फेसबुक का मानना है कि सोशल मीडिया लोकतंत्र के भविष्य के लिए संभावित खतरा साबित हो सकता है. साल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद से ही फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.
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फेसबुक की सबसे ज्यादा आलोचना इस बात पर की जा रही थी कि कंपनी किसी भी गलत जानकारी को फैलाने से रोकने में नाकाम साबित हो रही है. जिसका बड़ा असर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में देखने को मिला. अब कंपनी ने इस बात को माना है. एक ब्लॉग पोस्ट में फेसबुक के एक शीर्ष अधिकारी समिध चक्रवर्ती ने कहा कि कंपनी यह समझ पाने में सक्षम है, "इंटरनेट किसी सुचारू रूप से चल रहे लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है."
फेसबुक ने माना कि दो साल पहले 2016 में फेसबुक को यह समझने में समय लगा कि कुछ लोग इस प्लेटफॉर्म को गाली-गलौज और नफरत फैलाने के लिए इस्तेमाल करने लगेंगे. बढ़ते वैश्विक दबाव के बीच फेसबुक के सामने अपनी साख बचाने का सवाल खड़ा हो गया है. इसी का नतीजा है कि कंपनी ने हाल में ही एक घोषणा में कहा था कि वह अपने यूजर्स से किसी समाचार स्रोत की विश्वसनीयता के लिए उसे रैंक करने के लिए भी कहेंगे ताकि सही और गलत समाचार में अंतर समझा जा सके.
सरकार फेसबुक से क्यों मांग रही है डाटा
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने अपनी ट्रांसपैरेंसी रिपोर्ट में कहा है कि भारत सरकार ने कंपनी से साल 2017 में पिछले साल के मुकाबले 55 फीसदी अधिक डाटा मांगा. डाटा मांगने में अमेरिका के बाद भारत दूसरे स्थान पर है.
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एकाउंट्स का जानकारी
फेसबुक की रिपोर्ट में साल 2017 की पहली छमाही का डाटा पेश किया गया है. इसके मुताबिक सरकार ने जनवरी-जून की अवधि में 9853 हजार एकाउंट्स की जानकारी मांगी. साल 2016 के मुकाबले इस मांग में 55 फीसदी का इजाफा हुआ है. पिछले साल यह मांग तकरीबन 6 हजार पर थी.
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बढ़ रही मांग
वहीं साल 2016 की दूसरी छिमाही में जुलाई से दिसंबर के दौरान तकरीबन 7200 एकाउंट्स का डाटा मांगा गया था. इससे साफ जाहिर है कि डाटा को लेकर सरकार की ओर से मांग लगातार बढ़ी है.
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क्यों मांगी जानकारी
फेसबुक के मुताबिक भारत सरकार की ओर से कुल 9690 डाटा आवेदन कानूनी मामलों से जुड़े थे. इसके चलते 13 हजार यूजर्स के एकाउंट का एक्सेस भी मांगा गया. इसके अलावा सरकारी एजेंसियों ने 163 डाटा अनुरोध, इमरजेंसी में किये थे. साथ ही 262 डाटा एकाउंट का एक्सेस मांगा था.
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आपराधिक मामले
फेसबुक को तमाम ऐसे अनुरोध भी प्राप्त हुए जिसमें किसी एकाउंट को सुरक्षित रखे जाने की बात कही गयी थी. ये अनुरोध आपराधिक मामलों की जांच से जुड़े थे. फेसबुक ने बताया कि उसे 1166 एकाउंट को सुरक्षित रखने और 1629 यूजर्स के एकाउंट का एक्सेस का अनुरोध मिला.
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अमेरिका सबसे आगे
जानकारी मांगने में भारत, अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है. अमेरिकी सरकार ने इस दौरान तकरीबन 32 हजार एकाउंट का डाटा और करीब 52 एकाउंट का एक्सेस मांगा. वहीं ब्रिटेन इस सूची में तीसरे स्थान पर है. ब्रिटेन ने 6 हजार यूजर का डाटा मांगा और तकरीबन 8 हजार एकाउंट का एक्सेस.
सामग्री से जुड़ी मांग
कंटेट से जुड़ी मांग फेसबुक के पास भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत आने वाली एजेंसी, कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से आई. फेसबुक का कहना है कि मानहानि के स्थानीय कानूनों व धर्म कानूनों का उल्लंघन करने वाली सामग्री के मामले में अधिकतर बार ये अनुरोध उसे प्राप्त हुए.
