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फुटबॉल के जरिए युवकों को लुभाने की पहल

प्रभाकर मणि तिवारी (संपादन: एस गौड़)२० जुलाई २०१०

आए दिन गोलीबारी और माओवादी हमलों के लिए सुर्खियों में रहने वाले लालगढ़ का नजारा सोमवार को पूरी तरह बदला हुआ था. हर शॉट और गोल पर तालियों की गड़गड़ाहट और वुवुजेला को शोर गूंजने लगता था.

तस्वीर: DW

पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से आयोजित लालगढ़ कप फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित किया गया. इलाके के बेरोजगार युवकों को माओवादी संगठन में शामिल होने से रोकने की दिशा में राज्य पुलिस की यह अनूठी पहल है. इस टूर्नामेंट के जरिए पुलिस अपनी छवि निखारने की कवायद में भी जुटी है. ध्यान रहे कि कथित पुलिस अत्याचारों के विरोध में आंदोलन के जरिए ही लालगढ़ पहली बार सुर्खियों में आया था.

इस फुटबॉल टूर्नामेंट में इलाके की आठ टीमों ने हिस्सा लिया. टूर्नामेंट जीता लालगढ़ रामकृष्ण विद्यालय की टीम ने. टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने गए पूर्णचंद्र राय को जर्मन क्लब बायर्न म्युनिख के साथ दस दिनों के प्रशिक्षण के लिए राज्य सरकार के खर्च पर जर्मनी भेजा जाएगा.

मिदनापुर रेंज के डीआईजी अनिल राय कहते हैं कि पुलिस माओवादियों का मुकाबला तो कर ही रही हैं लेकिन इलाके के युवकों के पास खेलकूद और रोजगार के कोई मौके नहीं हैं. इसलिए इस टूर्नामेंट का आयोजन किया गया है. इसे स्थानीय लोगों का भारी समर्थन मिला है. ऐसे आयोजनों से पुलिस के प्रति स्थानीय लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा.

दिलचस्प बात यह है कि जिस नक्सल नेता छत्रधर महतो ने पुलिसिया अत्याचार के खिलाफ आंदोलन की कमान थामी थी उसके पुत्र धृति महतो ने भी इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया. धृति ने कहा कि फुटबाल खेलना उन्हें अच्छा लगता है. इस टूर्नामेंट से इलाके में खेलकूद को बढ़ावा मिलेगा और वह भी आगे खेलना चाहते हैं.

टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी पूर्ण चंद्र राय की खुशियों का तो कोई ठिकाना ही नहीं है. वह कहता है कि मैंने अभी बारहवीं की परीक्षा पास की है. जर्मनी जाने का मौका मिलने से मैं बेहद खुश हूं. मैं लालगढ़ इलाके से जर्मनी जाने वाला पहला आदमी हूं. मुझे कई जर्मन खिलाड़ी पसंद हैं. मौका मिलने पर उसे मुलाकात जरूर करूंगा. लेकिन राय आगे चल कर सेना में भर्ती होना चाहता है. पश्चिम बंगाल पुलिस की यह पहल कितनी कारगर होगी, इसका पता तो बाद में चलेगा. लेकिन उसकी इस पहल ने इलाके की तस्वीर में एक नया रंग तो भर ही दिया है.

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