फेसबुक पर एक क्विज लॉन्च किया गया, उस क्विज ने पांच करोड़ यूजर्स की जानकारी चुराई और फिर लोगों के मनोविज्ञान को निशाना बनाया गया. इसके जरिए अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में दखलंदाजी का आरोप है.
विज्ञापन
दरअसल फेसबुक पर डाटा ली्क करने के गंभीर आरोप लगे हैं. ब्रिटेन की संसदीय समिति ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग पूछा है कि यूजर्स का निजी डाटा कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी तक कैसे पहुंचा? जकरबर्ग को लिखे एक पत्र में समिति के चैयरमेन ने पूछा है कि कैसे किसी कंपनी ने डाटा का इस्तेमाल कर लिया? उन्होंने फेसबुक पर समिति को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है. वहीं यूरोपीय संसद ने भी जकरबर्ग से डाटा के गलत इस्तेमाल जैसे मामले में पर अपनी सफाई पेश करने के लिए कहा है. यूरोपीय संसद के अध्यक्ष अंतोनियो तजानी ने ट्वीट कर कहा, "हमने जकरबर्ग को यूरोपीय संसद के सामने इस पूरे मामले को स्पष्ट करने के आमंत्रित किया है." उन्होंने कहा कि फेसबुक को यूरोप के 5 करोड़ लोगों के प्रतिनिधियों के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि निजी डाटा, लोकतांत्रिक नीतियों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है.
क्या है पूरा मामला
कहा जा रहा है कि ब्रिटेन की कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स का डाटा हासिल किया और फिर इसका इस्तेमाल किया. कैम्ब्रिज एनालिटिका डाटा माइनिंग और डाटा एनालिसिस का काम करती है. यह पूरा मामला यूजर्स के मनोविज्ञान से जुड़ा है. फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर छोटे-छोटे सवालों वाला एक क्विज डिजाइन किया गया. "दिसइजमाइडिजिटललाइफ" नाम के इस क्विज को कैम्ब्रिज एनालिटिका के लिए काम करने वाले एलेक्जेंडर कॉगन ने डिजाइन किया था. जिसमें यूजर्स से कुछ सवाल पूछे जाते थे.
डाटा बेचकर पैसा बनाता फेसबुक
दुनिया में तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक के एक्टिव यूजर्स हैं, लेकिन ये यूजर्स फेसबुक को एक रुपये का भुगतान नहीं करते. ऐसे में सवाल उठता है कि फेसबुक कंपनी चलाने के लिए पैसा कहां से लाती है. जानते हैं फेसबुक की कमाई का राज
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld
आइडिया बनी कंपनी
होस्टल से कमरे से शुरू हुआ एक छोटा आइडिया आज एक ग्लोबल प्रोजेक्ट बन गया है, दुनिया की लगभग एक चौथाई जनसंख्या आज फेसबुक की रजिस्टर्ड यूजर में शामिल है.रोजाना तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक पर लाइक, कमेंट के साथ-साथ तस्वीरें भी डालते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics
कंपनी की आय
मोटा-मोटी फेसबुक पर औसतन हर एक यूजर दिन के करीब 42 मिनट बिताता है. पिछले कुछ सालों में कंपनी की कुल आय, तीन गुना तक बढ़ी है और आज की तारीख में इसकी नेट इनकम करीब 900 करोड़ यूरो तक पहुंच गई है.
