पश्चिम बंगाल में दो-दिवसीय बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट की कामयाबी शुरू होने से पहले ही सवालों के घेरे में है. वजह यह है कि अबकी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत कोई भी केंद्रीय मंत्री इसमें हिस्सा नहीं ले रहा है.
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केंद्र सरकार के प्रमुख प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के अलावा जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर हाल में हुई हिंसा भी सम्मेलन पर असर डाल रही है. इसी सप्ताह कोलकाता से सटे दक्षिण 24-परगना जिले में एक बिजली परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर हुई हिंसा में दो लोग मारे जा चुके हैं. इस घटना और खासकर नोटबंदी के बाद केंद्र के साथ राज्य सरकार के संबंधों में बढ़ी खाई का असर निवेशकों पर होना तय है. हालांकि सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कर रहे हैं.
नोटबंदी का साया
इस सम्मेलन के आयोजन का यह तीसरा साल है. इससे पहले हुए दोनों सम्मेलनों में अरुण जेटली के अलावा कई केंद्रीय मंत्री न सिर्फ हिस्सा लेते रहे हैं बल्कि इसी मंच से करोड़ों की नई परियोजनाओं का भी एलान करते रहे हैं.
बीते साल ऐसे सम्मेलन के बाद भी मुख्यमंत्री ने ढाई लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश का प्रस्ताव मिलने का दावा किया था. उन्होंने निवेशकों को शांत व सकारात्मक माहौल मुहैया कराने का भी भरोसा दिया था. जेटली के नहीं आने के पीछे दलील दी गई है कि वह बजट की तैयारियों में बेहद व्यस्त हैं. लेकिन असली वजह एक खुला रहस्य है.
देखिए सिंगूर में क्या क्या हुआ
सिंगूर में क्या क्या हुआ
सिंगूर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किसानों को जमीन वापस होगी. ममता बनर्जी की राजनीतिक जीत में यह मुद्दा एक अहम पड़ाव रहा है. कब क्या हुआ सिंगूर में.
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नैनो का ऐलान
2008 में भारत की कार निर्माता कंपनी टाटा ने लखटकिया कार नैनो बाजार में उतारने का ऐलान किया. ये खबर दुनिया भर में सुर्खी बनी. नैनो को बनाने के लिए कंपनी ने पश्चिम बंगाल के सिगूंर में फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई.
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1000 एकड़
इसके लिए पश्चिम बंगाल की तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार ने खेती की एक हजार एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया और उसे टाटा को सौंप दिया गया.
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जोर जबर्दस्ती
लेकिन जल्द ही आरोप लगने लगे कि सरकार ने जबरदस्ती किसानों की जमीन ली है जबकि सरकार का कहना था कि राज्य की बदहाल अर्थव्यवस्था पटरी पर लाने के लिए निवेश और उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है.
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नैनो की ना
ये मामला उपजाऊ जमीन लेकर उसे प्राइवेट कंपनी को दिए जाने का था. इसलिए जल्द ही इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है और ये एक बड़ा मुद्दा बन गया. आखिरकार टाटा को अपनी फैक्ट्री गुजरात के साणंद ले जानी पड़ी.
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ममता की एंट्री
सिंगूर लोगों को उनकी जमीन वापस दिलाने के वादे ने ममता बनर्जी को नई राजनीतिक ताकत दी. 2011 के राज्य विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने वो कर दिखाया जो अब तक कोई नहीं कर पाया. उन्होंने पश्चिम बंगाल में 1977 से राज कर रहे वाममोर्चा को सत्ता से बाहर कर दिया.
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जीत पर जीत
इसी साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव में फिर शानदार जीत दर्ज की. अब ममता बनर्जी कह रही है लेकिन लोगों को जमीन लौटाने का काम शुरू कर उन्होंने अपना वादा निभाया है. लेकिन साथ ही उन्होंने टाटा और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनी को भी राज्य में आने का न्यौता दिया है.
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नोटबंदी के बाद जिस तरह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कड़वाहट बढ़ी है उसमें जेटली के आने की उम्मीद पहले से ही कम थी. वैसे, पहले जेटली ने इस सम्मेलन का न्योता कबूल कर लिया था. लेकिन प्रदेश बीजेपी नेतृत्व ने केंद्रीय नेतृत्व को समझाया कि मौजूदा हालात में जेटली के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ एक मंच पर आने से पार्टी के कार्यकर्ताओं और राज्य के लोगों में गलत संदेश जाएगा. यही वजह है कि जेटली ने आखिरी मौके पर आने से मना कर दिया. यह बात इससे भी साफ होती है कि जेटली भले बजट की तैयारियों में व्यस्त हों लेकिन बाकी मंत्री तो आ ही सकते थे.
