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फेसबुक पर कॉमनवेल्थ झेल

विवेक कुमार (संपादनः ए कुमार)४ सितम्बर २०१०

भारत में कुछ लोग कॉमनवेल्थ खेल को अझेल मान रहे हैं और काली पट्टी बांध कर इनके विरोध की तैयारी कर रहे हैं. ये लोग फेसबुक पर जमा हो गए हैं. कई बड़े लेखक, पत्रकार औऱ राजनेता इनमें शामिल हैं.

नई दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों से अब तक कोई अच्छी खबर नहीं मिली है. एक महीने से भी कम वक्त रह गया है और तैयारियां अभी चल ही रही है. पूरी नहीं हुई हैं और डर बना हुआ है कि पूरी हो भी पाएंगी या नहीं. भ्रष्टाचार के आरोप भी गाहे बगाहे आते ही रहते हैं. खिलाड़ियों को लेकर भी हाल अच्छे नहीं हैं. कुछ डोपिंग में पकड़े गए हैं तो कुछ ने खेलने से ही इनकार कर दिया. इन सब वजहों से कॉमनवेल्थ खेलों का विरोध करने वालों की तादाद बढ़ रही है.

कब होंगी पूरी तैयारियांतस्वीर: AP

पूर्व केंद्रीय मंत्री मणि शंकर अय्यर तो कहते ही रहे हैं कि कॉमनवेल्थ खेल फिजूलखर्ची के सिवा कुछ नहीं, अब और लोग भी इस फेहरिस्त में जुड़ते जा रहे हैं. इन लोगों में लेखक चेतन भगत और पूर्व सीबीआई चीफ जोगिंदर सिंह भी शामिल हो गए हैं. इसके अलावा कई जाने माने पत्रकार और प्राइवेट कंपनियों में बड़े ओहदों पर काम कर रहे लोग भी इनमें शामिल हैं.

ये लोग इंटरनेट के जरिए एक मंच पर जमा होकर साझा विरोध कर रहे हैं. इसके लिए फेसबुक पर एक कम्यूनिटी बनाई गई है, जिसे कॉमनवेल्थ झेल नाम दिया गया है. और इसकी टैगलाइन है द काली पट्टी कैंपेन. इस अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि वे कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जाहिर करेंगे.

कॉमनवेल्थ खेलों के विरोध में चेतन भगत जैसे चर्चित लोगों के सामने आने से इस मुहिम को बल भी मिला है. पिछले दिनों एक लेख में चेतन भगत ने लिखा, "कॉमनवेल्थ 2010 आजाद भारत के इतिहास में भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी और मुखर मुहिम है. ना सिर्फ उन्होंने जनता का पैसा चुराया है बल्कि हाथ में लिए काम का भी उन्होंने कूड़ा-कबाड़ा कर डाला है. पूरी दिल्ली को खोद डाला गया है और मुझे तो लगता है कि कॉमनवेल्थ खेलों का आधिकारिक संगीत ड्रिलिंग मशीन की कभी न खत्म होने वाली आवाज को बनाया जाए."

इस फेसबुक कम्यूनिटी से जुड़े लोग बताते हैं कि इस सांकेतिक अभियान के जरिए वह सरकार को बताना चाहते हैं कि जनता की आंखों पर पट्टी नहीं बंधी है. इनका कहना है कि हम लोग गेम्स के नहीं बल्कि इसके नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार और घोटालों के विरोधी हैं. एक निजी संस्थान में आईटी हेड के पद पर कार्यरत और इस कम्युनिटी में सक्रिय भूमिका निभा रहे के. बडथ्वाल कहते हैं, "पहली बार एक ऐसा अभियान चलाया जा रहा है जिसके साथ जुड़ना आम आदमी के लिए बेहद सरल है और हर जागरुक नागरिक को इससे जुड़ना चाहिए. जबर्दस्ती हम पर थोपे गए इन खेलों को हम झेलना नहीं चाहते."

तस्वीर: UNI

इस कम्यूनिटी के साथ एक हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. इनमें ब्रिटेन और अमेरिका के नागरिक भी शामिल हैं. भारत के कुछ राजनेता और पूर्व नौकरशाहों ने भी इस कैंपेन का समर्थन किया है. पूर्वी सीबीआई प्रमुख जोगिंदर सिंह कहते हैं, "अगर कॉमनवेल्थ खेलों के लिए पैसा बर्बाद हो रहे धन से लिया जाता तो बहुत अच्छा रहता. लेकिन इन पर वो पैसा खर्च किया जा रहा है, जिसे दलितों के विकास के लिए, शिक्षा और सामाजिक कार्यों के लिए रखा गया. एक ऐसा गरीब देश, जहां 42 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीते हैं, इस तरह की बर्बादी को आप क्या कहेंगे?” कॉमनवेल्थ के विरोध में इस तरह की आवाजें कई जगहों से उठी हैं. हाल ही में भारतीय मीडिया में कराए गए सर्वे ने बड़े युवा तबके ने इसे फिजूलखर्ची बताया था.

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