फोन पर फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की पूरी कॉन्टैक्ट लिस्ट, कॉल, मैसेज और लोकेशन हिस्ट्री फेसबुक के पास है. न्यूजीलैंड के एक सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट ने तस्वीरों का साथ ऐसा दावा किया है.
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फेसबुक डाटा चोरी कांड में नई और बेहद चौंकाने वाली जानकारियां सामने आ रही हैं. न्यूजीलैंड के सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट डिलन मैके का दावा है कि फेसबुक यूजर की मोबाइल कॉल्स, एसएमएस और लोकेशन को भी हर वक्त ट्रैक करता है. कैम्ब्रिज एनालिटिका स्कैंडल के सामने आने के बाद मैके ने अपना फेसबुक प्रोफाइल डिलीट करने की कोशिश की. इस दौरान उन्हें एक सुझाव मिला, जिसमें लिखा था, "शायद आप फेसबुक से अपनी जानकारी की एक कॉपी डाउनलोड करना चाहेंगे."
यह जानकारी डाउनलोड करने के बाद मैके हैरान हो गए. मैके ने अक्टूबर 2016 से जुलाई 2017 के बीच की जानकारियां ट्विटर के जरिए साझा भी की है. मैके का दावा है कि फेसबुक ने उनके फोन की पूरी कॉन्टैक्ट लिस्ट हासिल कर ली. फेसबुक ने मैके की हर कॉल का हिसाब किताब रखा. फेसबुक ने उनके फोन की आउटगोइंग कॉल, इनकमिंग और मिस्ड कॉल जानकारी दर्ज की. साथ ही कॉल ड्यूरेशन भी रिकॉर्ड की गई.
डिलन मैके ने फेसबुक से मिली अपनी कॉल हिस्ट्री की जानकारी भी ट्वीट की.
सोशल मीडिया साइट्स अक्सर यूजर्स को अपना एकाउंट डिलीट करने के बजाए डिएक्टिवेट करने के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं. प्रोफाइल डिएक्टिवेट करने से सारा निजी डाटा वेबसाइट के सर्वर में ही बरकरार रहता है.
डिलन मैके के दावों के बाद कुछ यूजर्स ने भी फेसबुक से अपनी जानकारी की कॉपी डाउनलोड की. एमा कैनेडी नाम की यूजर का भी ऐसा ही दावा है.
न्यूजीलैंड के साइबर एक्सपर्ट का दावा है कि फेसबुक बरसों पुरानी मोबाइल हिस्ट्री भी स्टोर करके रखता है. मैके के मुताबिक वह जहां भी गए, उसकी जानकारी फेसबुक के पास थी, उनके दोस्तों के जन्मदिन के डिटेल और फेसबुक यूज करने के बाद मोबाइल किया गया पहला एसएमएस भी दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट के पास मौजूद मिला.
डाटा चोरी के आरोपों के बाद फेसबुक चौतरफा आलोचनाओं में घिरा हुआ है. कैम्ब्रिज डाटा एनालिटिका नाम की ब्रिटिश कंपनी और फेसबुक की साठ गांठ के बाद कई लोग फेसबुक को अलविदा कह रहे हैं. इंटरनेट पर डिलीट फेसबुक नाम का अभियान भी चल रहा है. बढ़ते दबाव के बीच रविवार को फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग ने ब्रिटिश अखबारों में सॉरी कहते हुए विज्ञापन भी दिया. पूरे पेज के विज्ञापन में लिखा गया था, "आपकी सूचानाओं की हिफाजत करना हमारी जिम्मेदारी है. अगर हम ऐसा न कर पाएं तो हम इसके काबिल नहीं हैं." जकरबर्ग ने माफीनामे में यह भी कहा कि भविष्य में इस तरह की डाटा चोरी नहीं होगी.
ब्रिटेन के न्यूज चैनल स्काई न्यूज के मुताबिक 1,000 लोगों के बीच किए गए सर्वे में यह पता चला है कि 65 फीसदी लोग अब फेसबुक पर कम भरोसा कर रहे हैं.
