फेफड़े धोने चलेंगे? अगर आप किसी से यह कहें तो शायद अगला जवाब देगा कि पागल हो गए हो. लेकिन बीजिंग के लोग कहते हैं चलो, फेफेड़े साफ करके आते हैं.
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लगातार पांच दिन से घर में एयर प्यूरिफायर चल रहा है. बाहर निकलने से पहले चेहरे पर मास्क लग जाता है. मास्क तभी उतरता है जब सामने एयर प्यूरिफायर चल रहा हो. चीन की राजधानी बीजिंग में लाखों लोग इन दिनों ऐसी ही जिंदगी जी रहे हैं. कोहरे, धुएं और प्रदूषण के मिश्रण स्मॉग से बचने के लिए कई लोग छु्ट्टी होते ही शहर से बाहर चले जा रहे हैं.
चीन में मशहूर ट्रैवल वेबसाइट Qunar.com में लोग "स्मॉग से बचें" और "अपने फेफेड़े धोएं" लिखकर सर्च मार रहे हैं. यह बात खुद कंपनी की प्रवक्ता मिशेला की ने बताई. उत्तरी चीन फिलहाल सबसे बुरे प्रदूषण से गुजर रहा है. स्मॉग इतना गहरा है कि हवा, जमीन और पानी की परिवहन सेवाएं बाधित हो रही हैं. फैक्ट्रियों और स्कूलों को बंद करना पड़ा है.
प्रदूषण से परेशान बीजिंगवासी दक्षिणी चीन के हवाई टिकट खोज रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग जापान और थाइलैंड जाने की योजना भी बना रहे हैं. मिशेला की के मुताबिक, "हवा की अच्छी क्वालिटी भी वहां जाने का एक कारण होगी."
उत्तरी चीन के औद्योगिक इलाकों में पॉल्यूशन अलर्ट अब आम बात हो चुकी है. जाड़ों में तो हाहाकार मचना पक्का है. बिजली की मांग बढ़ते ही कोयले की खपत बढ़ जाती है और प्रदूषण से परेशान शहर और ज्यादा हाफंने लगता है.
27 साल की जेन वांग भी परिवार के साथ छुट्टी पर जाना चाहती हैं, लेकिन दफ्तर से ऑफ नहीं मिल रहा. वांग कहती हैं, "हमारे पास पूरा दिन मास्क पहनने और खांसते हुए काम करने के अलावा और कोई चारा नहीं है." प्रदूषण के चलते वांग की मां बीजिंग से हाइनान जा चुकी हैं.
जो लोग बाहर नहीं जा पा रहे हैं, उनके सामने एक विकल्प अपने ही शहर में होटल लेने का भी है. कई होटलों ने अपने कमरों में एयर प्यूरिफायर लगाया है. सिर्फ बीजिंग ही नहीं बल्कि उत्तरी चीन के कई शहरों में होटलों में एयर प्यूरिफायर लग चुके हैं.
होटल बुकिंग के एक ऑनलाइन विज्ञापन में लिखा है, "छोटे जंगल का मजा लीजिए, ताजा हवा वाले कमरे में रहिये: खास एयर फिल्ट्रेशन मशीन का आनंद लीजिए."
बीजिंग इस समस्या से जूझने वाला अकेला शहर नहीं हैं. अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली समेत उत्तर भारत के कुछ शहरों की भी हालत काफी बुरी हुई. स्मॉग के चलते स्कूल बंद करने पड़े. सैकड़ों लोगों को डॉक्टरों के पास जाना पड़ा. स्वच्छ ऊर्जा के साथ टिकाऊ विकास अगर न किया जाए तो कैसी हालत होती है, चीन का सटीक उदाहरण है. भारत में फिलहाल यह समस्या विकराल नहीं है, लेकिन अगर स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने वाले कदम नहीं उठाए गए तो बहुत जल्द भारत के कई शहरों की हालत भी बीजिंग जैसी या उससे भी बदतर होने लगेगी.
