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फेसबुक के लिए जरूरी है भारत

९ अक्टूबर २०१४

मार्क जकरबर्ग की नरेंद्र मोदी से मुलाकात अपने आप में इतनी बड़ी बात नहीं, जितनी इस मुलाकात से पैदा होने वाली संभावनाएं हैं. दुनिया में फेसबुक के दूसरे सबसे बड़े बाजार भारत के साथ सहयोग के नतीजे भी बड़े होंगे.

तस्वीर: DW/A. Islam

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान देश में निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने वाले उनके भाषणों ने खूब सुर्खियां बटोरीं. पिछले कुछ ही हफ्तों में अमेजन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों के हाई प्रोफाइल सीईओ ने भी भारत के दौरे किए हैं. ऐसे में जकरबर्ग की फेसबुक के मुखिया के तौर पर पहली आधिकारिक यात्रा एक आम बात हो सकती है. मगर जकरबर्ग की इस यात्रा और प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात से दोनों ही पक्षों को एक दूसरे से काफी मदद मिल सकती है. यही बात हमें सोचने पर मजबूर करती है कि किस तरह दोनों के फायदे वाला एक संबंध स्थापित हो सकता है.

बड़ा बाजार, मोटा मुनाफा

दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट के लिए यूजर्स के लिहाज से भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. मगर अभी भी भारत में इंटरनेट की पहुंच केवल 13 फीसदी लोगों तक है. ऐसे में अगर इंटरनेट की पहुंच बढ़ाई जा सके तो भारतीय बाजार फेसबुक के लिए असीम संभावनाएं ला सकता है. इंटरनेट की पहुंच बढ़ाने के मुद्दे पर दिल्ली में पहला 'इंटरनेट डॉट ऑर्ग' सम्मेलन हो रहा है. इसमें भारत भर में इंटरनेट को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने में आने वाली मुश्किलों पर भी चर्चा होगी.

फेसबुक ने लोकप्रिय मेसेजिंग साइट व्हाट्सएप का अधिग्रहण भी पूरा कर लिया है. इसके अलावा यूट्यूब पर वीडियो देखने वालों की बढ़ती तादात देखते हुए वीडियो शेयरिंग को बढ़ावा भी कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. हाल के कई सर्वे दिखाते हैं कि अमेरिकी टीनएजर्स फेसबुक से ज्यादा इंस्टाग्राम जैसी दूसरी साइट्स को इस्तेमाल करना पसंद कर रहे हैं. सोशल मीडिया के ट्रेंड्स पर करीबी नजर रखने वाले कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादातर किशोर टाइप करने के बजाए तस्वीरें शेयर करना अधिक पसंद करते हैं. लेकिन फेसबुक को इस बात की भी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि उसने इंस्टाग्राम को भी खरीद लिया है.

देश के कोने कोने में पहुंच

फेसबुक के कुल यूजरों ने 2012 में एक अरब का आंकड़ा पार किया. फेसबुक ने काफी पहले ही समझ लिया था कि भारत में इंटरनेट का भविष्य मोबाइल के विकास के साथ ही जुड़ा है. एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले भारत जैसे विकासशील देश में इंटरनेट की पहुंच अभी भी एक समस्या है. ऐसे में फेसबुक अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के जरिए दुनिया की दो तिहाई आबादी तक इंटरनेट पहुंचाना चाहता है. इसके लिए कंपनी पहले ही ड्रोन्स, सैटेलाइट और लेजर तकनीक की मदद लेने की योजना बना चुकी है.

फेसबुक कनेक्टिविटी लैब नामका उनका एक और प्रोजेक्ट दुनिया के उन 5 अरब लोगों तक इंटरनेट पहुंचाने की कोशिश कर रहा है जिनके पास अभी यह सुविधा नहीं है. भारत में गांवों तक पहुंचने के लिए फेसबुक ने अपने इंटरनेट प्रोजेक्ट में यूनीलिवर कंपनी को साथ लिया है. मूलभूत ढांचा तैयार करने और इस पर आने वाले खर्च के अलावा वे मिलकर यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या शिक्षा और दूसरे सांस्कृतिक पहलू भी गांवों में इंटरनेट के इस्तेमाल को प्रभावित करते हैं. इस रिसर्च के नतीजों से मदद लेकर भारत के गांवों में जीवन को बेहतर बनाने के लिए तमाम जमीनी प्रोजेक्ट शुरु किए जाने की योजना है.

'टेक-सैवी' मोदी

एक ओर फेसबुक अपने ड्रीम प्रोजेक्ट इंटरनेट डॉट ऑर्ग को भारत में बढ़ावा देने पर काम करना चाहता है, दूसरी ओर भारत के उपभोक्ताओं को भाने वाले कंटेट और वैल्यू एडेड सेवाएं देने पर भी काम चल रहा है. भारत में अभी भी फेसबुक के विस्तार की बहुत संभावना है. इसी साल अपने पहले तिमाही नतीजों के समय फेसबुक ने बताया कि भारत में उसके लगभग 10 करोड़ यूजर्स हैं. इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि इनमें से करीब 8.4 करोड़ फेसबुक को अपने मोबाइल पर देखते हैं.

प्रधानमंत्री मोदी खुद सोशल मीडिया पर कितने सक्रिय हैं यह तो जगजाहिर है. ऐसे में जकरबर्ग के साथ मोदी की 'डिजिटल इंडिया' की परिकल्पना पर सार्थक चर्चा होगी. 'डिजिटल डिप्लोमेसी' के पक्षधर मोदी पहले भी इंटरनेट को गांव गांव तक फैलाने की बात कर चुके हैं. उनका मानना है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवाद चलने से किसी भी पुराने अनसुलझे विवाद को सुलझाने के नए रास्ते खुल सकते हैं.

ब्लॉग: ऋतिका राय

संपादन: ईशा भाटिया

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