डाटा बेचकर पैसा बनाता फेसबुक
दुनिया में तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक के एक्टिव यूजर्स हैं, लेकिन ये यूजर्स फेसबुक को एक रुपये का भुगतान नहीं करते. ऐसे में सवाल उठता है कि फेसबुक कंपनी चलाने के लिए पैसा कहां से लाती है. जानते हैं फेसबुक की कमाई का राज
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आइडिया बनी कंपनी
होस्टल से कमरे से शुरू हुआ एक छोटा आइडिया आज एक ग्लोबल प्रोजेक्ट बन गया है, दुनिया की लगभग एक चौथाई जनसंख्या आज फेसबुक की रजिस्टर्ड यूजर में शामिल है.रोजाना तकरीबन 200 करोड़ लोग फेसबुक पर लाइक, कमेंट के साथ-साथ तस्वीरें भी डालते हैं.
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कंपनी की आय
मोटा-मोटी फेसबुक पर औसतन हर एक यूजर दिन के करीब 42 मिनट बिताता है. पिछले कुछ सालों में कंपनी की कुल आय, तीन गुना तक बढ़ी है और आज की तारीख में इसकी नेट इनकम करीब 900 करोड़ यूरो तक पहुंच गई है.
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मुफ्त सेवायें
अब सवाल है कि जब फेसबुक की सारी सुविधायें यूजर्स के लिए फ्री हैं तो पैसा कहां से आता है. सीधे तौर पर बेशक फेसबुक अपने यूजर्स से पैसा नहीं लेता लेकिन ये यूजर्स के डाटा बेस को इकट्ठा करता है और उन्हें कारोबारी कंपनियों को बेचता है. आपका हर एक क्लिक आपको किसी न किसी कंपनी से जोड़ता है.
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डाटा के बदले पैसा
फेसबुक अपने यूजर डाटा बेचकर कंपनियों से पैसे कमाता है. मसलन कई बार आपसे किसी साइट या किसी कंपनी में रजिस्टर होने से पहले पूछा जाता है कि क्या आप बतौर फेसबुक यूजर ही आगे जाना चाहते हैं और अगर आप हां करते हैं तो वह साइट या कंपनी आपकी सारी जानकारी फेसबुक से ले लेती है.
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विज्ञापनों का खेल
दूसरा तरीका है विज्ञापन, अपने गौर किया होगा कि आपको अपने पसंदीदा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन ही फेसबुक पर नजर आते होंगे. मसलन अगर आपने पसंदीदा जानवर में बिल्ली डाला तो आपके पास बिल्लियों के खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम विज्ञापन आयेंगे
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ऑडियंस टारगेटिंग
सारा खेल इन विज्ञापनों की प्लेसिंग का है. इस प्रक्रिया को टारगेटिंग कहते हैं. फेसबुक मानवीय व्यवहार से जुड़ा ये डाटा न सिर्फ कंपनियों को उपलब्ध कराता है बल्कि तमाम राजनीतिक समूहों को भी उपलब्ध कराता है. मसलन ब्रेक्जिट के दौरान उन लोगों की टारगेटिंग की गई थी जो मत्स्य उद्योग से जुड़े हुए हैं.
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कौन होता प्रभावित
इन सब के बीच ये अब तक साफ नहीं हुआ है कि कौन किसको कितना प्रभावित कर रहा है और कंपनियों को फेसबुक के साथ विज्ञापन प्रक्रिया में शामिल होकर कितना लाभ मिल रहा है. साथ ही डाटा खरीदने-बेचने की इस प्रक्रिया में कितने पैसे का लेन-देन होता है.
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कोई जिम्मेदारी नहीं
फेसबुक किसी डाटा की जिम्मेदारी नहीं लेती और न ही इसकी सत्यता की गारंटी देता हैं. डिजिटल स्पेस की यह कंपनी अब तक दुनिया का पांचवा सबसे कीमती ब्रांड बन गया है. कंपनी ने कई छोटी कंपनियों को खरीद कर बाजार में अपनी एक धाकड़ छवि बना ली है.