निवर्तमान जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने किशिदा के पदभार ग्रहण करने का रास्ता साफ करते हुए अपने मंत्रिमंडल को भंग कर दिया है.
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निवर्तमान जापानी प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने अपने मंत्रिमंडल को भंग कर दिया है, जिससे फूमियो किशिदा के पदभार ग्रहण करने का रास्ता साफ हो गया है. जापान के नए प्रधानमंत्री किशिदा एक विशेष संसदीय सत्र के बाद सोमवार को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण करने के लिए तैयार हैं.
किशिदा ने पिछले हफ्ते सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रैटिक पार्टी (एलडीपी) के नेता पद का चुनाव जीता था. इस जीत के साथ ही उनका प्रधानमंत्री बनना तय था. वह संसदीय वोट के बाद प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करेंगे, जिसे औपचारिकता के रूप में माना जा रहा है. जापान की संसद के निचले सदन में एलडीपी को बहुमत प्राप्त है.
1885 में देश ने कैबिनेट प्रणाली को अपनाया था, किशिदा जापान के 100वें प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. सुगा ने पिछले साल सितंबर में ही प्रधानमंत्री पद संभाला था, जब पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. सुगा ने इसी साल सितंबर के शुरुआत में सत्तारूढ़ पार्टी के नेतृत्व के दोबारा चुनावों में हिस्सा नहीं लेना का ऐलान किया था. सुगा की लोकप्रियता उनके महामारी प्रबंधन की तीखी आलोचना के बाद गिर गई थी.
किशिदा से क्या उम्मीदें हैं?
जापान के नए प्रधानमंत्री के कंधे पर कोरोनो वायरस महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की जिम्मेदारी है. किशिदा का कहना है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए "आबेनॉमिक्स" के रूप में जाने वाले आर्थिक सुधारों को जारी रखना चाहते हैं, जो विस्तारवादी मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं.
वे इस साल के अंत तक कोरोना के कारण प्रभावित कारोबार को सहायता देने के लिए करीब 269 अरब डॉलर के बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन पैकेज को एक साथ रखना चाहता हैं.
उन्होंने पिछले दो दशकों के नव-उदारवाद से दूर हटने का वादा किया और "नए जापानी पूंजीवाद" की घोषणा की है. उन्होंने कर कानूनों में बदलाव करके और लोगों की आय बढ़ाने के उपाय पर भी काम करने की योजना बनाई है.
कैबिनेट में किसको मिलेगी जगह?
आने वाली सरकार में शीर्ष पद या तो पूर्व रूढ़िवादी प्रधानमंत्री शिंजो आबे के सहयोगियों या निवर्तमान वित्त मंत्री तारो आसो जा सकते हैं. आबे के विश्वासपात्र अकीरा अमारी एलडीपी के नए महासचिव हैं.
जापानी मीडिया का कहना है कि विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और आबे के भाई रक्षा मंत्री नोबुओ किशी अपने पद पर बने रहेंगे. किशिदा 28 नवंबर को होने वाले चुनाव में एलडीपी का नेतृत्व करेंगे.
एए/वीके (डीपीए, रॉयटर्स)
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिरने की कहानी
हिरोशिमा और नागासाकी पर 75 साल पहले गिरा परमाणु बम यूरोप और अमेरिका के वैज्ञानिकों के छह साल लंबे खुफिया मिशन का नतीजा था. इन छह सालों की कहानी तस्वीरों में देखिए...
तस्वीर: Hiroshima Peace Memorial Museum
परमाणु बम का विचार
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने 1939 में पत्र लिख कर अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी रूजवेल्ट को नाभिकीय संलयन की विनाशकारी ताकत के बारे में बताया. जर्मन रसायनविज्ञानी ऑटो हान ने इसकी खोज की थी. पत्र में कहा गया था कि इस प्रक्रिया का नतीजा "एक नए तरह का अत्यंत शक्तिशाली बम" होगा. रूजवेल्ट ने इसके बाद यूरेनियम पर सलाहकार बोर्ड का गठन किया.
तस्वीर: picture alliance/CPA Media Co. Ltd
पर्ल हार्बर पर हमला
7 दिसंबर 1941 को जापान के सैकड़ों युद्धक विमानों ने पर्ल हार्बर में मौजूद अमेरिकी बेस का ज्यादातर हिस्सा तबाह कर दिया. इस हमले में हजारों सैनिकों की मौत हुई. इसके अगले ही दिन अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध में उतरने का एलान कर दिया.
तस्वीर: AP
2 अरब डॉलर का बजट
साल 1942 में अगस्त के महीने में अमेरिका ने आधिकारिक रूप से परमाणु बम बनाने के लिए एक बेहद खुफिया कार्यक्रम का फैसला किया. इस प्रोजेक्ट का नाम बाद में मैनहटन प्रोजेक्ट रखा गया. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रपति रूजवेल्ट ने 2 अरब डॉलर का बजट दिया.
