जांच एजेंसियों को फ्रांस के नीस में हमला करने के लिए जिस व्यक्ति पर संदेह है वो बस कुछ ही दिनों पहले ट्यूनीशिया से आया था. पुलिस ने उसे गोली मार दी थी और अब उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है.
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फ्रांस के प्रमुख आतंक-विरोधी प्रॉजीक्यूटर जौं फ्रॉनसोआ रिकार्ड ने पत्रकारों को बताया कि ट्यूनीशिया में जन्मा 21 वर्ष संदिग्ध यूरोप में 20 सितंबर को इटली के लाम्पेदूसा टापू पर आया था, जो अफ्रीका से यूरोप आने वाले आप्रवासियों का मुख्य ठिकाना है. उसके बाद उसे इटली के रेड क्रॉस की तरफ से एक प्रमाण पत्र दिया गया था. यूरोप की किसी भी सुरक्षा एजेंसी को उससे किसी खतरे का आभास नहीं हुआ था.
फ्रांस के शहर नीस में वो हमले वाले दिन की सुबह ही पहुंचा था. शहर में उसने नोट्रे डैम चर्च में "अल्लाहू अकबर" के नारे लगाते हुए छुरी से लोगों पर हमला किया, जिसमें तीन लोग मारे गए. हमलावर ने उनमें से एक का तो सर धड़ से लगभग अलग ही कर दिया था.
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इसे "इस्लामिस्ट आतंकवादी हमला" बताया है और कहा है कि फ्रांस पर देश के मूल्यों की वजह से हमला हुआ है जिसके तहत देश में सबको अपनी अपनी मान्यताओं में विश्वास करने की आजादी है. उन्होंने जोर दे कर कहा, "हम किसी भी तरह का समर्पण नहीं करेंगे."
गुरूवार का दिन फ्रांस और माक्रों के लिए मुश्किल भरा रहा. देश के दक्षिणी शहर अविनियों के पास मोन्फावे में बंदूक लिए एक व्यक्ति द्वारा पुलिस को धमकाने के बाद पुलिस ने उसे मार गिराया. दूसरी तरफ सऊदी अरब के जेद्दा में फ्रांस के दूतावास पर भी हमला हुआ, जिसमें दूतावास का एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया.
माक्रों पर हमले
सऊदी अरब जैसे कई मुस्लिम बहुल देशों में माक्रों के उस बयान के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें उन्होंने इस्लामिस्ट आतंकवाद की बात की थी और पैगम्बर मुहम्मद के कार्टूनों को छापने का समर्थन किया था. तुर्की, पाकिस्तान और सऊदी अरब की सरकारों द्वारा इस बयान की आलोचना के बाद, गुरूवार को मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथीर मुहम्मद ने भी माक्रों की आलोचना की और उन्हें "असभ्य" और "रूढ़िवादी" बताया.
मुहम्मद के बयान पर भी विवाद उत्पन्न हो गया है क्योंकि उन्होंने ट्विट्टर पर लिखा की मुसलमानों को अधिकार है कि वो इतिहास में फ्रांस के लोगों द्वारा किए गए नरसंहारों के लिए उन्हें मारें, लेकिन वो ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि वो "आंख के बदले आंख" की नीति में विश्वास नहीं करते हैं. उनके इस बयान की भी बहुत आलोचना हुई और उन पर नीस के आतंकी हमले को उचित ठहराने के आरोप लगे. ट्विट्टर ने उनके ट्वीटों को हटा दिया है.
पैगंबर के कार्टून पर इस्लामी देश और फ्रांस आमने-सामने
फ्रांस के राष्ट्रपति के इस्लाम पर दिए बयान की अरब देशों के साथ कई एशियाई देशों में कड़ी आलोचना की जा रही है. बड़ी संख्या में मुस्लाम उनके बयान की निंदा कर रहे हैं. अब फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार भी शुरू हो गया है.
