फ्रांस में 2017 के दौरान धूम्रपान करने वालों की संख्या दस लाख कम हो गई. फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि पेरिस के बहुत से लोग भी इस आदत को अलविदा कह रहे हैं.
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फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 2017 के दौरान फ्रांस में धूम्रपान करने वालों की संख्या में एक साल पहले के मुकाबले दस लाख की कमी आई है. फ्रांस में रोजाना धूम्रपान करने वालों की संख्या 2016 में कुल आबादी का 29.4 प्रतिशत थी, जो 2017 में घटकर 26.9 प्रतिशत रह गई है.
फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2016 में तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए एक खास पहल शुरू की थी जिसका असर होता दिख रहा है. कम आमदनी वाले और बेरोजगार लोगों के बीच भी सिगरेट की लत कम हो रही है.
देखिए सिगरेट आपकी सेहत के साथ क्या करती है..
पुरुषों में धूम्रपान छोड़ने वालों में सबसे ज्यादा 18 से 24 साल की उम्र के बीच लोग हैं जबकि महिलाओं में 55 से 64 वर्ष आयु वर्ग में सबसे ज्यादा कमी देखी गई है. इन दोनों श्रेणियों में क्रमशः 9 और 3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
लोगों की धूम्रपान की आदत को छुड़ाने के लिए फ्रांस के अधिकारियों ने एक एप, हॉटलाइन और इंफॉर्मेशन सर्विस बनाई हैं. फ्रांस की पब्लिक हेल्थ एजेंसी के निदेशक फ्रांसुआ बोरदिलो का कहना है, "इस ऐतिहासिक गिरावट से साबित होता है कि अगर मिलजुल कर प्रयास किए जाएं तो धूम्रपान के खिलाफ लड़ना संभव है."
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल तंबाकू के इस्तेमाल से 60 लाख लोग मारे जाते हैं. डब्ल्यूएचओ का कहना है, "तंबाकू की महामारी दुनिया भर के लोगों की सेहत के लिए मौजूद सबसे बड़े खतरों में से एक है."
लुईस सैंडर्स/एके
सिगरेट के छल्लों में उड़ गए 1.4 ट्रिलियन डॉलर
धूम्रपान सेहत के लिए ही खतरनाक नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था पर भी इसकी बड़ी मार पड़ रही है. WHO और अमेरिकन कैंसर सोसायटी का कहना है कि धूम्रपान की वजह से विश्व अर्थव्यवस्था को 2012 में 1.4 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ.
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बड़ी चपत
जानकारों का कहना है कि दुनिया की जी़डीपी का दो फीसदी हिस्सा धूम्रपान की भेंट चढ़ रहा है. इनमें एक तरफ बीमारियों का इलाज और अस्पतालों की सुविधा पर होने वाला खर्च है तो दूसरी तरफ बीमारी या मौत की वजह से होने वाला कामकाज का नुकसान है.
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तंबाकू महामारी
टोबैको कंट्रोल जर्नल में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, "दुनिया धूम्रपान की बड़ी आर्थिक कीमत चुका रही है, खासकर यूरोप और उत्तर अमेरिका में तंबाकू नाम की यह महामारी बहुत आगे बढ़ गई है."
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लगाम लगानी होगी
स्टडी के मुताबिक, धूम्रपान से होने वाले नुकसान के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस पर तत्काल लगाम लगाना कितना जरूरी है. और इसके लिए नियमों को और सख्त करना होगा.
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व्यापक अध्ययन
इस रिपोर्ट में 152 देशों से जमा जानकारी को शामिल किया गया है, जिसमें अफ्रीका, अमेरिका, लैटिन अमेरिका, पूर्वी भूमध्यासागर क्षेत्र, यूरोप, दक्षिणपूर्व एशिया और पश्चिमी प्रशांत इलाका शामिल हैं. साथ ही संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के आंकड़े भी इसमें शामिल किए गए हैं.
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21 लाख मौतें
रिपोर्ट कहती है कि 2012 में 30-69 साल के वर्ग में हुई सभी मौतों में से 12 प्रतिशत यानी 21 लाख मौतें धूम्रपान से होने वाली बीमारियों के चलते हुईं. सबसे ज्यादा मौतें यूरोप और अमेरिका-लैटिन अमेरिका में हुईं.
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सेकंड हैंड स्मोक
इस रिपोर्ट में सेकंड हैंड स्मोक यानी किसी दूसरे के धूम्रपान करने से होने होने वाले नुकसान को शामिल नहीं किया गया है. तंबाकू चबाने को भी शामिल नहीं किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक सेकंड हैंड स्मोक से दुनिया भर में हर साल साठ लाख मौतें होती हैं.
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कैसे निपटें
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि तंबाकू लोगों की सेहत के लिए सबसे बड़े खतरों में शामिल है और इस पर टैक्स लगाकर इससे बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है.
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मोटी कमाई
डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट के अनुसार, दुनिया में सिर्फ 33 देशों ने अब तक तंबाकू उत्पादों पर टैक्स लगाए हैं. तंबाकू से मिलने वाला राजस्व उसे नियंत्रित करने पर खर्चे जाने वाली राशि से 269 गुना ज्यादा है.