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फोन टैपिंगः संसद में हंगामे के आसार

२६ अप्रैल २०१०

फोन टैपिंग मामले पर विपक्ष के वारों के बीच आज यह मुद्दा संसद में उठ सकता है. विपक्ष इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री का बयान चाहता है. उधर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार पर अपना फोन टैप कराने का आरोप लगाया है.

तस्वीर: Picture-Alliance / Photoshot

पिछले दिनों 'आउटलुक' पत्रिका ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि सरकार आधुनिक फोन टैपिंग तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कई बड़े नेताओं के फोन टैप करा रही है. इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री शरद पवार, सीपीएम नेता प्रकाश करात और कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह भी शामिल हैं.

तस्वीर: AP

यह मुद्दा सोमवार को संसद में उठने की भी उम्मीद है. बीजेपी प्रवक्ता शाह नवाज हुसैन ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए प्रधानमंत्री की तरफ से बयान की मांग की है.

बीजेपी नेता आडवाणी ने अपने ब्लॉग में "क्या यह इमरजेंसी की वापसी है" शीर्षक से लिखा है कि 1885 के भारतीय टेलिग्राफ कानून को खत्म किया जाए और इसकी जगह ऐसा कानून लाया जाए जिसमें आम नागरिकों की प्राइवेसी के अतिक्रमण को रोका जा सके. आडवाणी के मुताबिक इस कानून में राष्ट्र को पास अपराध, कानूनों के उल्लंघन या जासूसी जैसे मामलों में ही फोन टैपिंग की तकनीकों के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए.

आडवाणी ने इस मुद्दे पर ब्रिटेन की बिरकेट कमिटी की तर्ज पर एक संसदीय समिति बनाने की मांग की है जो इस समस्या के सभी पहलुओं को जांचे परखे, पुराने पड़ चुके भारतीय टेलिग्राफ कानून को खत्म करे और इसकी जगह नया कानून लाए.

इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सरकार का बचाव किया है. उनके मुताबिक, "मैं इस रिपोर्ट को सही नहीं मानता क्योंकि मनमोहन सिंह की सरकार ऐसे अनैतिक और अवैधानिक काम नहीं कर सकती." साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार पर अपना फोन टैप कराने का आरोप भी लगाया.

हालांकि दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि उन्हें अपना फोन टैप किए जाने से कोई दिक्कत नहीं है. इसके अलावा उन्होंने मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार पर भ्रष्ट मंत्रियों का बचाने का आरोप भी लगाया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एस गौड़

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