फ्रांस के कुछ इलाकों में एशियन हॉर्नेट (ततैया) या वेस्पा वेलुटिना निग्रीथोराक्स को जनता का दुश्मन माना जाता है. खतरनाक ततैये मधुमक्खियों को निगल जाते हैं और जानकारों का कहना है कि यह जैव विविधता के लिए खतरा है. यूनिवर्सिटी ऑफ टुअर्स के जीवविज्ञानी एरिक डारोजू के मुताबिक, "यह (संख्या में) विस्फोट और परेशानी खड़ी कर रहे हैं." लेकिन समाधान के कुछ प्रकार नजर आ रहे हैं. कीट नियंत्रक एटिने रोमालिहा का काम अटलांटिक तट के लांडेस प्रांत में रोजाना 6 घोंसलों को नष्ट करना है. हर घोंसले में हजारों ततैये हो सकते हैं. वे कहते हैं, "वे हर जगह मिल जाते हैं, गार्डन शेड, लेटर बॉक्स, कार के रेडिएटर और पानी के डिब्बे में. 80 फीसदी कॉल मुझे शहरों या नगरों या फिर इनके आसपास से आते हैं."
ततैये के लिए ड्रोन
रोमालिहा इनको मारने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल कर चुके हैं लेकिन वह पेड़ों की शाखों में फंस जाते हैं. शहरी इलाकों में ड्रोन का इस्तेमाल करना अजीब होता है साथ ही इसके इस्तेमाल के लिए परमिट की जरूरत भी है. ड्रोन के इस्तेमाल के लिए परमिट मिलना आसान नहीं. कीटनाशकों का इस्तेमाल करने के लिए वह ज्यादातर टेलीस्कॉपिक रॉड का इस्तेमाल करते हैं.
शौकीन मधुमक्खी पालक फ्रांसिस इथुरबुरू इन खतरनाक ततैयों को मारने के लिए अलग हथियार का इस्तेमाल करते हैं. मुर्गी के चूजों को ततैये पसंद है और जब ततैये मधुमक्खियों पर हमला करते हैं तो वे चूजों का भी खाना बन जाते हैं. मधुमक्खी के छत्ते के पास ततैये हेलिकॉप्टर की तरह घूमते हैं जिससे उन्हें मधुमक्खियों पर हमले करने में आसानी होता है. लेकिन यह भूखे चूजों के आसानी से शिकार हो जाते हैं. डारोजू कहते हैं, "यह एक दिलचस्प प्रजाति है. वे जिस तरह से अपने घोंसले बनाते हैं वह अद्भुत है." लेकिन वे मानते हैं कि वे एक समस्या बन गए हैं.
2012 में फ्रांस ने इस कीट को मधुमक्खी पालन के लिए हानिकारक करार दिया. पिछले साल अस्थायी रूप से सल्फर डाइऑक्साइड की मदद से इन्हें खत्म करने की इजाजत दी गई. यह प्रतिबंधित रसायन है जिसे सांस की समस्या से जोड़ा जाता है. ततैये स्पेन, पुर्तागल और इटली तक पहुंच गए. बेल्जियम में भी इनके नजर आने का दावा किया जा रहा है. अप्रैल में इन्हें ब्लैकलिस्ट में डाल दिया था. ब्रिटिश संसद की रिपोर्ट में कहा गया था कि इंग्लिश चैनल को जानलेवा घुसपैठिये जल्द पार कर सकते हैं और ब्रिटिश तटों पर डेरा जमा सकते हैं. खतरे की घंटी के बीच, ब्रिटिश अखबार ने दावा किया कि फ्रांस में जानलेवा ततैयों के कारण 6 लोगों की मौत हो गई. लेकिन फ्रेंच एंटी पॉयजन सेंटर का तर्क है कि वे इंसान के लिए ज्यादा खतरनाक नहीं हैं. एशियन ततैये पर शोध करने वाले और पेरिस में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में शोधकर्ता फ्रांक मुलर के मुताबिक, "हमने मुख्य रूप से घरेलू मधुमक्खियों पर इसके प्रभाव के बारे में बात की है, लेकिन हम जैव विविधता पर इसके प्रभाव के बारे में भूल गए."
यह प्रजाति हर परिस्थिति में अपने आप को ढाल लेती है और करीब करीब कहीं भी अपने आपको जिंदा रख लेती है.
एए/ओएसजे (एएफपी)
विश्व वन्यजीव कोष ने दुनिया भर के जानवरों की कुछ प्रजातियों को बेहद खतरे में बताया है. कटते जंगल और अंधाधुंध तस्करी और शिकार से इन जानवरों की संख्या घटती जा रही है और इनके विलुप्त होने तक का खतरा छा गया है.