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फेसबुक की ग्लोबल पॉलिटिक्स और गवर्नमेंट आउटरीच प्रमुख केटी हारबैथ ने कहा, "हम नकारात्मक कारणों के प्रभावों से लड़ने के लिए तैयार हैं साथ ही हम ये सुनिश्चित करेंगे कि हमारा मंच निर्विवाद रूप से लोकतंत्र के लिए एक अच्छा स्रोत रहे."
गूगल और टि्वटर समेत फेसबुक भी इन दिनों गलत जानकारी और फेक न्यूज फैलाने के मामले में वैश्विक जांच का सामना कर रहा है. इनमें से बहुतेरी जानकारी फैलाने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. हालांकि सोशल नेटवर्क साइट ने माना था कि रूस की ओर से दो साल के भीतर 80 हजार पोस्ट तैयार किए गए थे जो अमेरिका में तकरीबन 12.6 करोड़ यूजर्स के पास पहुंचे थे.
फेसबुक के समिध चक्रवर्ती ने कहा कि ये हमारे लिए बेहद ही बुरा है कि कोई हमारे मंच का इस्तेमाल साइबरयुद्ध और समाज को बांटने के लिए करे.
सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनियां
फेसबुक जानिए, वे कौन सी कंपनियां हैं जो इंटरनेट से चलती हैं और भयंकर पैसा कूट रही हैं.
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10. सेल्सफोर्स
सैन फ्रैंसिस्कों की यह कंपनी कंप्यूटर सॉल्यूशंस में दुनियाभर की अगुआ है. इसके संस्थापक सीईओ हैं मार्क बेनिऑफ. बाजार में कंपनी की कीमत है 57 अरब डॉलर.
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9. ऐंट फाइनैंशल
पहले इस चीनी कंपनी का नाम था अलीपे. यह चीन की विशालकाय कंपनी अलीबाबा की सहयोगी है. ऑनलाइन पेमेंट सर्विस उपलब्ध करवाती है और 60 अरब डॉलर की हो चुकी है.
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8. बाइडू
चीन की बाइडू एक सर्च इंजन चलाती है और दुनिया की पांच सबसे बड़ी वेबसाइट्स में से है. इसकी मार्केट कैप 62 अरब डॉलर है.
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7. ऊबर
कार हायरिंग कंपनी ऊबर सैन फ्रांसिस्को से चलती है. लोग टैक्सी चलाते हैं और इसका सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं. इसकी कीमत है 63 अरब डॉलर.
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6. प्राइसलाइन
अमेरिका में कनेक्टिकट के नोर्वाक की यह कंपनी ऑनलाइन ट्रैवल पोर्टल चलाती है. 1997 में शुरू हुई और दो साल में इसका आईपीओ आ गया. आज यह 63 अरब डॉलर की कंपनी है.
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5. अली बाबा
ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म के तौर पर काम करने वाली अली बाबा अंग्रेजी के एक टीचर जैक मा ने 1999 में चीन में स्थापित की थी. 2014 में इसके शेयर अमेरिका में बिक रहे थे. आज इसकी कीमत 205 अरब डॉलर है.
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4. टेंसेंट
इसका मुख्यालय तो चीन में है लेकिन काम होता है केमन आइलैंड्स से. इसके कामों में सोशल नेटवर्किंग, वेब पोर्टल, ऑन लाइन गेम्स आदि शामिल हैं. और कीमत है 206 अरब डॉलर.
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3. फेसबुक
अगर आप फेसबुक पर हैं तो 1 अरब 70 करोड़ लोगों के दोस्त बन सकते हैं. 2004 में शुरू हुई इस कंपनी की कीमत आज 340 अरब डॉलर है.
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2. अमेजॉन
ऑनलाइन रिटेलिंग की शुरुआत करने वाली यह कंपनी आज भी इस क्षेत्र में सबसे बड़ी है. 1994 में जेफ बेजोस ने इसे सिएटल से शुरू किया था. इसकी कीमत है 341 अरब डॉलर.
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1. गूगल
इंटरनेट की सबसे बड़ी कंपनी है गूगल. गूगल क्या नहीं करती है, यह तो शायद गूगल सर्च में भी ना मिले. सिलिकॉन वैली से यह कंपनी दुनिया चला रही है. और कीमत है 510 अरब डॉलर.