यूरो 2016 फुटबॉल मुकाबले के दौरान फ्रांस को दहलाने का मंसूबा नाकाम हुआ. यूक्रेन की पुलिस ने फ्रांस के उग्र दक्षिणपंथी को गिरफ्तार किया. उसके पास हथियारों का जखीरा मिला.
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यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी का दावा है कि संदिग्ध उग्र दक्षिणपंथी यूरो 2016 के दौरान बड़े हमले करने की फिराक में था. यूरोप की शरणार्थी नीति से बेहद नाराज संदिग्ध के पास से 125 किलोग्राम बारूद, 100 डेटोनेटर, कुछ ग्रेनेड लॉन्चर और सैकड़ों कारतूस बरामद हुए हैं. सिक्योरिटी सर्विस (एसबीयू) के चीफ वासिल ग्रिटसाक के मुताबिक 25 साल का दक्षिणपंथी कई जगहों पर मस्जिदों, यहूदी सिनेगॉग, टैक्स सेवाओं से जुड़े संगठन और सार्वजनिक परिवहन को निशाना बनाना चाहता था.
ग्रिटसाक के मुताबिक संदिग्ध ने 21 मई को यूक्रेन की सीमा पार कर पोलैंड में दाखिल होने की कोशिश की, तभी उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पोलैंड में दाखिल होने के बाद संदिग्ध को रोक पाना बहुत मुश्किल होता. पोलैंड यूरोपीय संघ का सदस्य है और वीजा मुक्त शेनेगन जोन में आता है. संदिग्ध पर बीते साल दिसंबर से नजर रखी जा रही थी. तब एसबीयू को खबर मिली थी कि "एक फ्रांसीसी नागरिक पूर्वी यूक्रेन में कई रूस समर्थकों से संपर्क बनाना चाह रहा है." वह पूर्वी यूक्रेन के हिंसाग्रस्त इलाके में सक्रिय गुटों से हथियार पाना चाहता था.
लेकिन संदिग्ध ने इतने बड़े पैमाने पर हथियार और विस्फोटक जुटाए कैसे, यह सवाल अभी बना हुआ है. वासिल ग्रिटसाक के मुताबिक, "फ्रांसीसी नागरिक ने कुछ लोगों को कई हजार यूरो देने की पेशकश भी की, वह यूक्रेन की नागरिकता लेना चाहता था ताकि जखीरे को आसानी से यूरोप पहुंचाया जा सके." यूक्रेन ने रूसी खुफिया एजेंसी पर फ्रांसीसी संदिग्ध की मदद करने का आरोप लगाया है. यूक्रेन और रूस के संबंध अप्रैल 2014 से लेकर अब तक खराब हैं. यूक्रेन से क्रीमिया के अलग होने के बाद भी पूर्वी यूक्रेन में तनाव की स्थिति बनी हुई है. कीव का आरोप है कि मॉस्को रूसी खुफिया एजेंसी पूर्वी यूक्रेन के विद्रोहियों को मदद लेकर देश की संप्रभुता से खेल रही है. मॉस्को इन आरोपों से इनकार करता रहा है.
यूरोप पर हुए आतंकवादी प्रहार
इस्लामी कट्टरपंथी एक दशक से भी ज्यादा समय से पूरे यूरोपीय महाद्वीप को निशाना बनाते आ रहे हैं. तस्वीरों में देखिए कब क्या हुआ...
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Christians
फिर निशाने पर पेरिस
शुक्रवार, 13 नवंबर पेरिस के लिए काला दिन बन गया. बंदूकधारी और आत्मघाती हमलावरों ने शहर के आम जनजीवन से जुड़े कई ठिकानों जैसे स्टेडियम, कैफे, रेस्तरां और कॉन्सर्ट हॉल को निशाना बनाया. इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली, जिसमें 129 लोगों की जान चली गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Christians
आजादी पर हमला
शार्ली एब्दॉ पर हमले को दुनिया भर में अभिव्यक्ति और प्रेस की स्वतंत्रता पर एक हमला माना जा रहा है. यूरोप समेत विश्व के कई देशों में मीडिया, राजनेताओं और आम लोगों ने इस आतंकी वारदात की कड़ी निंदा की है. चित्र में दिख रहे पत्रिका के संपादक को हमलावरों ने 7 जनवरी को किए अपने हमले में मौत के घाट उतार दिया. वह यूरोप में साहसी लेखन की मिसाल बन चुके एक निडर सेनानी थे.