तस्वीर: Teba Sadiq/Reuters
मुसलमानों में नाराजगी
मंगलवार, 27 अक्टूबर को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक बड़ी रैली का आयोजन हुआ. फ्रांस के खिलाफ हुई रैली में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया और कहा जा रहा है कि यह फ्रांस विरोधी अब तक की सबसे बड़ी रैली है. पैगंबर मोहम्मद के कार्टून बनाने के बाद शिक्षक की हत्या और उसके बाद माक्रों के इस्लाम को लेकर बयान से मुसलमान नाराज हैं.
तस्वीर: Suvra Kanti Das/Zumapress/picture alliance
देशों में गुस्सा
सीरिया और लीबिया में लोगों ने सड़क पर उतर कर माक्रों की तस्वीर जलाई और फ्रांस के झंडे आगे के हवाले कर दिए. इराक, पाकिस्तान, कतर, कुवैत और अन्य खाड़ी देशों में फ्रांस में बने उत्पादों का बहिष्कार हो रहा है. अरब देशों में फ्रांस के उत्पाद खासकर मेकअप आइटम काफी लोकप्रिय हैं.
तस्वीर: Suvra Kanti Das/Zumapress/picture alliance
माक्रों ने क्या कहा था?
पेरिस के सोबोन यूनवर्सिटी में पिछले दिनों इतिहास और समाजशास्त्र के शिक्षक सैमुएल पैटी को श्रद्धांजलि देते हुए माक्रों ने कहा था फ्रांस कार्टून और तस्वीर बनाने से पीछे नहीं हटेगा. माक्रों ने अपने बयान में कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना की थी. माक्रों ने कहा था, "इस्लामवादी हमसे हमारा भविष्य छीनना चाहते हैं, हम कार्टून और चित्र बनाना नहीं छोड़ेंगे."
तस्वीर: Francois Mori/Pool/Reuters
अरब देशों की प्रतिक्रिया
माक्रों ने कहा था कि इस्लाम "संकट" में है और इसके बाद अरब देश ही नहीं बड़ी आबादी वाले मुस्लिम देश माक्रों से बेहद नाराज हो गए. सबसे पहले तुर्की ने माक्रों के बयान की निंदा की. तुर्क राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान ने तो यहां तक कह डाला था कि माक्रों को "मानसिक जांच" की जरूरत है. सऊदी अरब और ईरान के नेताओं ने भी माक्रों के बयान की निंदा की है.
तस्वीर: Adel Hana/AP Photo/picture-alliance
फ्रांस के उत्पादों का बहिष्कार
कतर में कुछ दुकानदारों ने कहा है कि वे फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार का समर्थन करते हैं. इसके साथ ही इस्लाम को मानने वाले ट्विटर पर पैगंबर मोहम्मद के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं और माक्रों के कार्टून छापने पर दिए गए बयान की निंदा कर रहे हैं.
तस्वीर: Hani Mohammed/AP Photo/picture-alliance
पाकिस्तान और तुर्की
माक्रों के खिलाफ सबसे पहले एर्दोवान ने तीखे बयान दिए और उसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्विटर के माध्यम से माक्रों की आलोचना की थी और कहा था कि माक्रों को संयम से काम लेते हुए कट्टरपंथियों को दरकिनार करने की रणनीति पर काम करना चाहिए.
कार्टून विवाद और उसके बाद बयानबाजी के बीच फ्रांस के समर्थन में यूरोपीय देश खड़े हैं. जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स, ग्रीस ने फ्रांस का समर्थन किया है. जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने एर्दोवान द्वारा माक्रों पर निजी टिप्पणी की आलोचना की है.
तस्वीर: Damien Meyer/AFP/Getty Images
शार्ली एब्दो पर एर्दोवान !
फ्रांस की व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो ने एक ट्वीट में कहा है कि पत्रिका के अगले संस्करण में राष्ट्रपति एर्दोवान का कार्टून कवर पेज पर छपेगा. अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पश्चिमी देशों और एर्दोवान के बीच अभिव्यक्ति की आजादी पर जुबानी जंग और तेज होगी.