व्यापारियों के लिए फेसबुक एक नया मंच शुरू कर रहा है जिस पर उत्पाद दिखाए भी जा सकेंगे और उनकी लाइव बिक्री भी हो सकेगी. पर क्या फेसबुक इससे मिलने वाले डाटा का प्रबंधन जिम्मेदारी के साथ करेगा?
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फेसबुक इंटरनेट पर खरीदारी के लिए एक नया मंच शुरू कर रहा है जिस की मदद से व्यापारी ऐसी ऑनलाइन दुकानें खोल पाएंगे जिन तक फेसबुक या इंस्टाग्राम के जरिए पहुंचा जा सकेगा. इस मंच पर इन दुकानों के उत्पाद दिखाए भी जा सकेंगे और उनकी लाइव बिक्री भी हो सकेगी. यह जानकारी फेसबुक ने मंगलवार 19 मई को एक विज्ञप्ति में दी.
फेसबुक के संस्थापक और सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को कोरोना वायरस संकट के दौरान नुकसान झेल रहे छोटे व्यापारियों की मदद के लिए बनाया गया है. उन्होंने कहा, "कई छोटे व्यापार डूब रहे हैं, उन्हें नहीं मालूम कि वो कैसे इस संकट के काल में अपने व्यापार को बचा पाएंगे". उन्होंने यह भी कहा कि इनमें से कई व्यापारी पहली बार ऑनलाइन जा रहे हैं.
जकरबर्ग ने यह भी जानकारी दी कि व्यापारियों से इस नए मंच पर अपनी ऑनलाइन दुकानें खोलने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा. उन्होंने ये माना कि दुकान पर लेनदेन होने पर शुल्क जरूर लगेगा, लेकिन फिर भी फेसबुक के लिए कमाई का प्राथमिक जरिया विज्ञापन ही है. वाकई, फेसबुक की लगभग पूरी की पूरी कमाई विज्ञापनों से ही आती है और खरीददारी का यह नया मंच कंपनी को ग्राहकों के व्यवहार के बारे में जानकारी देगा.
विज्ञप्ति में कंपनी ने कहा भी, "चूंकि सारी गतिविधियां हमारी सेवाओं के बीच ही होंगी, हम ये देख सकेंगे कि आप किस तरह की दुकानों से इंटरैक्ट करते हैं, किस तरह के उत्पादों में आप की दिलचस्पी है, आप क्या खरीदते हैं, इत्यादि". लेकिन जकरबर्ग ने ये भी कहा कि ये जानकारी उपभोक्ता के फेसबुक पर दोस्तों से साझा करने की कोई योजना नहीं है और सिर्फ उपभोक्ता, उनकी दुकान और फेसबुक तक ये जानकारी उपलब्ध होगी.
लेकिन, जानकारों का मानना है कि इस जानकारी से फेसबुक को यह मौका मिल सकता है कि वो सही उपभोक्ताओं तक विज्ञापनों को सीधा पहुंचाने की अपनी क्षमता को और बेहतर कर पाएगा. इससे फेसबुक का इस्तेमाल करने वालों को चिंता हो सकती है, क्योंकि कंपनी पर पहले भी डाटा के इस्तेमाल को लेकर जनता और दुनिया भर की सरकारों का दबाव पड़ा है और कई देशों में उस पर निजता के उल्लंघन के लिए जुर्माना भी लगा है.
क्या बता सकते हैं फेसबुक का रंग नीला क्यों है? या उस अकाउंट के बारे में जिसे कभी ब्लॉक नहीं कर सकते. अगर कोई मर जाए तो उस अकाउंट का क्या होगा? जानिए फेसबुक के बारे में ऐसी 11 बातें जो आमतौर पर किसी को नहीं मालूम होतीं.
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फेसबुक का नीला रंग
दुनिया में इतने रंग है लेकिन फेसबुक का रंग नीला ही क्यों? दरअसल फेसबुक का रंग नीला है क्योंकि फेसबुक चीफ मार्क जुकरबर्ग सबसे ठीक तरह से नीला रंग ही देख सकते हैं. मार्क जुकरबर्ग को रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस है. एक रशियन टेलिविजन टॉक शो में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें कलर ब्लाइंडनेस है और नीला ही वह रंग है जिसे वे सबसे बेहतर ढंग से देख सकता हूं. इसीलिए उन्होंने फेसबुक का रंग नीला रखा है.
