मंगलवार को भारत में जब कई लोगों ने अखबार खोला तो आखिरी पन्ने पर व्हाट्सऐप का फुल पेज ऐड दिखाई दिया. इसमें फेक न्यूज को पहचानने के लिए टिप्स थे. भ्रामक खबरों से परेशान यू-ट्यूब ने भी कड़े कदम उठाने का फैसला किया है.
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फेक न्यूज और सूचना पर शिकंजा कसने के लिए सोशल मीडिया साइट्स ने भी कमर कस ली है. हाल ही में सीरिया के कुछ बच्चों का एक वीडियो फैलाकर भारत में कई लोगों को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने व्हाट्सऐप से फेक सामग्री को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा. इसी के बाद व्हाट्सऐप ने कई अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देकर लोगों को साथ आने को कहा और फेक खबर को पहचानने के टिप्स भी दिए.
इसी तरह गूगल की वीडियो शेयरिंग साइट यू-ट्यूब फेक न्यूज पर लगाम लगाने और मीडिया संस्थाओं की मदद के लिए कई कदम उठाने जा रही है. कंपनी इसके लिए 2.5 करोड़ डॉलर का निवेश भी करेगी. यूट्यूब का कहना है कि वह समाचार स्रोतों को और विश्वसनीय बनाना चाहती है. खासतौर से ब्रेकिंग न्यूज के मामले में एहतियात बरतेगी जहां गलत सूचनाएं आसानी से फैल सकती हैं.
यूट्यूब की कोशिश है कि वीडियो सर्च करते वक्त वीडियो और उससे जुड़ी खबर का एक छोटा सा ब्योरा यूजर्स को दिखे. यह चेतावनी भी दी जाएगी कि ये खबरें बदल सकती हैं. इसका उद्देश्य फर्जी वीडियो पर रोक लगाना है जो गोलीबारी, प्राकृतिक आपदा और अन्य प्रमुख घटनाओं के मामले में तेजी से फैल सकती हैं.
करोड़ों का निवेश करने के अलावा यू-ट्यूब कर्मचारियों की ट्रेनिंग और वीडियो प्रोडक्शन सुविधाओं में सुधार जैसे कदम भी उठाएगी. इसके अलावा कंपनी विकिपीडिया और एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका जैसे सामान्य विश्वसनीय सूत्रों के साथ विवादित वीडियो से निपटने के तरीकों का भी परीक्षण कर रही है.
वीसी/एके (एपी)
फेक न्यूज पर एशियाई देशों के सख्त नियम
फेक न्यूज पर एशियाई देशों के सख्त नियम
कई देशों में "फेक न्यूज" का नाम नेताओं के मुंह से सुना जाने लगा है. आलोचकों को डर है कि इसका इस्तेमाल सरकार विरोधी खबरों को दबाने के लिए भी किया जा सकता है. एक नजर एशियाई देशों में "फेक न्यूज" के खिलाफ उठाए गए कदमों पर.
तस्वीर: DW/Vladdo
मलेशिया
मलेशिया के कानून के मुताबिक फेक न्यूज की वजह से अगर मलेशिया या मलेशियाई नागरिक को नुकसान हुआ तो इसे फैलाने वाले पर करीब 123,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना और छह साल की सजा हो सकती है. इसके दायरे में समाचार संस्थान, डिजिटल पब्लिकेशन और सोशल मीडिया भी आते हैं.
तस्वीर: Imago/Richard Wareham
भारत
भारत में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने फेक न्यूज फैलाने का दोषी पाए जाने पर सरकारी मान्यता वाले पत्रकार की मान्यता पहले अस्थायी और बार बार ऐसा करने पर स्थायी रूप से रद्द करने की घोषणा की. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रेस की आजादी में बाधा बता कर फैसले को रद्द करने का आदेश दिया है.
तस्वीर: Reuters/UNI
सिंगापुर
सिंगापुर में एक संसदीय कमेटी "जान बूझ कर ऑनलाइन झूठ" फैलाने से रोकने के कदमों पर विचार कर रही है. इसके लिए सिंगापुर के इतिहास की अब तक की सबसे लंबी आठ दिन की सुनवाई 29 मार्च को पूरी हुई. कमेटी इस मामले में रिपोर्ट बना कर नया विधेयक मई में पेश करेगी.
तस्वीर: picture-alliance/Sergi Reboredo
फिलीपींस
राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटैर्टे का न्यूजसाइट रैपलर पर से "भरोसा उठ गया" और उन्होंने इसे उनके सभी आधिकारिक कार्यक्रमों को कवर करने पर रोक लगा दी. राष्ट्रपति इसे फेक न्यूज आउटलेट कहते हैं. देश में गलत जानकारी फैलानों वालों को 20 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करने की तैयारी चल रही है.
तस्वीर: Reuters/R. Ranoco
थाइलैंड
थाइलैंड में पहले से ही सेक साइबर सिक्योरिटी लॉ है. इसके तहत गलत सूचना फैलाने पर सात साल तक की कैद की सजा हो सकती है. इसके अलावा सैन्य सरकार बड़ी सख्ती से लेसे मजेस्टिक कानूनों का भी पालन करती है जो लोगों को शाही परिवार का अपमान रोकने के लिए बनाया गया है.
तस्वीर: Reuters
पाकिस्तान
पाकिस्तान में 2016 में प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक साइबरक्राइम्स एक्ट पास किया. इसके तहत नफरत फैलाने वाले भाषण, इस्लाम की गरिमा को ठेस पहुंचाने, महिलाओं की इज्जत पर हमला करने वाली सामग्री, आतंकवाद की साजिश रचने जैसी गतिविधियों पर रोक लगाई गई. इसके लिए जेल और जुर्माना दोनों का प्रावधान है.