तस्वीर: Getty Images/D. Kitwood
मुफ्त सेवायें
अब सवाल है कि जब फेसबुक की सारी सुविधायें यूजर्स के लिए फ्री हैं तो पैसा कहां से आता है. सीधे तौर पर बेशक फेसबुक अपने यूजर्स से पैसा नहीं लेता लेकिन ये यूजर्स के डाटा बेस को इकट्ठा करता है और उन्हें कारोबारी कंपनियों को बेचता है. आपका हर एक क्लिक आपको किसी न किसी कंपनी से जोड़ता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Stache
डाटा के बदले पैसा
फेसबुक अपने यूजर डाटा बेचकर कंपनियों से पैसे कमाता है. मसलन कई बार आपसे किसी साइट या किसी कंपनी में रजिस्टर होने से पहले पूछा जाता है कि क्या आप बतौर फेसबुक यूजर ही आगे जाना चाहते हैं और अगर आप हां करते हैं तो वह साइट या कंपनी आपकी सारी जानकारी फेसबुक से ले लेती है.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski
विज्ञापनों का खेल
दूसरा तरीका है विज्ञापन, अपने गौर किया होगा कि आपको अपने पसंदीदा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन ही फेसबुक पर नजर आते होंगे. मसलन अगर आपने पसंदीदा जानवर में बिल्ली डाला तो आपके पास बिल्लियों के खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम विज्ञापन आयेंगे
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Chiu
ऑडियंस टारगेटिंग
सारा खेल इन विज्ञापनों की प्लेसिंग का है. इस प्रक्रिया को टारगेटिंग कहते हैं. फेसबुक मानवीय व्यवहार से जुड़ा ये डाटा न सिर्फ कंपनियों को उपलब्ध कराता है बल्कि तमाम राजनीतिक समूहों को भी उपलब्ध कराता है. मसलन ब्रेक्जिट के दौरान उन लोगों की टारगेटिंग की गई थी जो मत्स्य उद्योग से जुड़े हुए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld
कौन होता प्रभावित
इन सब के बीच ये अब तक साफ नहीं हुआ है कि कौन किसको कितना प्रभावित कर रहा है और कंपनियों को फेसबुक के साथ विज्ञापन प्रक्रिया में शामिल होकर कितना लाभ मिल रहा है. साथ ही डाटा खरीदने-बेचने की इस प्रक्रिया में कितने पैसे का लेन-देन होता है.
तस्वीर: Reuters
कोई जिम्मेदारी नहीं
फेसबुक किसी डाटा की जिम्मेदारी नहीं लेती और न ही इसकी सत्यता की गारंटी देता हैं. डिजिटल स्पेस की यह कंपनी अब तक दुनिया का पांचवा सबसे कीमती ब्रांड बन गया है. कंपनी ने कई छोटी कंपनियों को खरीद कर बाजार में अपनी एक धाकड़ छवि बना ली है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/L. Bonaventure
8 तस्वीरें1 | 8
इन मामूली सवालों में यूजर्स को बताना होता कि वो कौन से पॉकिमॉन हैं? पता किया गया कि वो किन शब्दों का इस्तेमाल सबसे अधिक करते हैं. इसके अलावा क्या उन्हें परेशान करता है, उनका व्यक्तित्व कैसा है, आदि आदि. इस क्विज में तकरीबन 3.20 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. फेसबुक पर चलने वाला यह ऐप ने न सिर्फ उन लोगों का डाटा हासिल करने में सक्षम था जो इस क्विज को खेलते थे बल्कि यूजर्स की दोस्तों का डाटा भी उसे मिल जाता था. इस ऐप के जरिए कॉगन के पास अंत में 5 करोड़ यूजर्स का डाटा पहुंच गया.
आमतौर पर ऐसे डाटा का इस्तेमाल कार, कपड़े आदि को बचेने वाली कंपनियां अपने संभावित ग्राहकों की पहचान करने के लिए करती रही हैं. लेकिन कॉगन की कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने इसका इस्तेमाल डॉनल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया.
फेसबुक के 11 राज
क्या बता सकते हैं फेसबुक का रंग नीला क्यों है? या उस अकाउंट के बारे में जिसे कभी ब्लॉक नहीं कर सकते. अगर कोई मर जाए तो उस अकाउंट का क्या होगा? जानिए फेसबुक के बारे में ऐसी 11 बातें जो आमतौर पर किसी को नहीं मालूम होतीं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg
फेसबुक का नीला रंग
दुनिया में इतने रंग है लेकिन फेसबुक का रंग नीला ही क्यों? दरअसल फेसबुक का रंग नीला है क्योंकि फेसबुक चीफ मार्क जुकरबर्ग सबसे ठीक तरह से नीला रंग ही देख सकते हैं. मार्क जुकरबर्ग को रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस है. एक रशियन टेलिविजन टॉक शो में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें कलर ब्लाइंडनेस है और नीला ही वह रंग है जिसे वे सबसे बेहतर ढंग से देख सकता हूं. इसीलिए उन्होंने फेसबुक का रंग नीला रखा है.
तस्वीर: Reuters/T. White
जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता
फेसबुक पर एक ऐसा शख्स भी है जिसे कभी भी ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. जी हां, ऐसा बिल्कुल संभव है. कोई हैरत की बात नहीं है कि वह प्रोफाइल खुद मार्क जुकरबर्ग की है. फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति उन्हें ब्लॉक नहीं कर सकता. कोशिश करके देखिए.
तस्वीर: Getty Images/ Oscar Siagian
जुकरबर्ग को खोजना इतना आसान
अगर आप फेसबुक पर लॉग इन करके अपने होम पेज पर हैं तो उस वक्त आपका यूआरएल होता है https://www.facebook.com और दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अपने इसी url के आगे बस /4 जोड़ देंगे तो आप सीधे मार्क जुकरबर्ग की वॉल पर पहुंच जाएंगे.
तस्वीर: Facebook/Mark Zuckerberg
दो देशों में फेसबुक बैन भी है
फेसबुक पर अरबों यूजर्स हैं जिनमें दुनिया के लगभग हर देश के लोग हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि फेसबुक चीन और उत्तर कोरिया दो देशों में बैन है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/epa/R. Khan
कोई मर जाए तो अकाउंट का क्या होता है?
यदि हमारी जान पहचान में कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम फेसबुक पर इस बात की रिपोर्ट कर सकते हैं. फेसबुक ऐसी प्रोफाइल्स को एक तरह का स्मारक (memorialized account) बना देता है. इस अकाउंट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन नहीं कर सकता है. इस तरह के अकाउंट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर
फेसबुक के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं. फेसबुक पर हर रोज लगभग 30 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं. हर 60 सेकंड में 50 हजार कमेंट्स और लगभग 3 लाख स्टेटस लिखे जाते हैं. वहीं दूसरी ओर फेसबुक पर लगभग 9 करोड़ फेक प्रोफाइल्स हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Lipinski
लाइक की जगह था ये नाम
फेसबुक पर हर जगह लाइक का ऑप्शन दिखता है. वैसे फेसबुक पर इस ऑप्शन के बारे में काफी विवाद रहा. सबसे पहले इसका नाम 'AWESOME' रखा गया था. लेकिन इसे बाद में LIKE किया गया था.
तस्वीर: Imago/Pixsell/B. Filic
ये पोक क्या बला है?
फेसबुक पर एक फीचर है पोक. किसी की प्रोफाइल पर जाकर आप उसे पोक कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है? दरअसल कोई मतलब नहीं है. ये बस जैसे खेल के लिए है. यहां तक कि फेसबुक हेल्प सेंटर में भी आप पूछेंगे कि 'poke' का क्या मतलब है तो आपको कभी पता नहीं चलेगा. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग कह चुके हैं कि उन्होंने सोचा था कि वे फेसबुक पर एक ऐसा फीचर बनाएंगे जो बेमतलब होगा. ये बस मस्ती के लिए बनाया गया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Sanogo
फेसबुक एक बीमारी
फेसबुक का एडिक्शन इन दिनों एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है. दुनियाभर में हर उम्र के लोग फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर यानी फेसबुक की लत से जूझ रहे हैं. इस बीमारी का संक्षिप्त नाम FAD है. इस वक्त दुनिया में लगभग कई करोड़ लोग FAD से ग्रसित हैं.
