फ्रांस पर भड़के रूस और अफ्रीकी संघ
१ जुलाई २०११रूस ने फ्रांस के रुख संयुक्त राष्ट्र के फैसले को 'अशिष्ट उल्लंघन' करार दिया है. मॉस्को में रूस के विदेश मंत्री सेरगई लावरोव ने कहा, "अगर रिपोर्टें सच हैं तो यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1970 का बहुत अशिष्ट ढंग से उल्लंघन है."
अफ्रीकी संघ ने भी फ्रांस के कदम की आलोचना की है. संघ के प्रमुख जीन पिंग ने आशंका जताई कि विद्रोहियों को हथियार देने से गृह युद्ध भड़क सकता है, "गृह युद्ध का जोखिम है. देश के बंटवारे का जोखिम है. देश में 'सोमालिया स्टेशन' का खतरा है. आतंकवाद के खतरे के बीच हर जगह हथियार हैं. इससे पड़ोसी देशों के लिए भी जोखिम की स्थिति पैदा हो रही है."
इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही है कि फ्रांस ने ट्यूनीशियाई विद्रोहियों को भी हथियार दिए. फ्रांसीसी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक ट्यूनीशिया के विद्रोहियों को फ्रांस ने हल्की हथियारबंद कारें दीं. फ्रांस ने अपने सहयोगी देशों को इसकी जानकारी भी नहीं दी.
अमेरिका और फ्रांस का इनकार
अमेरिका और फ्रांस ऐसा नहीं मान रहे हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा, "हमने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1970 और 1973 को साथ में पढ़ा है. लीबियाई विद्रोहियों को रक्षा सामग्री देने के संबंध में इनमें कोई विशेष जिक्र नहीं है. हम आदरपूर्वक रूस के आंकलन से अहमत हैं."
फ्रांस ने बुधवार को पहली बार स्वीकार किया कि उसने विमानों के जरिए लीबियाई विद्रोहियों को हथियार मुहैया कराए. फ्रांस नाटो का पहला ऐसा देश है जिसने माना कि लीबियाई शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के 41 साल के राज को खत्म करने के लिए उसने विद्रोहियों को हथियार दिए.
फ्रांस का कहना है कि उसने आम लोगों की रक्षा की खातिर विद्रोहियों को हथियार मुहैया कराए हैं. संयुक्त राष्ट्र में फ्रांस के दूत गेरार्ड अराउड ने कहा, "मैं यह कह सकता हूं कि हथियारों की डिलीवरी प्रस्ताव 1973 के अनु्च्छेद 4 के तहत आती है. इसके मुताबिक हमले के खतरे के मद्देनजर आम नागरिकों और रिहायशी इलाकों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकते है."
लीबिया पर फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की अगुवाई में तीन महीने से हवाई हमले हो रहे हैं. पश्चिमी देशों का कहना है कि हवाई हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक गद्दाफी की सत्ता ढह नहीं जाती. फिलहाल विद्रोही नाटो के हवाई हमलों की आड़ में राजधानी त्रिपोली की तरफ धीरे धीरे बढ़ रहे हैं. राजधानी से विद्रोही करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया