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फैलते शहरों में चैन नहीं

११ मार्च २०११

सारी दुनिया में शहरों की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है. लेकिन विशेषज्ञों की राय में यह सिर्फ शुरुआत है. सन 2050 तक दुनिया की सत्तर फीसदी आबादी शहरों में रहेगी.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

नई दिल्ली की मिसाल ली जाए. बढ़ती आबादी की चुनौती से निपटने के लिए सुविधाएं बढ़ाने की कोशिश जारी है. फ्लाई ओवर बनाए गए, मेट्रो की व्यापक व्यवस्था की गई. समस्याएं कुछ घटीं, शहर का आकर्षण बढ़ा - निवेशकों के लिए, रोजगार ढूंढ़ने के लिए. यानी दूरदराज से लोग दिल्ली की ओर आएंगे, आबादी और बढ़ेगी और उसी के साथ समस्याएं.

सारी दुनिया में यह सिलसिला जारी है.

सन 1900 में दुनिया की आबादी की लगभग 14 फीसदी शहरों में रहती थी. 1950 तक उनकी तादाद बढ़कर 30 फीसदी हो चुकी थी. आज वह 50 फीसदी के बराबर है. इस समय 400 से अधिक ऐसे शहर हैं, जिनकी आबादी दस लाख से अधिक है. एक करोड़ से अधिक की आबादी वाले शहरों की संख्या 19 हो चुकी है. फ्रांस के कान शहर में शहरी संपत्ति के सवालों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एमआईपीआईएम में यह जानकारी दी गई है.

सम्मेलन में लंदन के मेयर बोरिस जॉनसन ने कहा कि दुनिया के भविष्य शहरों में दिख रहा है. वे महात्मा गांधी की इस टिप्पणी को नए रूप में पेश कर रहे थे कि भारत का भविष्य उसके 70 हजार गांवों में है. जॉनसन ने कहा कि शहरों में गांव की भावना को बसाते रहना पड़ेगा क्योकि लोग मूलतः यही चाहते हैं.

शहरी जिंदगी की खूबी की ओर ध्यान दिलाते हुए लंदन के मेयर ने कहा कि शहरों में लोग लंबी उम्र पाते हैं, शिक्षा की बेहतर सुविधाएं मिलती है, काम करने का कहीं अधिक मौका मिलता है. उन्होंने यह भी कहा कि शहरों में प्रति व्यक्ति कार्बन डाई ऑक्साईड का उत्सर्जन कम होता है.

सम्मेलन में लंदन के वेस्टमिनिस्टर विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय नियोजन और संगत विकास संकाय के रीडर टोना लॉयड जोन्स ने कहा कि खासकर नवविकसित देशों, मसलन चीन या भारत और एशिया, लातिन अमेरिका व अफ्रीका के देशों में शहरी आबादी बेतहाशा तेजी के साथ बढ़ती जा रही है.

शहराती धमाका

ब्रिटेन के डेली टेलिग्राफ में प्रकाशित एक अध्ययन में उन शहरों की सूची पेश की गई है, जिनकी आबादी अगले दशकों के दौरान सबसे तेजी के साथ बढ़ने वाली है. इनमें शामिल है लंदन, शिकागो, टोक्यो, न्यूयार्क, लॉस एंजेलेस, हॉन्गकॉन्ग, साओ पाओलो, मेक्सिको सिटी, बुएनोस आयर्स, मुंबई और मॉस्को.

मुंबई का धारावीतस्वीर: DW

शहरों की बढ़ती आबादी के साथ कुछ विकट समस्याएं जुड़ी हुई हैं. कई महानगर ऐसे क्षेत्रों में हैं, जहां भूकंप और बाढ़ का गंभीर खतरा है. एमआईपीआईएम सम्मेलन में फिलिपींस के फुआद बेंदिमेराद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से ये समस्याएं और बढ़ेंगी. उन्होंने ध्यान दिलाया कि विश्व के 8-10 बड़े शहरों में भूकंप का बराबर खतरा बना हुआ है. इस सिलसिले में लॉयड जोन्स ने कहा है कि तेल की बढ़ती कीमत के चलते परिवहन प्रणाली को किफायती और संगत बनाना सबसे बड़ी चुनौती होने जा रही है. सामाजिक ताने-बाने पर भी शहरीकरण का व्यापक प्रभाव पड़ रहा है. और खासकर नवविकसित देशों में इसका असर देखने को मिल रहा है.

रिपोर्ट एजेंसियां/उभ

संपादन ए कुमार

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