं तो? ऐसी परिस्थितियों में आयुष्मान खुराना की एक्टिंग बेजोड़ नजर आती है.
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उसूलों वाला बेसब्र इंसान
ऐसी भूमिका में नाना पाटेकर 100 फीसदी सटीक बैठते हैं. आराम से बात करते हुए अचानक भड़क जाना और एक्सप्रेस ट्रेन की तेजी से लंबा डॉयलॉग छाड़ देना यह नाना पाटेकर की खूबी है.
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ग्रीक गॉड
गजब का डांस, नफासत भरी लाइफस्टाइल और नपे तुले ढंग से डॉयलॉग डिलीवरी, ये काम ऋतिक रोशन बड़ी बखूबी कर जाते हैं. उनकी एक्टिंग में एक स्टाइल दिखाई पड़ती है.
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राइट हैंड
हीरो या गुंडे को अगर किसी ऐसे इंसान की जरूरत हो जो हंसा भी सके, लड़ भी सके और ऐन मौके पर गच्चा देकर भाग भी सके, ऐसे किरदार में अरशद वारसी बखूबी ढल जाते हैं.
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अमीर इंसान
रजत कपूर. मंझे हुए कलाकार और डायरेक्टर रजत कपूर चाहकर भी गरीब नहीं दिख पाते. उनके चेहरे में कुछ ऐसी बात है कि वह अमीर या संभ्रात ही नजर आते हैं. ऐसे रोल रजत बखूबी निभाते हैं. कुछ ऐसा ही आभास करीना कपूर देती हैं.
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पेटू इंसान
कोई भी काम कुछ खाते पीते करना, कल्लू मामा के नाम से मशहूर हुए सौरभ शुक्ला ऐसी छवि सहज ढंग से निभा जाते हैं. हांफते हुए चलना, फूलती सांस के साथ कुछ बोलना या खिसियाते हुए कोई काम करना सौरभ शुक्ला ऐसी भूमिकाओं के साथ गजब का न्याय करते हैं.
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आम इंसान
अभय देओल, विनय पाठक, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ऐसी भूमिकाओं में बड़े सटीक बैठते हैं. उनके संवाद आम समाज की भाषा और भावनाएं व्यक्त करते हैं. आम आदमी की पीड़ा, उसकी ठोकरें, बदकिस्मती रुआंसी सी खुशी या अंतहीन इंतजार का रोल निभाते हुए ये तीनों कभी निराश नहीं करते.
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सपनों में खोया इंसान
नशेड़ी, कॉमेडियन, गाली गलौच का इस्तेमाल और लोगों को बेवकूफ बनाना या ड्राइवर, गुर्गे या हसीन सपनों में खोए लड़के का अभिनय विजय राज भी बखूबी निभाते हैं.
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सनकी शातिर दुश्मन
फिल्मों में विलेन अपने शत्रु को खत्म करने के लिए पैसा, ताकत और साजिशों का खूब इस्तेमाल करते रहे हैं. आशुतोष राणा और प्रकाश राज ऐसे किरदारों को बड़े सटीक ढंग से निभाते हैं. उनकी बड़ी घूरती आंखें, हीरो के आस पास भय का माहौल बसा देती हैं.
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ऑलराउंडर
कुछ ही एक्टर्स ऐसे होते हैं जो हर किरदार में बखूबी ढल जाते हैं. अभिताभ बच्चन, नसीरुद्दीन शाह, परेश रावल, अजय देवगन, इरफान खान, कंगना रनौत, अनिल कपूर, अक्षय कुमार, केके और कोंकणा सेन शर्मा शायद इसी श्रेणी में आते हैं.