तस्वीर: Reuters/J. Naegelen
जनवरी 2015, पेरिस
सबसे ताजा हमले में पेरिस की प्रसिद्ध व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ के कार्यालय पर हथियारों से लैस आतंकियों ने हमला बोला और कई पत्रकारों, कार्टूनिस्टों को निशाना बनाया. इन अपराधियों को पकड़ने की कोशिशें जारी हैं और अभी तक किसी भी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने इसे "बर्बरता का असाधारण कृत्य" बताया है.
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images
मई और सितंबर 2014, ब्रसेल्स
24 मई को ब्रसेल्स के मशहूर यहूदी संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर हुई गोलीबारी में चार लोग मारे गए. इसी साल सितम्बर में ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय संघ आयोग के मुख्यालय पर भी हमला करने की एक नाकाम कोशिश हुई थी.
तस्वीर: Reuters
नवंबर 2011, पेरिस
फ्रेंच पत्रिका शार्ली एब्दॉ 2011 में आतंकी हमले का शिकार बनी. कुछ अज्ञात हमलावरों ने पत्रिका के संपादकीय कार्यालय में एक कॉकटेल बम फेंका था. पत्रिका इस्लामी मामलों पर टिप्पणियां और कार्टून प्रकाशित कर रही थी जिसे कई लोग पसंद नहीं करते थे. हमले के बाद फिर से पत्रिका के कार्यालय को पुलिस संरक्षण देना पड़ा.
तस्वीर: picture-alliance/abaca
सितंबर 2005, डेनमार्क
30 सितंबर को डेनिश अखबार जाइलांड्स ने इस्लामी मान्यताओं से जुड़े बारह कार्टून प्रकाशित किए. उनमें से एक कार्टून में पैगंबर मोहम्मद के सिर पर पगड़ी की जगह बम रखा दिखाया गया था. इस चित्र के विरोध में दुनिया भर में खूनी विरोध प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में ऐसे कार्टून प्रकाशित करने वाली पेरिस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दॉ की भी सुरक्षा बढ़ानी पड़ी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जुलाई 2005, लंदन
इसे ब्रिटेन के इतिहास में सबसे गंभीर इस्लामी आतंकवादी हमला माना जाता है. लंदन की तीन मेट्रो रेलों और एक बस में आत्मघाती हमले हुए, जिनमें 52 लोगों की जान गयी और 150 घायल हुए. चार में से तीन आतंकवादी पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक थे और चौथा जमैका मूल का. इन सबने अपने बैग में बम रखे थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. MacDiarmid
मार्च 2004, मैड्रिड
स्पेन के इतिहास में दर्ज हुए इस सबसे बड़े आतंकवादी हमले में 191 लोग मारे गए और 1,800 से ज्यादा घायल हुए. अलग अलग रेलगाड़ियों में कई बम रखे गए थे. इस घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों को पकड़ लिया गया और सभी दोषियों को मिलाकर 43,000 साल के कारावास की सजा सुनाई गई.
तस्वीर: AP
नवंबर 2003, इस्तांबुल
पांच दिनों के अंदर तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामी आतंकवादियों ने कई हमले किए. इसमें 58 लोगों की मौत हो गई और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए. प्रार्थनागृह के सामने, ब्रिटिश बैंक और वाणिज्य दूतावास पर भी हुए थे हमले. आरोपी आतंकवादियों को 2007 में दोषी ठहराया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
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फ्रांसीसी अधिकारियों ने फिलहाल संदिग्ध की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि संदिग्ध पूर्वी फ्रांस के एक कृषि सहकारी संगठन का कर्मचारी है. उसे जानने वाले किसान ने बताया कि संदिग्ध अक्सर यूक्रेन जाया करता था. संदिग्ध का नाम बताने से इनकार करने वाले किसान ने कहा, "वह हमसे कहता था कि उसकी गर्लफ्रेंड यूक्रेन में है और वह समय समय पर उससे मिलने वहां जाता है." दूसरे लोगों ने भी उसकी गिरफ्तारी पर हैरानी जताई है. सहकर्मी और दोस्तों के मुताबिक वह शानदार कर्मचारी और बेहद खुशमिजाज किस्म का शख्स है.
वहीं फ्रांस की पुलिस ने भी संदिग्ध के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. पेरिस में नवंबर 2015 में हुए आतंकवादी हमले के बाद से अब तक फ्रांस में इमरजेंसी लगी हुई है. फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद स्वीकार कर चुके हैं कि यूरो 2016 के दौरान सुरक्षा एक बड़ा मसला है. हालांकि उन्होंने यूरो 2016 को सफल बनाने के लिए हर संभव कदम उठाने का वादा किया है. 24 यूरोपीय देशों का यह फुटबॉल टूर्नामेंट 10 जून से शुरू हो रहा है.