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फुटबॉल वर्ल्ड कप और ओलंपिक के चलते बेघर

११ मई २०११

2014 में फुटबॉल वर्ल्ड कप और 2016 में ओलंपिक खेलों के ब्राजील में आयोजित होने से सरकार को उम्मीद है कि देश की अर्थव्यवस्था की हालत थोड़ी सुधर जाएगी. लेकिन अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट्स अपने लोगों की छत छीन रहे हैं.

Titel:FKO_020797 Schlagworte:favela, human rights, menschenrechte, brasilien Für Bildergalerien: Welches gemeinsame exklusive Schlagwort bzw. welchen gemeinsamen Titel sollen die Bilder erhalten?: Favela Brasilien Wer hat das Bild gemacht?:Florian Kopp Wann wurde das Bild gemacht?:2010 Wo wurde das Bild aufgenommen?: Rio de Janeiro Bildbeschreibung: Bei welcher Gelegenheit / in welcher Situation wurde das Bild aufgenommen? Wer oder was ist auf dem Bild zu sehen?: In welchem Format soll das Bild/sollen die Bilder eingestellt werden?: Flashformat, Artikelbild ### Achtung: Ab dem 03.05.2014 nicht mehr benutzen!!! ###
कई अवैध झुग्गी बस्तियांतस्वीर: Florian Kopp

रियो डी जेनेरो के एक हिस्से में ढेर सारे मलबे के बीच सिर्फ जोस सांतोस दे ओलिविएरा का घर खड़ा है. रियो के पश्चिम में विया रिक्रेइयो 2 शहर की झुग्गी बस्ती है. यहां रहने वाले 200 परिवारों के घर जमींदोज कर दिए गए है. इन परिवारों की गलती सिर्फ एक ही है कि वह दुनिया के फुटबॉल वर्ल्ड कप और ओलंपिक खेलों के आयोजन के बीच में आ रहे हैं. इस इलाके में तीन नए बस रूट बनाए जा रहे हैं. जैसे जैसे नई योजना के हिसाब से काम आगे बढ़ रहा है नए नए अड़ंगे लग रहे हैं. ब्राजील का असमान समाज, बिना किसी प्लानिंग के बसे इस शहर में झुग्गी झोपड़ियों की भरमार हैं.

संवाद नहीं

मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले ग्रुप्स का कहना है कि गरीब निवासी अपना सब कुछ खो रहे हैं. अभी से ही यह सवाल उठने लगे हैं कि खेल के मेगा इवेन्ट्स ब्राजील के समाज में गहरे बैठे विभाजन को पाट पाएंगे या फिर उन्हें और गहरा कर देंगे.

एमनेस्टी इंटरनेशनल और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदकों ने वर्ल्ड कप और ओलंपिक के लिए हो रहे निर्माण के तहत बस्तियां तोड़ने की निंदा की है.

संयुक्त राष्ट्र के प्रतिवेदक राक्वेल रोल्निक ने पिछले महीने कहा था कि उन्हें ब्राजील के और शहरों से भी ऐसी शिकायत मिली है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के मैचों के लिए 12 में 8 शहरों में बस्तियां खत्म की जा रही हैं जिसमें साओ पाउलो भी शामिल है.

रोल्निक के मुताबिक प्रभावित लोगों से सरकार बात नहीं कर रही और उन्हें ठीक मुआवजा भी नहीं मिल रहा जबकि ब्राजील के कई इलाकों में जमीन की कीमत दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ रही है.

तस्वीर: Florian Kopp

गलत रास्ता?

ओलिविएरा का घर इसलिए अभी तक साबुत है क्योंकि उन्होंने बेदखली के खिलाफ कानूनी शिकायत दर्ज कर दी है. उन्होंने कहा कि बुलडोजरों और ट्रक्स के यहां आने से पहले किसी निवासी को शहर की प्लानिंग की मीटिंग में नहीं बुलाया गया. प्रभावित और गुस्साए निवासियों का कहना है कि वह इसलिए भुगत रहे हैं क्योंकि उन्हें किसी का समर्थन नहीं मिल रहा है और बड़ी बड़ी इमारतों के बीच उनके घर फिट नहीं होते. ओलिविएरा कहते हैं, "हम लोग हैं कचरा नहीं. हमें आर्थिक शक्तियों ने कुचल दिया है."

रियो के अधिकारियों ने कहा है कि वे तीन हजार घर जब्त कर लेंगे ताकि 39 किलोमीटर लंबी बस रूट ट्रांसकारियोका बना सके. उन्होंने यह भी दावा किया कि जब्ती की नोटिस दी जा रही हैं और वैकल्पिक निवास की व्यवस्था भी कर रहे हैं और उनकी जमीन का पैसा भी उन्हें दे रहे हैं. हालांकि झुग्गी बस्तियों के अवैध होने का मतलब है कि उन्हें जमीन के एवज में मुआवजा नहीं देना होगा.

रियो के आवासन सचिव जॉर्ग बित्तार ने कहा,"शहर बिलकुल गरीबों को हटाने की कोशिश नहीं कर रहा है." वहीं रूसेफ की लेफ्टिस्ट वर्कर पार्टी के सदस्य कहते हैं, "यह नए रूट्स कई साल की मांग को पूरा कर रहे हैं. इन बसों का इस्तेमाल करने वाले लोग गरीब ही होंगे अमीर नहीं."

चीन में भी करीब 15 लाख लोगों को बीजिंग ओलंपिक्स के दौरान विस्थापित कर दिया गया था.

विकल्पहीन

रियो की 43 साल की तानिया मारिया एल्वेस कहती हैं, "मेरे पास ज्यादा विकल्प नहीं थे क्योंकि मेरे चार बच्चे हैं. मैं सड़क पर आ जाती. तानिया ने मुआवजे के 24,700 डॉलर पास में एक घर खरीदने के लिए इस्तेमाल कर लिए."

फुटबॉल से प्यार है ब्राजीलियाई लोगों कोतस्वीर: Florian Kopp

एमनेस्टी के प्रमुख सलिल शेट्टी ब्राजील के विस्थापितों से मिले. उनंका कहना है कि मिलने वाला मुआवजा बहुत ही कम है.

दूसरे ब्राजिलाई लोगों की तरह ही सुएली अफोंसो डा कोस्टा को फुटबॉल बेहद पसंद है और अपने देश को वर्ल्ड कप में जीतते देखना उनके लिए शानदार अनुभव था. लेकिन इस विकास से वह खुश नहीं हैं. "शहर कभी हमारी मदद के लिए नहीं आया. कभी हमारी स्वास्थ्य की चिंता नहीं की. साफ सफाई कुछ नहीं. लेकिन जब नष्ट करने की बात आई तो वह हमें लूटने आ गए. हम विकास, संस्कृति और खेल का समर्थन करते हैं लेकिन इस बार वह आए और उन्होंने हमारा जीवन तहस नहस कर दिया."

रिपोर्टः रॉयटर्स/आभा एम

संपादनः उभ

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