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समाज

फेसबुक ने दिलाया शराबी पति से छुटकारा

१३ अक्टूबर २०१७

19 साल की एक सुशीला के माता पिता उसे शराबी पति के साथ रहने के लिए मजबूर कर रहे थे. लड़की कोर्ट पहुंची, जहां अहम सबूत के तौर पर उसके पति की फेसबुक पोस्ट को स्वीकार किया गया.

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तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/J. Arriens

राजस्थान में रहने वाली 19 वर्षीय सुशीला बिश्नोई ने कोर्ट में याचिका दायर की थी कि उसकी शादी को अमान्य करार दिया जाए. अपनी याचिका में उसने कहा था कि यह शादी गैरकानूनी थी और उस परंपरा के तहत की गयी, जिसमें राजस्थान के कई हिस्सों में नाबालिग लड़कियों की शादी कर दी जाती है.

सुशीला की शादी 2010 में चुपचाप तरीके से राजस्थान के बाड़मेर जिले में करवा दी गयी थी. उस वक्त लड़का और लड़की दोनों की उम्र 12 साल थी. लड़की ने अपनी शादी को गैरकानूनी साबित करने के लिए पति के फेसबुक से उस पोस्ट को सबूत के रूप में पेश किया, जो शादी के ठीक बाद पोस्ट की गई थीं. हालांकि, इस मामले में लड़की के पति ने यह मानने से ही इंकार कर दिया था कि उन दोनों की कभी शादी हुई थी. 

तस्वीर: Getty Images/A. Joyce

इस मामले में मदद कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता कीर्ति भारती ने लड़की के साथ मिलकर पति के फेसबुक अकाउंट की छानबीन की और उन्हें कुछ ऐसी पोस्ट मिलीं, जो इस बात को साबित करती थीं कि जब लड़की की शादी हुई तब वह नाबालिग थी. कीर्ति भारती ने कहा, "उसके कई दोस्तों ने उसके पति के फेसबुक पेज पर बधाई संदेश दिये थे. कोर्ट ने उन सबूतों को स्वीकार किया और शादी को अमान्य करार दिया.

19 वर्षीय पीड़िता ने कहा कि उसके माता पिता उसे लड़के के घर भेजने के लिए मजबूर कर रहे थे. उसने कहा, "मैं पढ़ना चाहती थी, लेकिन मेरे घर वाले और लड़के के घर वाले मुझे शराबी पति के साथ रहने को मजबूर कर रहे थे. यह मेरे लिए जीने मरने का सवाल था और मैंने जिंदगी चुनी."

शादी के बाद पति के घर भेजने के लिए उसके माता पिता के मजबूर करने पर सुशीला अपने घर से भाग कर छुप कर रहने लगी. बाद में उसकी मुलाकात बाल अधिकारों के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता कीर्ति भारती से हुई और किर्ति ने सुशीला की शादी को खत्म करने की कानूनी प्रकिया में उसकी मदद की. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सुशीला की शादी को गैरकानूनी करार दिया. 

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि नाबालिग लड़की से सेक्स बलात्कार के दायरे में आएगा. भले ही लड़की शादीशुदा हो. यह फैसला बाल विवाह पर रोक लगाने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. संयुक्त राष्ट्र की बाल कल्याण संस्था यूनीसेफ की 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया की तकरीबन आधी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है.  

एसएस/एके (एएफपी)

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