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समाज

वापस हो लूटी हुई कलाकृतियां

२७ नवम्बर २०१८

विशेषज्ञों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि फ्रांस अफ्रीका से लूटी हुई कलाकृतियां को उन्हें वापस लौटाए. ये कलाकृतियां कई फ्रेंच संग्रहालयों में रखी गई हैं. क्या और देश भी ऐसा करेंगे?

Museum für außereuropäische Kunst Quai Branly
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Glaubitz

नक्काशीदार सिंहासन, दरवाजे, आध्यात्मिक संदेश देने वाली लकड़ी की मूर्तियां - अफ्रीका की ऐसी कई कलाकृतियां अब वापस लौटाई जा सकती हैं. फ्रेंच राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों अपने देश के औपनिवेशिक इतिहास को स्वीकारते हुए आगे बढ़ने को तैयार हैं. वे फ्रांस के संग्रहालयों में रखे गे ये नायाब खजाने लौटाने जा रहे हैं.

सेनेगल से लेकर इथियोपिया तक - कलाकार, सरकारें और संग्रहालय बेसब्री से फ्रांस के इस फैसले का इंतजार कर रहे थे. फ्रेंच आर्ट हिस्टोरियन बेनेडिक्ट सेवॉय और सेनेगनी अर्थशास्त्री फेल्विने सार की इस रिपोर्ट को खुद राष्ट्रपति माक्रों ने कमीशन किया था.

विशेषज्ञों की राय है कि फ्रेंच संग्रहालय से उन चीजों को वापस कर देना चाहिए, जो बिना अनुमति के लाई गई थीं. अफ्रीकी देश इस बारे में यूरोप के अन्य देशों के संग्रहालयों पर भी दबाव बढ़ा रहे हैं.

विशेषज्ञों का अनुमान है कि अफ्रीकी कला का करीब 90 फीसदी हिस्सा अफ्रीका के बाहर ही है. इनमें से कई कीमती पत्थर, राजगद्दी, पांडुलिपियां जैसी हजारों चीजें पेरिस के एक संग्रहालय के ब्रॉन्ली म्युजियम में रखी हैं. यह 2006 में यूरोप के बाहर की कला को दिखाने के लिए खोला गया था. डाहोमी राज यानी आज के पश्चिमी अफ्रीकी देश बेनिन की कई कीमती चीजें, 19वीं सदी के राजा घेजो का लकड़ी और धातु का राजसिंहासन और भी कई विवादास्पद चीजें यहां रखी गई हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Julien

सेनेगल के संस्कृति मंत्री कहते हैं, "अफ्रीका को उसकी कला लौटाया जाना पूरी तरह तर्कसंगत होगा. जिन स्थितियों में इसे ले जाया गया था, वे तब भले ही वैध हों, आज की तारीख में अवैध हैं."

फ्रांस की यह रिपोर्ट इसे लौटाए जाने की दिशा में पहला कदम है. अगली चुनौती इसके प्रस्तावों को लागू करने की होगी, जिसमें संग्रहालयों की ओर से कड़ा विरोध देखने के मिल सकता है. उसके बाद यह साबित करना भी टेढ़ी खीर हो सकता है कि उन्हें जबरन लाया गया था.

इसके पहले जर्मनी से भी नाजीकाल के दौरान लूटी हुई कला को लौटाने की पहल की जा चुकी है. इसी साल मई में जर्मन संस्था जर्मन लॉस्ट आर्ट फाउंडेशन ने कहा था कि वह एक ऐसा कार्यक्रम शुरु करने जा रही है, जिसमें लूटी हुई चीजों के उद्गम के बारे में शोध किया जाएगा. ब्रिटेन पर भी दबाव है कि वह अपने उपनिवेशों से लूटी हुई चीजें लौटाए. भारत की ओर से कोहिनूर हीरे को लौटाने के लिए भी काफी सालों से प्रयास चल रहा है.    

आरपी/आईबी (एपी)

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