फौजियों में पिसी पाक हॉकी
२१ अगस्त २०१३स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में अगले साल होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स यानी राष्ट्रमंडल खेल में शामिल होने की सूचना बीते 23 जुलाई तक देनी थी. लेकिन पाकिस्तानी ओलंपिक संघ के अंदरूनी झगड़े की वजह से यह काम नहीं हो पाया. इसके बाद दुनिया की बेहतरीन टीमों में गिनी जाने वाली पाकिस्तानी टीम दुविधा में पड़ गई है.
पाकिस्तान ओलंपिक संघ दो धड़ों में बंटा है और मजे की बात है कि दोनों ही धड़ों की कमान पूर्व फौजी अफसरों के हाथ में है. एक ग्रुप रिटायर जनरल सैयद आरिफ हसन के अधीन काम कर रहा है, तो दूसरे के मुखिया रिटायर मेजर जनरल अकरम साही हैं. आरिफ हसन वाले ग्रुप को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ से मान्यता मिली हुई है, जबकि दूसरे गुट के साथ पाकिस्तान का खेल महकमा और सरकार खड़ी है.
गौरतलब है कि साही ने पाकिस्तान हॉकी परिसंघ के साथ मिलकर निर्धारित 23 जुलाई से पहले ही ग्लासगो में खेलने की इच्छा जता दी, लेकिन राष्ट्रमंडल खेल ने उसकी अपील यह कह कर खारिज कर दी कि वह सिर्फ आरिफ हसन वाले गुट से बात करेगा. इन सबके बीच पाकिस्तान के खिलाड़ी तय नहीं कर पा रहे हैं कि उनका अगला कदम क्या हो.
भारत के साथ पाकिस्तान की ओलंपिक टीम को परंपरागत हॉकी का केंद्र माना जाता है. पाकिस्तान ने ओलंपिक खेलों में पहली बार भारत की बादशाहत तोड़ते हुए 1960 के रोम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था. वह कुल तीन बार ओलंपिक, चार बार वर्ल्ड कप और आठ बार एशियाई खेलों का चैंपियन रह चुका है. वह मौजूदा वक्त का एशियाई खेल और एशियाई हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता भी है. पाकिस्तानी खिलाड़ी सुहैल अब्बास के नाम विश्व हॉकी में सबसे ज्यादा 388 गोल करने का रिकॉर्ड भी है. अगर पाकिस्तान ग्लासगो में नहीं खेल पाया, तो यह न सिर्फ पाकिस्तान बल्कि पूरे एशिया और विश्व हॉकी के लिए अफसोस की बात होगी.
हालांकि आरिफ हसन गुट ने राष्ट्रमंडल खेलों से अनुरोध किया है कि वह 23 जुलाई वाली सीमा बढ़ा दें और कॉमनवेल्थ गेम्स के सीईओ माइक हूपर से बातचीत के बाद यह मीयाद दो बार बढ़ा भी दी गई है. लेकिन इसके बाद भी उसके पास मुश्किल से एक हफ्ता बचा है. लेकिन दोनों हिस्सों में सुलह नहीं हो पा रही है और समझा जाता है कि अब पाकिस्तान की सरकार इस मुद्दे पर कोई दखल दे सकती है. हॉकी पाकिस्तान का राष्ट्रीय खेल है.
अगर पाकिस्तान की टीम राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा नहीं ले पाई, तो खेलों के आयोजन पर भी असर पड़ सकता है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रमंडल खेलों का बेटन कई देशों से होकर गुजरता है. इसका बेटन लंदन के बखिंघम पैलेस से शुरू होगा और 10 अक्तूबर को दिल्ली पहुंचेगा. वहां से बांग्लादेश होते हुए इसे लाहौर जाना है. अगर पाकिस्तान ओलंपिक संघ के दोनों धड़ों में सुलह नहीं होती है तो यह भी सवाल उठेगा कि क्या बेटन पाकिस्तान भेजा जाए या नहीं.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, नई दिल्ली
संपादनः अनवर जे अशरफ