भूअधिग्रहण पर संशय
सिंगुर मामले पर बीते दिनों आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भी निवेशकों का असमंजस बढ़ा दिया है. उद्योग जगत का कहना है कि जब सरकार की ओर से अधिगृहीत जमीन भी सुरक्षित नहीं है तो निजी तौर पर अधिगृहीत जमीन का भविष्य कितना सुरक्षित होगा? ममता कहती रही हैं कि निवेश के लिए उद्योगों को निजी तौर पर जमीन का अधिग्रहण करना होगा. अदालती फैसले के बाद सिंगुर की जमीन टाटा के हाथों से निकल गई है. सिंगुर परियोजना में निवेश किए गए करोड़ों रुपए डूब गए हैं. यह मामला संभावित निवेशकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.
जब कोलकाता में उतरा सिनेमा, देखिए
कोलकाता में उतरा सिनेमा
20वां कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव सोमवार को शुरू हुआ. इस बार महोत्सव में 60 देशों की फिल्में पहुंची हैं. महोत्सव की अहम झलकियां.
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अमिताभ से आगाज
महानायक अमिताभ बच्चन ने महोत्सव का उद्घाटन किया. इस मौके पर अपने भाषण की बांग्ला से शुरुआत करते हुए उन्होंने भारतीय सिनेमा में महिलाओं की भूमिका और स्थिति का विस्तार से जिक्र किया.
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एक मंच पर कई सितारे
समारोह में अमिताभ के पूरे परिवार के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बंगाल के ब्रांड अंबेसडर शाहरुख खान, अभिनेता इरफान खान, अमोल पालेकर और तनुजा के अलावा आस्ट्रेलियाई फिल्मकार पाल काक्स भी मौजूद थे.
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फोकस महिला निर्देशकों के काम पर
17 नवंबर तक चलने वाले इस फिल्मोत्सव में 13 बांग्ला फिल्मों समेत कुल 31 भारतीय फिल्में दिखाई जाएंगी. गोल्डेन रायल बंगाल टाइगर ट्राफी के लिए 15 महिला निदेशकों की फिल्मों के बीच कड़ी होड़ रहेगी.
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137 फिल्में
यह महोत्सव इस साल से प्रतियोगी हो गया है और इस बार यह दुनिया भर के महिला निर्देशकों पर केंद्रित है.
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खास पहचान
कोलकाता के अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल की सिनेमा जगत में खास पहचान है. हर साल यहां फिल्म उ्दयोग में संजीदा समझे जाने वाले लोग जुटते हैं. 2013 में यहां कमल हासन भी पहुंचे.
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मेजबान शाहरुख
बॉलीवुड में किंग खान के नाम से मशहूर शाहरुख खान कोलकाता फिल्म फेस्टिवल के आयोजकों में से एक है. कोलकाता नाइटराइडर्स टीम के सह मालिक शाहरुख शहर में आने का मौका नहीं चूकते हैं.
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सत्ता में आने के बाद से ही ममता बनर्जी विदशी निवेश आकर्षित करने के लिए विदेशों का दौरा करती रही हैं. अपने आखिरी दौरे में वह इटली और जर्मनी जाकर खासकर ऑटोमोबाइल उद्योग को बंगाल में निवेश के लिए आकर्षित करने का प्रयास किया था. लेकिन अब तक उसमें कोई कामयाबी नहीं मिली है.
इससे पहले आयोजित ऐसे दो निवेशक सम्मेलनों के बाद हजारों करोड़ के निवेश के दावे के बावजूद हकीकत यह है कि उनमें से ज्यादातर निवेश प्रस्ताव अब भी फाइलों में बंद है. बीते छह वर्षों के दौरान राज्य में कोई बड़ा निवेश नहीं हो सका है. यही वजह है कि अबकी बदले हालात में इस सम्मेलन की कामयाबी पर सवाल उठने लगे हैं.
संशय के बादल
आखिर ममता के जर्मन दौरे से राज्य को कितना फायदा हुआ? वित्त मंत्री अमित मित्र कहते हैं, "कई जर्मन कंपनियों ने राज्य में निवेश की इच्छा जताई है. कई प्रस्तावों को शीघ्र अमली जामा पहनाया जाएगा." वह कहते हैं कि जहां तक जमीन की उपलब्धता का सवाल है सरकार के पास लैंड बैंक में हजारों एकड़ जमीन है.