तस्वीर: Imago/TASS/K. Kuhkmar
खरीदा इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को
9 फेसबुक 2004 मार्च में शुरू हुआ और एक साल के भीतर ही इसने दस लाख यूजर्स जुटा लिए थे. जून 2009 तक यह इतना बढ़ चुका था कि यह अमेरिका की नंबर वन सोशल नेटवर्किंग साइट बन गयी. अप्रैल 2012 में फेसबुक ने इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
कब क्या लॉन्च हुआ
फेसबुक ने सितंबर 2004 में "वॉल", सितंबर 2006 में "न्यूज फीड", फरवरी 2009 में "लाइक" बटन और सितंबर 2011 में टाइमलाइन फीचर लॉन्च किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg
11 तस्वीरें1 | 11
ब्रिटेन के एक चैनल मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका दुनिया के 200 चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुकी है. यह कंपनी राजनीतिक दलों को चुनावी रणनीतियां बनाने में मदद करती है. इसमें भारत भी शामिल है. एक भारतीय अखबार ने कंपनी की बेवसाइट का हवाला देते हुए कहा है कि इसे साल 2010 के बिहार विधान सभा चुनावों के दौरान भी कॉन्ट्रैक्ट मिला था.
"बलि का बकरा"
यह पूरा विवाद एलेक्जेंडर कॉगन के आस पास मंडरा रहा है. कॉगन ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मुझे बलि का बकरा बनाकर दोनों कंपनियां, फेसबुक और कैम्ब्रिज एनालिटिका बचने की कोशिश कर रहीं हैं. क्योंकि हम वहीं कर रहे थे जो एकदम साधारण बात थी." उन्होंने कहा कि हमें कैम्ब्रिज एनालिटिका ने भरोसा दिया था कि जो कुछ भी हम कर रहे हैं वह पूरी तरह से कानूनी है.
कैम्ब्रिज एनालिटिका के सीईओ पद से हटाए गए एलेक्जेंडर निक्स ने एक गुप्त वीडियो में कहा था कि उनकी कंपनी ने ट्रंप की जीत में अहम भूमिका निभाई थी.
कंपनी को नुकसान
इस मामले के सामने आने के दो दिन के भीतर फेसबुक के शेयरों में जोरदार गिरावट आई है. निवेशकों को डर है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ इसके संबंध उजागर होने के बाद बाजार में इसकी छवि प्रभावित होगी. जिसके बाद विज्ञापनदाता इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से दूर हो सकते हैं और दुनिया भर की सरकारें फेसबुक पर नियमन कड़े कर सकती हैं.
डाटा सिक्योरिटी का मामला
फेसबुक के इस पूरे विवाद ने डाटा सिक्योरिटी के मसले को एक बार फिर हवा दे दी है. हालांकि फेसबुक अमेरिका में उपभोक्ता सुरक्षा से जुड़ी नियामक एजेंसी अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन की जांच भी झेल रहा है. कमीशन यूजर्स के निजी डाटा के इस्तेमाल को लेकर जांच कर रहा है.
टि्वटर पर #डिलीटफेसबुक
डाटा लीक के मामले में लोगों की नाराजगी फेसबुक के खिलाफ टि्वटर पर साफ नजर आ रही है. टि्वटर पर #डिलीटफेसबुक ट्रेंड कर रहा है. कुछ लोग फेसबुक डिलीट करने की बात भी कर रहे हैं.
कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि लोग डाटा लीक करने के मामले मे फेसबुक की आलोचना कर रहे हैं, कह रहे हैं कि उस डाटा लीकेज ने लोगों को चुनाव के दौरान प्रभावित किया. लेकिन क्या वाकई लोग इतने बेवकूफ है
कुछ लोगों ने इस तरह डाटा इस्तेमाल को गलत ठहराया है.