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फेसबुक और गूगल से दुखी भारत

६ दिसम्बर २०११

भारत सरकार सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है. दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल चाहते हैं कि फेसबुक और गूगल अपनी वेबसाइट्स से आपत्तिजनक सामग्री हटाएं. कंपनियों के इनकार के बाद सरकार ने दबाव बढ़ाया.

तस्वीर: UNI

अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान आलोचनाओं के केंद्र पर रहे केंद्रीय दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल लंबे वक्त बाद सार्वजनिक रूप से कुछ बोले. इस बार उनकी पीड़ा सोशल नेटवर्किंग साइट्स को लेकर है. वह चाहते हैं कि सोशल इंटरनेशनल सोशल नेटवर्किंग साइट्स भारत सरकार के हिसाब से चलें.

सिब्बल के मुताबिक सरकार फेसबुक, गूगल और अन्य वेबसाइट्स पर नजर नहीं रख पा रही है. सिब्बल चाहते हैं कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स सरकार के लिए यह काम करें. वेबसाइट्स खुद अपमानजनक सामग्री को हटा दें.

लेकिन बड़ी इंटरनेट कंपनियों के साथ सिब्बल की बातचीत बेनतीजा रही. ये कंपनियां नहीं बता सकीं कि 'अस्वीकार्य' तस्वीरों पर कैसे रोक लगाई जाए. दूरसंचार मंत्री के मुताबिक उन्होंने तीन महीने पहले सोशल नेटवर्किंग साइट्स से यह शिकायत की थी. सिब्बल ने कहा, "हमने उनसे कहा कि ऐसा रास्ता निकालें ताकि अपमानजनक तस्वीरें अपलोड न हों. हमने उन्हें कुछ समय भी दिया. लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई." इतना ही नहीं बेवसाइट्स ने सिब्बल के इस प्रस्ताव को घास तक नहीं डाली. खुद सिब्बल कहते हैं कि कंपनियों के रुख में 'सहयोग न करने की मंशा' दिखाई पड़ी.

अब भारत सरकार सख्ती दिखाते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है. इसका संकेत देते हुए सिब्बल ने कहा, "मेरा लक्ष्य है कि अपमानजनक सामग्री कभी अपलोड न हो. हम इस मुद्दे से निपटने के लिए दिशानिर्देश और रास्ता तैयार करेंगे. उन्हें हमें डाटा देना होगा कि ऐसी तस्वीरें कहां अपलोड हो रही हैं और कौन ऐसा कर रहा है."

तस्वीर: Screenshot Facebook

कहां से निकली बात

असल में छह हफ्ते पहले दिग्गज अमेरिकी अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने इस संबंध में रिपोर्ट छापी. अखबार के मुताबिक सिब्बल ने कंपनियों के कानूनी विशेषज्ञों को बुलाया और फेसबुक का एक पेज दिखाया. पेज पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में एक पोस्ट था. सिब्बल को पोस्ट नागवार गुजरी. उन्होंने कानूनी विशेषज्ञों से इस पर अंकुश लगाने का रास्ता खोजने को कहा. नवंबर के अंत में सिब्बल फिर सोशल नेटवर्किंग साइट्स के अधिकारियों में मिले. लेकिन कोई हल नहीं निकला.

क्या है परेशानी

दरअसल भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी भारत सरकार के खिलाफ सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर खुलकर बहस हो रही है. आए दिन नेताओं की मजाक उड़ाते फोटो दिखाई पड़ रहे हैं. तस्वीरों के जरिए लोग नेताओं पर करारा तंज कस रहे हैं. लेकिन सिब्बल धर्म और भारतीयता का बहाना बना रहे हैं, "तीन महीने पहले हमने देखा कि गूगल, याहू और फेसबुक पर ऐसी तस्वीरें थीं जो भारतीयों, खास तौर पर धार्मिक किस्म के लोगों के लिए अपमानजक थीं. हम सांस्कृतिक लोकाचार को चोट नहीं आने देंगे."

बहरहाल अब भारत सरकार और उसके अपार बाजार के दबाव का असर दिखना शुरू हो गया है. दुनिया की सबसे बडी़ नेटवर्किंग साइट फेसबुक ने बयान जारी कर कहा है, "अभद्र सामग्री को कम करने की सरकार की कोशिश हम समझते हैं." गूगल ने भी सिब्बल से बातचीत की पुष्टि की है लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. याहू और माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से कोई बयान नहीं आया है.

तस्वीर: AP

सरकार की मंशा पर बहस

वहीं सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर सिब्बल की कोशिशों का विरोध शुरू हो गया है. कई यूजर्स इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कह रहे हैं. कुछ का यह भी कहना है कि जब अखबार में कार्टून छप सकता है तो सोशल नेटवर्किंग साइट्स में यह पाबंदी क्यों लगाने की कोशिश हो रही है. लोग यह भी कह रहे हैं कि इस स्थिति के लिए नेता खुद जिम्मेदार हैं, लोग तो अब सिर्फ अपनी कुंठाओं का इजहार कर रहे हैं.

लेकिन सच्चाई यह भी है कि कई बार नेताओं की मजाक के नाम पर शालीनता की हदें लाघीं जाती हैं. ऐसी हरकतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग कहा जा सकता है.

रिपोर्टः एपी, एएफपी/ओ सिंह

संपादन: ए जमाल

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