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फ्रांस में पेंशन की उम्र बढ़ाने का तीखा विरोध

८ सितम्बर २०१०

फ्रांस में 10 लाख से ज्यादा की लोगों ने सड़कों पर निकल कर सरकार की नई पेंशन योजना का विरोध किया. नई पेंशन योजना में रिटायरमेंट की उम्र 62 साल करने का प्रस्ताव है और यह राष्ट्रपति के सुधार कार्यक्रम का अहम हिस्सा है.

तस्वीर: AP

आज़ादी, समानता, और भाईचारे की मांग में नारे लिखी तख्तियां हाथों में उठाए लोग मंगलवार को फ्रांस की सड़कों पर निकल पड़े. चमकीले कपड़ों में सजे ट्रेड यूनियन के नेता और उनके समर्थकों ने राजधानी पैरिस के पूर्वी हिस्से से पैलेस डे ला रिपब्लिक की तरफ मार्च करना शुरु किया. विरोधियों का रेला इतनी ज्यादा बड़ा हो गया कि आयोजकों को इसे दो हिस्से में बांटना पड़ा. पैरिस के साथ पूरे देश फिजा में विरोध प्रदर्शनों की आवाजें गूंजती रही. सरकारी आंकड़ों में 12 लाख और विरोध करने वालों के मुताबिक 25 लाख लोग पूरे फ्रांस अपना विरोध दर्ज कराने सड़कों पर निकले.

फ्रांस के दक्षिणी राज्यों में तो विरोधी काफी उग्र थे लेकिन राजधानी और दूसरे इलाकों में मजदूरों ने शांति से प्रदर्शन किया. स्कूल, कॉलेज, रेल सेवा और घरेलू उड़ान सेवाओं पर हड़ताल ने बुरा असर डाला. लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ा. मजदूर यूनियनों का कहना है कि मंगलवार के विरोध प्रदर्शन को देखने के बाद सरकार को अपने फैसले पर फिर सोचना पड़ेगा.

देश भर में हुए प्रदर्शनतस्वीर: AP

राष्ट्रपति निकोला सारकोजी की नई पेंशन योजना के विरोध में मजदूर संगठनों ने लोगों को विरोध प्रदर्शन में बुलाया था.हालांकि सरकार पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रही है. राष्ट्रपति ने अपनी पार्टी के सांसदों से कहा दिया है कि उन्हें नई पेंशन योजना लागू करने के फैसले पर टिके रहना है. सरकार ने इस योजना का बिल संसद में पेश भी कर दिया है. सरकार के मंत्रियों ने भी लोगों के विरोध प्रदर्शनों को ठंडा करने की कोई कोशिश नहीं की उल्टा वो यही कहते रहे कि देश के लिए सुधार कार्यक्रम जरूरी हैं.

नई योजना में पेंशन पाने की उम्र 60 से बढ़ाकर 62 साल करने की तैयारी है. सरकार का कहना है कि इस एक कदम के जरिए वो सरकारी घाटे को 8 फीसदी तक कम करने में कामयाब हो जाएगी. यूरोजोन के देशों की सरकारों को बजट घाटा 3 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य दिया गया है. सरकार का ये भी कहना है कि यूरोजोन के बाकी देशों में भी रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई गई है और कई देशों में तो ये 65 और 67 साल तक है.

संसद में भी इस मुद्दे पर माहौल गर्म रहा. विपक्षी पार्टियां और सारकोजी के दक्षिणपंथी समर्थक इस बिल के विरोध में हैं. हालांकि बिल पेश होने के बाद जल्दी ही संसद की कार्रवाई स्थगित कर दी गई.

मजदूर संठनों ने इसी साल जून में भी ऐसा ही प्रदर्शन किया था तब सरकार के मुताबिक 8 लाख लोग विरोध करने सड़कों पर उतरे थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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