तस्वीर: China Photos/Getty Imagesखूबसूरत फर के लिए यह खूबसूरत जानवर बलि चढ़ जाता है. रूस और चीन में ये तेंदुआ खास तौर पर पाया जाता है. जंगलों की कटाई की वजह से ये और मुश्किल में हैं. इनकी खाल 500 से 100 डॉलर के बीच बिकती है.
तस्वीर: Diptendu Dutta/AFP/Getty Imagesकेन्या, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, कैमरून और इसके आस पास के अफ्रीकी देशों में काले गेंडे मिल जाते हैं. लेकिन ये तेजी से घटते जा रहे हैं क्योंकि सींग के लिए इन्हें मार दिया जाता है. दक्षिण अफ्रीका में 2010 की रिपोर्ट बताती है कि उस साल 333 गेंडे मारे गए. यानि हर रोज करीब करीब एक गेंडा.
तस्वीर: APनाइजर और कैमरून जैसे देशों में इस प्रजाति के गुरिल्ले को मारना गैरकानूनी है. लेकिन कानून को सख्ती से नहीं लागू किया जाता है. ताजा सर्वे बताता है कि दुनिया में 200-300 ऐसे गुरिल्ले ही बचे हैं. यानि हर गुरिल्ले की मौत के साथ इस प्रजाति के खत्म होने का खतरा बढ़ता जा रहा है.
तस्वीर: WWF/Brent Stirtonखाल और मांस के लिए इस कछुए को मार डाला जाता है. दूर से यह दूसरे कछुओं की ही तरह लगता है, लेकिन इसके चितकबरे धब्बे इसे अलग करते हैं. हिन्द, प्रशांत और अटलांटिक महासागर में पाए जाने वाले इस कछुए को बचाने की मुहिम तेज की गई है.
तस्वीर: SOS Tartarugasभारत, चीन और इंडोनेशिया में खास तौर पर पाए जाने वाले इन गेंडों की संख्या लगातार घट रही है. इसके सींग की कीमत 30,000 डॉलर प्रति किलो तक होती है और चीन में एक खास दवा के लिए इसका इस्तेमाल होता है. लेकिन इसकी वजह से गेंडे की यह प्रजाति ही खत्म होती दिख रही है.
तस्वीर: BAY ISMOYO/AFP/Getty Imagesमछली मारने की वजह से यह कछुआ तेजी से घटने लगा. अटलांटिक में पाया जाने वाला खास तरह का कछुआ सभी कछुओं से बड़ा होता है. इसका भोजन मछलियां हैं, जो लगातार घटती जा रही हैं. ऊपर से समुद्र में फैलते प्लास्टिक भी यह गलती से खा ले रहा है, जिससे इसकी मौत हो रही है.
तस्वीर: DW/R.Graçaवियतनाम और आस पास के देशों में बकरी जैसा यह जानवर अभी भी पाया जाता है. 2010 में लाओस में गांववालों ने एक साओला को पकड़ लिया, लेकिन जब तक वन अधिकारी पहुंचते, इसने दम तोड़ दिया. हालांकि 2013 में पता चला कि वियतनाम के जंगल में अभी भी साओला बचे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaदो साल पहले तक सुमात्रा हाथी को खतरे से ’बुरी तरह खतरे’ वाली प्रजाति में डाल दिया गया. क्योंकि पिछले 20 साल में इसकी आधी आबादी गुल हो गई. यह मानव हाथी के बीच संघर्ष का नतीजा था. सुमात्रा में पिछले 25 साल में 70 फीसदी सुमात्रा हाथी लुप्त हो गए.
तस्वीर: picture-alliance/dpaयह इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर खास तौर पर पाया जाता है. 2008 की गणना के मुताबिक दुनिया में 441 और 679 से अधिक ऐसे बाघ नहीं पाए जाते हैं. इसके पड़ोसी बाली और जावा टाइगर पहले ही लुप्त हो चुके हैं. बंगाल टाइगर भी खतरे में है.
तस्वीर: picture alliance/dpaकुछ व्हेल और कुछ कुछ डॉल्फिन से मिलता जुलता यह मछलीनुमा जानवर आम तौर पर चीन की यांगसे नदी में पाया जाता है. वैसे यह भारत, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, चीन और जापान में भी मिलता है. लेकिन ताजा रिपोर्टें बता रही हैं कि इनकी संख्या लगातार गिरती जा रही है.
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