2014 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार फ्रांस के लेखक पाट्रीक मोदियानो को दिया गया है. 1968 में पहली किताब लिखने वाले मोदियानो मुख्य रूप से इतिहास पर केंद्रित उपन्यास लिखते हैं.
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साहित्य का नोबेल
पिछले सालों में साहित्य का नोबेल पुरस्कार भावनाओं की विविधता दिखाने वाले लेखकों को मिला है. 2021 का पुरस्कार ब्रिटेन में रहने वाले और तंजानिया में जन्मे लेखक अब्दुलरजाक गुरना को दिया गया है.
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2021 अब्दुलरजाक गुरना
तंजानिया में जन्मे अब्दुर्रज्जाक गुरना को 2021 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है. 72 साल के गुरना के लेखन में उस यात्रा का दर्द दिखता है जो वह बतौर एक शरणार्थी तमाम जिंदगी करते रहे हैं.
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2020 लुइज ग्लुक
अमेरिकी लेखिका लुइज ग्लुक को उनके काव्य संग्रह एवेर्नो के लिए 2020 का नोबेल साहित्य पुरस्कार दिया जाएगा.
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2019 पीटर हांडके
ऑस्ट्रियाई लेखक पीटर हांडके को 2019 के नोबेल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित दिया गया.
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2018 ओल्गा तोकार्जुक
2018 के लिए पोलिश लेखिका ओल्गा तोकार्जुक को साहित्य का बेल पुरस्कार दिया गया.
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2017 का नोबेल काजुओ इशिगुरो को
साल 2017 के साहित्य का नोबेल पुरस्कार ब्रिटिश लेखक काजुओ इशिगुरो को दिया गया. "द रिमेंस ऑफ द डे" से मशहूर हुए उपन्यासकार काजुओ इशिगिरो का जन्म तो जापान में हुआ लेकिन वह अब ब्रिटेन में रहते हैं और अंग्रेजी में लिखते हैं.
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2016 बॉब डिलन
अमेरिकी गायक और गीत लेखक बॉल डिलन को 2016 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया.
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स्वेतलाना अलेक्सिएविच
2015 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार बेलारूस की महिला पत्रकार स्वेतलाना अलेक्सिएविच को मिला है. वे यह पुरस्कार पाने वाली पहली पत्रकार हैं. उन्हें भावनाओं के इतिहास को संकलित करने वाली उनकी खोजी किताबों के लिए सम्मानित किया गया है.
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पाट्रीक मोदियानो
2014 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार फ्रांसीसी लेखक मोदियानो ने जीता है. फ्रांस में 1940 से 1944 तक रही जर्मन सत्ता के दौर के बारे मे उन्होंने काफी लिखा है.
इस बार की विजेता हैं कनाडा की एलिस मुनरो. हर साल साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार देने वाली स्वीडिश अकादमी ने उन्हें समकालीन लघुकथा का मास्टर बताया. आलोचक उन्हें कनाडा का चेखव कहते हैं.
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2012: मो यान
मो यान के नाम से प्रख्यात गुआन मोए को नोबेल पुरस्कार देते हुए स्वीडिश अकादमी ने उनकी प्रशंसा में कहा था कि वे जनकथाओं, इतिहास और वर्तमान को भ्रामक हकीकत के साथ जोड़ देते हैं.
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2011: टोमास ट्रांसट्रोएमर
अकादमी ने ट्रांसट्रोएमर का चुनाव इसलिए किया कि वे "अपनी गहरी और निर्मल छविओं से हमारा हकीकत के साथ मेल कराते हैं." मनोवैज्ञानिक रहे कवि की रचनाओं का 60 भाषाओं में अनुवाद हुआ है.
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2010: मारिया वार्गास ल्योसा
पेरू के उपन्यासकार को सत्ता के ढांचे का नक्शा बनाने और हर एक के प्रतिरोध, विद्रोह और पराजय को रेखांकित करने के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. उन्हें उनके बेबाक बयानों के लिए भी जाना जाता है.
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2009: हैर्टा मुलर
जर्मन-रोमेनियन लेखिका को पुरस्कार देते हुए अकादमी ने उन्हें ऐसी लेखिका बताया "जो पद्य के संकेंद्रन और गद्य की बेबाकी से विस्थापितों के लैंडस्केप का वर्णन करती हैं." वे 1987 से बर्लिन में रहती हैं.
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2008: ले क्लेजियो
फ्रांस के जां मारी गुस्ताव ले क्लेजियो को स्वीडिश अकादमी ने "लीक से हटकर लिखने वाला, काव्यात्मक साहस और संवेदनात्मक आनंद का लेखक बताया जो सभ्यता के बाहर की मानवता की खोज करता है."
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2007: डोरिस लेसिंग
ब्रिटिश लेखिका डोरिस लेसिंग ने उपन्यास, नाटक और लघु कथाएं लिखी है. अकादमी ने 93 साल की लेखिका को संशय, जोश और दूरदर्शी ताकत के साथ विभाजित सभ्यता की छानबीन करने वाला लेखक बताया.
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2006: ओरहान पामुक
नोबेल पुरस्कार देते हुए अकादमी ने कहा, "अपने शहर की उदास आत्मा की खोज में निकले पामुक ने संस्कृतियों के संघर्ष के नए प्रतीक पाए." ओरहान पामुक नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले तुर्क लेखक हैं.
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2005: हैरॉल्ड पिंटर
"उत्पीड़न के बंद कमरों में जबरदस्ती घुसने वाले" पिंटर ने अपने नाटकों पर बनी फिल्मों में भी काम किया.
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मोडियानो की पहली किताब 'ला प्लास द लितुआल' 1968 में प्रकाशित हुई और इस किताब का कोई अंग्रेजी अनुवाद नहीं किया गया है. दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में और फ्रांस के जर्मनी के कब्जे में होने के बाद यहूदी पहचान के बारे में उन्होंने काफी लिखा है.
नोबेल कमेटी ने उन्हें पुरस्कार देते हुए कहा, "जिस तरीके से उन्होंने यादों को प्रस्तुत किया है, उससे उन्होंने पकड़ी नहीं जा सकने वाले इंसानी भावनाओं को दिखाया है और जीवन को खोला है, पेशेवर दुनिया को भी." कमेटी ने कहा कि फ्रांसीसी लेखक "हमारे समय के मार्सेल प्रोस्ट हैं." मार्सेल प्रोस्ट फ्रांस के मशहूर उपन्यासकार थे. 'इन सर्च ऑफ लॉस्ट टाइम' नाम का उनका उपन्यास करीब चार हजार पेज का है और उसमें दो हजार से ज्यादा चरित्र हैं.
वहीं मोदियानो के काम याद, विस्मृति, पहचान, ग्लानि पर केंद्रित रहे हैं. ये सभी वे भावनाएं हैं जो जर्मन कब्जे और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अक्सर सामने आईं. मोदियानो के 30 साल के कामों में 'अ ट्रेस ऑफ मालीस' और 'हनीमून' शामिल हैं. उनके कुछ ही उपन्यास अंग्रेजी में अनुवादित हैं.
इससे पहले चिकित्सा, भौतिक शास्त्र और रसायन के लिए नोबेल दिया जा चुका है. उन्हें पुरस्कार के रूप में 11 लाख डॉलर की राशि दी जाएगी.