अमेरिका के मिनियापोलिस में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के मामले में पूर्व पुलिसकर्मी डेरेक शॉविन को सभी आरोपों में दोषी पाया गया है. फैसले पर देश में अश्वेत लोगों के बीच राहत, जीत की खुशी और भविष्य के लिए उम्मीद का माहौल है.
तस्वीर: ADREES LATIF/REUTERS
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जॉर्ज फ्लॉयड हत्या मामले में पूर्व पुलिसकर्मी डेरेक शॉविन को अपराधी ठहराए जाने के जूरी के फैसले को जैसे ही लाउडस्पीकर पर सुनाया गया, मिनियापोलिस की उस अदालत के बाहर जुटी भीड़ में खुशी और राहत की लहर दौड़ गई. फैसले को सुनने के लिए 200 से भी ज्यादा लोग जमा हुए थे. जैसे ही मेगाफोन पर एक व्यक्ति ने शॉविन के "तीनों आरोपों में दोषी" पाए जाने की घोषणा की, भीड़ में कई चेहरों पर आंसू लुढ़क गए. उस व्यक्ति ने आगे कहा, "आज हम अपने शहर को मिले न्याय का जश्न मना रहे हैं."
जमा हुए लोगों को बेहतर तरह से देख पाने के लिए कंक्रीट के एक चबूतरे पर खड़े 28 साल के लेविड मैक ने कहा, "मुझे विश्वास नहीं हो रहा...दोषी." उन्हें शॉविन के दोषी पाए जाने की उम्मीद नहीं थी. भीड़ में से एक महिला निकली और इतनी भाव-विभोर हो गई कि कुछ बोल नहीं पाई और अपने एक दोस्त की बाहों में गिर गई. आंखों में आंसू लिए हुए एक और महिला एम्बर यंग ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "अब जा कर हम सांस लेना शुरू कर सकते हैं." यंग ने आगे कहा, "यह साल इतना दर्दनाक रहा है, मैं उम्मीद कर रही हूं की अब घाव भरने शुरू होंगे."
दोषी पाए जाने के बाद हथकड़ियों में एक पुलिस अफसर के साथ जाते हुए पूर्व पुलिसकर्मी डेरेक शॉविन.तस्वीर: via REUTERS
शहर में सुरक्षा की चिंता
करीब एक दर्जन लोग मुट्ठियां भींच हवा में हाथ ऊपर उठा कर, "ब्लैक पावर! ब्लैक पावर!" चिल्ला रहे थे. अदालत के बाहर की सड़क को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था. जैसे जैसे गाड़ियों को वापस मुड़ने को कहा जा रहा था, जाते जाते कई गाड़ी वाले भीड़ के समर्थन में अपनी गाड़ियों के हॉर्न बजाते हुए जा रहे थे. पिछले साल फ्लॉयड की हत्या के बाद भारी विरोध प्रदर्शन देख चुके इस शहर में पिछले कुछ हफ्तों से फिर तनाव बढ़ रहा था.
नेशनल गार्ड के सिपाही शहर में गश्त लगा रहे थे और अधिकतर दुकानदारों ने अपने सामान की रक्षा के लिए दुकानों के बाहर लकड़ी के बड़े बड़े पल्ले लगा दिए थे. अदालत के इर्द गिर्द भी बख्तरबंद गाड़ियां तैनात थीं, कंक्रीट की दीवारें खड़ी की गई थीं और 10 फुट ऊंची लोहे की बाड़ भी लगाई गई थी.
अमेरिका के 'जमीर पर धब्बा'
मामले में अदालत का फैसला आने के बाद कई लोग बहुत भावुक हो गए.तस्वीर: Carlos Barria/REUTERS
फैसले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने टीवी पर राष्ट्र के नाम संबोधन दिया जिसमें उन्होंने व्यवस्थित नस्लवाद को अमेरिका के 'जमीर पर धब्बा' बताया. उन्होंने कहा कि "व्यवस्थित नस्लवाद और हमारी न्यायिक व्यवस्था में मौजूद नस्लीय भेदभाव का सामने से मुकाबला करना होगा." उनके साथ खड़ीं अमेरिका की पहली अश्वेत उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने उनसे पहले भाषण दिया और न्याय मिलने पर देश में 'राहत' के एहसास को अभिव्यक्त किया.