तस्वीर: picture-alliance/Everett Collection
न्यू मेक्सिको की खुफिया लैब
न्यू मेक्सिको के लॉस अलामोस की एक खुफिया लैब में बम बनाने का काम शुरू हुआ. इसके लिए रॉबर्ट ओपेनहाइमर को साइंटिफिक डायरेक्टर बनाया गया. इस प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के शीर्ष भौतिकविज्ञानियों की टीम बनी. इसके साथ ही हजारों ऐसे लोग भी काम पर लगे जो नाजी शासन से भाग कर आए थे.
1945 में 9 और 10 मार्च को अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने जापान में टोक्यो और दूसरे शहरों पर भारी बमबारी की. इस बमबारी ने केवल राजधानी में ही करीब एक लाख लोगों की जीवनलीला खत्म कर दी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
ओकिनावा की लड़ाई
26 मार्च को ओकिनावा की लड़ाई शुरू हुई. अगले तीन महीने में इस लड़ाई में एक लाख से ज्यादा जापानी सैनिकों और इतनी ही संख्या में आम लोगों की बलि चढ़ गई. 12 हजार अमेरिकी सैनिक भी मारे गए. अमेरिकी अधिकारियों ने इस लड़ाई के आधार पर ही परमाणु बम के इस्तेमाल को न्यायोचित ठहराया. उनकी दलील थी कि जापान की मुख्य भूमि पर हमले में इससे भी ज्यादा लोगों की जान जाती.
तस्वीर: picture alliance/akg-images
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन
12 अप्रैल को रूजवेल्ट की मौत हुई और हैरी ट्रूमैन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. तब उन्हें अब तक बेहद खुफिया रहे मैनहटन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी मिली. यह तस्वीर 1945 की है.
तस्वीर: Getty Images
नाजी जर्मनी का समर्पण
8 मई को जर्मनी ने समर्पण कर दिया और इसके साथ ही दूसरे विश्वयुद्ध में यूरोप की लड़ाई खत्म हो गई. हालांकि इसके बाद भी एशिया और प्रशांत के क्षेत्र में युद्ध अभी जोरों पर चल रहा था. मई और जुलाई के बीच परमाणु बम के हिस्से टिनियान लाए गए. यह मारियाना चेन में वो द्वीप था जहां से बी-29 बॉम्बर विमान जापान पहुंच सकता था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tass/Jewgeni Chaldej
"ट्रिनिटी टेस्ट"
16 जुलाई को न्यू मेक्सिको के अलामोगोर्दो के पास सुबह 5.30 बजे ट्रिनिटी टेस्ट किया गया. इस टेस्ट में परमाणु बम की ताकत समझ में आई और परमाणु युग की शुरुआत हो गई.
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
ट्रूमैन की मंजूरी
"ट्रिनिटी टेस्ट" के सफल होने के बाद 25 जुलाई को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने जापान पर परमाणु बम गिराने के मिशन को मंजूरी दे दी. इसमें उपलब्ध होते ही अतिरिक्त बमों को गिराने की मंजूरी भी शामिल थी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
जापान को चेतावनी
26 जुलाई को पोट्सडाम घोषणा के बाद ब्रिटेन, चीन और अमेरिका ने जापान को चेतावनी दी कि वो या तो समर्पण करे या फिर "तुरंत और पूर्ण विनाश का" सामना करे. जापान ने इस चेतावनी की अनदेखी करने का फैसला किया हालांकि इसके लिए "मोकुसात्सु" शब्द का प्रयोग किया गया जिसका मतलब है "नो कमेंट."
तस्वीर: picture-alliance/akg-images
विनाश का पल
6 अगस्त को सुबह 8.15 बजे अमेरिकी बी29 बॉम्बर "इनोला गे" ने 9000 पाउंड का परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया. दिसंबर के महीने तक इसकी वजह से 1लाख 40 हजार लोगों की मौत हो गई. ट्रूमैन ने जापानी नेताओं को कहा अगर वो समर्पण नहीं करेंगे तो वो हवा से बर्बादी की ऐसी बारिश देखेंगे जैसी पृथ्वी पर कभी नहीं देखी गई.
तस्वीर: Hiroshima Peace Memorial Museum
नागासाकी का विध्वंस
9 अगस्त को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम जापान के नागासाकी पर गिराया. समय था सुबह 11.02 बजे का. परमाणु बम के इस हमले में 74000 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जापान का समर्पण
15 अगस्त को जापान के सम्राट हिरोहितो ने घोषणा की कि उनका देश युद्ध हार गया है. हालांकि इसके बाद भी वो देश के सम्राट बने रहे और युद्ध के बाद देश के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई.
तस्वीर: AFP/AFP/Getty Images
रूस का हमला
हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने के चार साल बाद 29 अगस्त 1949 को रूस ने अपने परमाणु बम का कजाखस्तान में परीक्षण किया और परमाणु बम रखने वाला दूसरा देश बन गया. विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में उसने जापान पर हमला किया और उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया. कुरील द्वीप उनमें से एक था.