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आतंकवाद

ट्यूनीशिया से आया था फ्रांस का हमलावर

चारु कार्तिकेय
३० अक्टूबर २०२०

जांच एजेंसियों को फ्रांस के नीस में हमला करने के लिए जिस व्यक्ति पर संदेह है वो बस कुछ ही दिनों पहले ट्यूनीशिया से आया था. पुलिस ने उसे गोली मार दी थी और अब उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है.

Frankreich Nizza | Messerattacke | Ermittlungen
तस्वीर: Serge Haouzi/Xinhua/picture alliance

फ्रांस के प्रमुख आतंक-विरोधी प्रॉजीक्यूटर जौं फ्रॉनसोआ रिकार्ड ने पत्रकारों को बताया कि ट्यूनीशिया में जन्मा 21 वर्ष संदिग्ध यूरोप में 20 सितंबर को इटली के लाम्पेदूसा टापू पर आया था, जो अफ्रीका से यूरोप आने वाले आप्रवासियों का मुख्य ठिकाना है. उसके बाद उसे इटली के रेड क्रॉस की तरफ से एक प्रमाण पत्र दिया गया था. यूरोप की किसी भी सुरक्षा एजेंसी को उससे किसी खतरे का आभास नहीं हुआ था.

फ्रांस के शहर नीस में वो हमले वाले दिन की सुबह ही पहुंचा था. शहर में उसने नोट्रे डैम चर्च में "अल्लाहू अकबर" के नारे लगाते हुए छुरी से लोगों पर हमला किया, जिसमें तीन लोग मारे गए. हमलावर ने उनमें से एक का तो सर धड़ से लगभग अलग ही कर दिया था.

राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इसे "इस्लामिस्ट आतंकवादी हमला" बताया है और कहा है कि फ्रांस पर देश के मूल्यों की वजह से हमला हुआ है जिसके तहत देश में सबको अपनी अपनी मान्यताओं में विश्वास करने की आजादी है. उन्होंने जोर दे कर कहा, "हम किसी भी तरह का समर्पण नहीं करेंगे."

नीस में नोट्रे डैम चर्च में हुए हमले के बाद चर्च के बाहर प्रार्थना करती हुई एक महिला.तस्वीर: Daniel Cole/AP/picture alliance

गुरूवार का दिन फ्रांस और माक्रों के लिए मुश्किल भरा रहा. देश के दक्षिणी शहर अविनियों के पास मोन्फावे में बंदूक लिए एक व्यक्ति द्वारा पुलिस को धमकाने के बाद पुलिस ने उसे मार गिराया. दूसरी तरफ सऊदी अरब के जेद्दा में फ्रांस के दूतावास पर भी हमला हुआ, जिसमें दूतावास का एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया.

माक्रों पर हमले

सऊदी अरब जैसे कई मुस्लिम बहुल देशों में माक्रों के उस बयान के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें उन्होंने इस्लामिस्ट आतंकवाद की बात की थी और पैगम्बर मुहम्मद के कार्टूनों को  छापने का समर्थन किया था. तुर्की, पाकिस्तान और सऊदी अरब की सरकारों द्वारा इस बयान की आलोचना के बाद, गुरूवार को मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथीर मुहम्मद ने भी माक्रों की आलोचना की और उन्हें "असभ्य" और "रूढ़िवादी" बताया. 

कई मुस्लिम बहुल देशों में माक्रों के बयान के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.तस्वीर: Fatemeh Bahrami/picture alliance / AA

मुहम्मद के बयान पर भी विवाद उत्पन्न हो गया है क्योंकि उन्होंने ट्विट्टर पर लिखा की मुसलमानों को अधिकार है कि वो इतिहास में फ्रांस के लोगों द्वारा किए गए नरसंहारों के लिए उन्हें मारें, लेकिन वो ऐसा नहीं करते हैं क्योंकि वो "आंख के बदले आंख" की नीति में विश्वास नहीं करते हैं. उनके इस बयान की भी बहुत आलोचना हुई और उन पर नीस के आतंकी हमले को उचित ठहराने के आरोप लगे. ट्विट्टर ने उनके ट्वीटों को हटा दिया है.

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