कमला हैरिस ने यह भी कहा कि यह फैसला फ्लॉयड की हत्या के "दर्द को कम" नहीं कर सकता. उन्होंने कहा, "न्याय का एक टुकड़ा पूर्ण न्याय नहीं होता. इस फैसले से हम एक कदम और करीब जरूर पहुंचे हैं, लेकिन अभी हमें और काम करना है. हमें अभी भी व्यवस्था को और सुधारना है."
सीके/एमजे (एएफपी)
जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर दुनिया भर में प्रदर्शन
अमेरिका में अश्वेतों के साथ बर्ताव पर दुनियाभर में प्रदर्शन हो रहे हैं. जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पर अमेरिका से लेकर यूरोप तक लोग विरोध में उतर आए हैं. इन प्रदर्शनों में लोग "मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं" के नारे लगा रहे हैं.
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अश्वेत की मौत
अमेरिका में अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद दुनिया के कई शहरों में लोग विरोध जताते हुए सड़कों पर उतर आए हैं. अमेरिका के कई शहरों के अलावा, लंदन, बर्लिन, टोरंटो में विरोध हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी तख्तियों पर "ब्लैक लाइव्स मैटर" के नारे लिख कर अमेरिकी पुलिस की क्रूरता का विरोध कर रहे हैं.
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व्हाइट हाउस के बाहर विरोध
फ्लॉयड की हिरासत में मौत के बाद पिछले छह दिनों से अमेरिका में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. मिनेसोटा के मिनेपोलिस में पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने के दौरान फ्लॉयड सांस नहीं ले पा रहे थे. हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद अमेरिका के कम से कम 40 शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. 15 राज्यों और वॉशिंगटन में नेशनल गार्ड की तैनाती की गई है. प्रदर्शनकारी व्हाइट हाउस के बाहर तक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
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बर्लिन में फ्लॉयड की याद में
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में जॉर्ज फ्लॉयड की याद में दीवार पर एक बड़ी सी पेंटिंग बनाई गई है. फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के विरोध में शनिवार को बर्लिन में हजारों लोगों ने अमेरिकी दूतावास के बाहर मार्च निकाला.
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लंदन में विरोध
लंदन में भी रविवार को बड़े पैमाने पर लोग विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुए और नस्लवाद के खिलाफ नारेबाजी की. कुछ प्रदर्शनकारी बेहद भावुक दिखे. कुछ लोगों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थी जिसपर लिखा था नस्लवाद महामारी है.
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"मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं"
कोरोना वायरस महामारी के बीच भी लोग अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं. कुछ लोग वायरस से बचने के लिए लगाए जाने वाले मास्क पहने दिख रहे हैं जिन पर "मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं" लिखा हुआ है.
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फ्लॉयड के शहर में हिंसा
जॉर्ज फ्लॉयड मिनेसोटा के मिनेपोलिस में रहते थे, उनकी मौत के बाद से वहां हिंसा का दौर जारी है. स्टोर में लूटपाट और आगजनी की घटनाए दर्ज की जा रही हैं. राज्य के गवर्नर ने लोगों से संयम बरतने को कहा है.
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नेशनल गार्ड तैनात
अमेरिका के कई राज्यों में हिंसा, आगजनी और लूटपाट की घटनाओं के बाद नेशनल गार्ड की तैनाती की गई है. फ्लॉयड की मौत के आरोपी पुलिस अधिकारी पर कोर्ट में सुनवाई शुरू हो रही है.
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कौन थे जॉर्ज फ्लॉयड
46 साल के जॉर्ज फ्लॉयड एक साधारण इंसान थे. वह अफ्रीकी मूल के थे और एक रेस्तरां में गार्ड का काम करते थे. 25 मई की शाम उनकी पुलिस हिरासत में मौत हो गई और उसके बाद दुनिया भर में अश्वेतों के साथ पुलिस बर्ताव को लेकर नई बहस छिड़ गई.