दिल्ली की हवा जहरीली क्यूं
भारत की राजधानी दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन चुकी है. और स्मॉग संकट ने यहां रहने वालों की सेहत के लिए "आपातकाल" की स्थिति पैदा कर दी है. जानिए दिल्ली की दूषित हवा में क्या घुला है.
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पीएम2.5 (पर्टिकुलेट मैटर)
स्मॉग में शामिल यह ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जिनके सांस की हवा के साथ शरीर के अंदर जाने से गंभीर ब्रॉन्काइटिस, फेफड़ों का कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा होता है.
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दिल्ली की सर्दी
दिल्ली की हवा खराब होने का एक और कारण जाड़ों का ठंडा मौसम है. खासकर दिवाली के त्योहार में लाखों पटाखे फोड़े जाने के बाद से उससे निकलने वाले प्रदूषक पदार्थ इस ठंडी हवा में कैद हो जाते हैं.
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धूल और धुआं
राजधानी में पश्चिम की सूखी बंजर धरती की ओर से धूल भरी आंधियां पहुंचती हैं और पास के राज्यों में फसलों की कटाई के बाद बची खुची खूंटी को जलाने वाला धुआं भी.
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पहले से ही प्रदूषण में टॉप
2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे में दुनिया के 1,600 से अधिक शहरों की रैंकिंग की गई. इनमें दिल्ली प्रदूषण के मामले में टॉप पर रही. एक अमेरिकी स्टडी के अनुसार विश्व भर में वायु प्रदूषण से होने वाली आधी से अधिक मौतें केवल चीन और भारत में ही होती हैं.
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प्रवासी आबादी
दिल्ली के प्रदूषण की ही तरह उसकी आबादी भी बहुत तेज रफ्तार से बढ़ रही है. हर साल कई लाख नए प्रवासी राजधानी पहुंचते हैं और उनके आने से भी शहर के संसाधनों पर बोझ बढ़ता है.
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तेज विकास और निर्माण
विकासशील देश भारत की राजधानी में तेज विकास का सबसे बड़ा उदाहरण रिहायशी और फैक्ट्री वाली इमारतों के निर्माण कार्य में दिखता है. इन निर्माण स्थलों के आसपास धूल का अंबार होता है. इसके अलावा कोयले से चलने वाले बिजली के प्लांट भी हवा में काफी प्रदूषक छोड़ते हैं.
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कारें ही कारें
राजधानी के लोगों की क्रय क्षमता बढ़ने के साथ साथ कारों की बिक्री में तेज बढ़ोत्तरी हुई है. हर रात राजधानी की सड़कों पर कम से कम एक करोड़ कारें अपने रास्ते चलती हैं. साथ ही उनसे निकलने वाला धुआं भी दूर तक निकलता है.
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पटाखों का शोर और धुआं
दिवाली हो, शादी हो या भारत ने क्रिकेट मैच जीता हो, त्योहारों और ऐसे सभी मौकों पर पटाखे छोड़ने का चलन रहा है. स्मॉग को देखते हुए फिलहाल केवल धार्मिक अवसरों पर ही ऐसा करने की अनुमति है.
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डीजल का धुआं
पिछले साल डीलज ट्रकों पर भारी चुंगी लगा दी गई थी. जनवरी में ऑड-इवेन सिस्टम का प्रयोग भी किया गया, जो काफी सफल रहा. अब दिल्ली सरकार सड़कों पर चौराहों में हवा को साफ और सुगंधित करने वाले प्यूरिफायर लगवाने जा रही है.
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खेतों की आग
दिल्ली सरकार अब तक पास के राज्यों हरियाणा और पंजाब के लोगों को हर फसल के बाद खेतों में आग लगाने की परंपरा छोड़ने को राजी नहीं करवा पाई है. यह भी दिल्ली के स्मॉग की स्थिति को और खराब कर रही है.