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जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता
फेसबुक पर एक ऐसा शख्स भी है जिसे कभी भी ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. जी हां, ऐसा बिल्कुल संभव है. कोई हैरत की बात नहीं है कि वह प्रोफाइल खुद मार्क जुकरबर्ग की है. फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति उन्हें ब्लॉक नहीं कर सकता. कोशिश करके देखिए.
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जुकरबर्ग को खोजना इतना आसान
अगर आप फेसबुक पर लॉग इन करके अपने होम पेज पर हैं तो उस वक्त आपका यूआरएल होता है https://www.facebook.com और दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अपने इसी url के आगे बस /4 जोड़ देंगे तो आप सीधे मार्क जुकरबर्ग की वॉल पर पहुंच जाएंगे.
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दो देशों में फेसबुक बैन भी है
फेसबुक पर अरबों यूजर्स हैं जिनमें दुनिया के लगभग हर देश के लोग हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि फेसबुक चीन और उत्तर कोरिया दो देशों में बैन है.
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कोई मर जाए तो अकाउंट का क्या होता है?
यदि हमारी जान पहचान में कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम फेसबुक पर इस बात की रिपोर्ट कर सकते हैं. फेसबुक ऐसी प्रोफाइल्स को एक तरह का स्मारक (memorialized account) बना देता है. इस अकाउंट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन नहीं कर सकता है. इस तरह के अकाउंट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर
फेसबुक के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं. फेसबुक पर हर रोज लगभग 30 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं. हर 60 सेकंड में 50 हजार कमेंट्स और लगभग 3 लाख स्टेटस लिखे जाते हैं. वहीं दूसरी ओर फेसबुक पर लगभग 9 करोड़ फेक प्रोफाइल्स हैं.
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लाइक की जगह था ये नाम
फेसबुक पर हर जगह लाइक का ऑप्शन दिखता है. वैसे फेसबुक पर इस ऑप्शन के बारे में काफी विवाद रहा. सबसे पहले इसका नाम 'AWESOME' रखा गया था. लेकिन इसे बाद में LIKE किया गया था.
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ये पोक क्या बला है?
फेसबुक पर एक फीचर है पोक. किसी की प्रोफाइल पर जाकर आप उसे पोक कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है? दरअसल कोई मतलब नहीं है. ये बस जैसे खेल के लिए है. यहां तक कि फेसबुक हेल्प सेंटर में भी आप पूछेंगे कि 'poke' का क्या मतलब है तो आपको कभी पता नहीं चलेगा. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग कह चुके हैं कि उन्होंने सोचा था कि वे फेसबुक पर एक ऐसा फीचर बनाएंगे जो बेमतलब होगा. ये बस मस्ती के लिए बनाया गया है.
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फेसबुक एक बीमारी
फेसबुक का एडिक्शन इन दिनों एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है. दुनियाभर में हर उम्र के लोग फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर यानी फेसबुक की लत से जूझ रहे हैं. इस बीमारी का संक्षिप्त नाम FAD है. इस वक्त दुनिया में लगभग कई करोड़ लोग FAD से ग्रसित हैं.
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खरीदा इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को
9 फेसबुक 2004 मार्च में शुरू हुआ और एक साल के भीतर ही इसने दस लाख यूजर्स जुटा लिए थे. जून 2009 तक यह इतना बढ़ चुका था कि यह अमेरिका की नंबर वन सोशल नेटवर्किंग साइट बन गयी. अप्रैल 2012 में फेसबुक ने इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया था.
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कब क्या लॉन्च हुआ
फेसबुक ने सितंबर 2004 में "वॉल", सितंबर 2006 में "न्यूज फीड", फरवरी 2009 में "लाइक" बटन और सितंबर 2011 में टाइमलाइन फीचर लॉन्च किया.