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फुकुशिमा रिएक्टर को पर्दों से ढकने की योजना

३० मार्च २०११

जापान सरकार विकिरण उगल रहे जापान के फुकुशिमा परमाणु रिएक्टर की इमारत को पर्दों से ढकने की योजना बना रही है ताकि विकिरण को बाहर आने से रोका जा सके. यूरोप के कुछ देशों में भी विकिरण पहुंचने की खबरें आ रही हैं.

तस्वीर: picture alliance/abaca

दो हफ्ते से ज्यादा समय से परमाणु संकट से जूझ रहे जापान में अब विदेशी विशेषज्ञों को बुलाया जा रहा है ताकि किसी तरह फुकुशिमा रिएक्टर पर काबू पाया जा सके. अमेरिका ने जापान को अपने रोबोट्स दिए हैं जो बहुत ज्यादा विकिरण वाली जगहों पर भी काम कर सकते हैं. इन रोबोट्स ने ईरान और अफगानिस्तान के युद्धों में अमेरिका के लिए काफी काम किया है. ये रेंग सकते हैं, तस्वीरें खींच सकते हैं और रिएक्टर की उन जगहों तक भी पहुंच सकते हैं जहां विकिरण का स्तर बहुत ज्यादा होने के कारण इंजीनियर नहीं जा पा रहे हैं.

तस्वीर: AP

फ्रांस भी न्यूकलियर रिएक्टर बनाने वाली कंपनी अरेवा के विशेषज्ञों का एक दल जापान भेज रहा है जो जापानी विशेषज्ञों की मदद करेगा. फुकुशिमा बिजली संयंत्र चलाने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर के अध्यक्ष मसताका शिमिजू पर इस संकट का काफी बुरा असर हुआ है. 66 साल के शिमिजू को मंगलवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनका ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया है.

बढ़ता जा रहा है स्तर

प्रशांत महासागर के पानी में आयोडीन-131 का स्तर अब सामान्य सीमा से 3355 गुना तक बढ़ चुका है. कुछ दिन पहले यह 1850 गुना था और तब भी विशेषज्ञों ने चिंता जताई थी. परमाणु सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता हिदेहिको निशियामा ने बताया, "आंकड़े और ज्यादा बढ़ रहे हैं. हमें जितनी जल्दी हो सके इसकी वजह खोजकर इन्हें रोकना होगा."

परमाणु विकिरण अब हवा में भी फैल चुका है. फुकुशिमा के आसपास के खेतों तक विकिरण का असर हो रहा है जिसका मतलब होगा खाने में विकिरण की मौजूदगी. इस बात से यूरोप में भी काफी चिंता है. ब्रिटिश मीडिया में इस तरह की खबरें हैं कि ब्रिटेन के कई शहरों में विकिरण की मौजूदगी पाई गई है. हालांकि खबरों में कहा गया है कि इसका स्तर खतरनाक नहीं है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

चैनल 4 न्यूज के मुताबिक ग्लासगो में निम्न स्तर का विकिरण पाया गया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है. चैनल 4 की वेबसाइट ने स्कॉटिश पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (सेपा) के डॉ. जेम्स गेमिल के हवाले से लिखा है, "आयोडीन का जो स्तर पाया गया है वह बहुत कम है. इससे लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. बल्कि इससे तो यह पता चलता है कि ब्रिटेन में विकिरण की जांच का स्तर कितना अच्छा है कि उसने निम्न स्तर के रेडिएशन का भी पता लगा लिया."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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