इससे निवेशकों को जमीन अधिग्रहण की समस्याओं से नहीं जूझना होगा. सम्मेलन में इस साल बांग्लादेश के अलावा चीन, रूस, पोलैंड, कोरिया और जर्मनी के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल हिस्सा ले रहे हैं. यहां पहुंचे जर्मन प्रांत नार्थ राइन-वेस्टफेलिया के उप वित्तमंत्री डा. गुंथर होरसेत्सकी कहते हैं, "जर्मन कंपनियां हड़बड़ी में निवेश का फैसला नहीं लेतीं. हम बंगाल में निवेश के विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रहे हैं."
मिलिए बंगाल की शेरनी से: मार्गरिटा मामुन
बंगाल की शेरनी: मार्गरिटा मामुन
चाहे हाथ में बॉल हो, रिबन हो या फिर स्टिक्स, रिदमिक जिमनास्टिक के कोर्ट पर जब मार्गरिटा मामुन उतरती हैं तो सबकी नजरें उन पर टिक जाती हैं. मिलिये बंगाल टाइग्रेस रिटा मामुन से.
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पिता बांग्लादेशी
मार्गरिटा को रिटा नाम से जाना जाता है. रूस में पैदा हुई रिटा के पिता अब्दुल्लाह अल मामुन बांग्लादेश के हैं और मरीन इंजीनियर हैं, जबकि मां अना रूसी हैं.
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शुरुआत
सात साल की उम्र में रिटा ने रिदमिक जिमनास्टिक की ट्रेनिंग लेनी शुरू की और आज वह रूस की अहम खिलाड़ी हैं. पहली नवंबर 1995 को पैदा हुई रिटा लंबी मेहनत के बाद इस जगह पर पहुंची हैं.
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पारंगत
जूनियर के तौर पर बांग्लादेश का और फिर सिनियर श्रेणी में रूस का प्रतिनिधित्व करने वाली मार्गरिटा रिदमिक जिमनास्टिक की हर विधा में पारंगत हैं.
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लचीली और आकर्षक
चाहे हाथ में रिबन हो, बॉल हो, रिंग या फिर स्टिक्स. मार्गरिटा ताल और लय में डूबी रहती हैं और साथ ही विधा के लिए जरूरी हर कलाबाजी को शानदार ढंग से पेश करती हैं. उनकी पहली बड़ी जीत रूस की ऑल अराउंड चैंपियनशिप 2011 में रही.
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कड़ी मेहनत
2011 में ही मॉन्ट्रियाल वर्ल्ड कप में रीटा ने ऑल अराउंड विधा में कांस्य पदक जीता. प्रैक्टिस के दौरान बैले की सारी मूवमेंट के अलावा पैर की अंगुलियां मोड़ कर उस पर चलने का अभ्यास वह वीडियो में करती दिखाई देती हैं.
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जर्मनी में
मार्च 2014 में श्टुटगार्ट में हुई प्रतियोगिता के दौरान रिटा ने अलग अलग विधाओं में तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीता.
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बंगाल टाइगर
उनकी कोच इरीना वाइनर कहती हैं कि मामून बंगाल टाइगर हैं. दुनिया भर की कई प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी 18 साल की रिटा रिदमिक जिमनास्टिक में तेजी से उभरता नाम है.
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मुश्किल कला
बैले, योग, कलाबाजी और नृत्य के अद्भुत मेल का नाम है रिदमिक जिमनास्टिक. बैले की शालीनता जहां इसके लिए जरूरी है वहीं शरीर का अति लचीला होना भी इसकी एक जरूरत है.
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ऑल अराउंड
रिटा की खासियत है कि वह रिदमिक जिमनास्टिक की हर विधा में शानदार प्रदर्शन करती हैं. और उनका यही लाजवाब प्रदर्शन 2014 के दौरान जर्मनी के श्टुटगार्ट में भी देखने को मिला.
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कई फैन
मार्गरिटा मामुन के फैंस ने उनके लिए फेसबुक पेज बनाया है. फैंस उन्हें इंस्टाग्राम पर भी फॉलो करते हैं.
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राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि खासकर विदेशी निवेशक कोई बड़ा फैसला करने से पहले संबंधित राज्य के औद्योगिक माहौल के साथ ही राज्य-केंद्र संबंधों के पहलू पर भी विचार करते हैं. मौजूदा दौर में इन संबंधों के बीच आई कड़वाहट किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में ममता के लिए निवेशकों को बंगाल में निवेश पर राजी करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
पर्यवेक्षकों का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद ममता अब तक सिंगुर आंदोलन के साए से नहीं उबर सकी हैं. यही ऑटोमोबाइल उद्योग के क्षेत्र में निवेश की राह में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही है. उद्योग जगत का कहना है कि ऐसे किसी निवेश सम्मेलन में मिले निवेश प्रस्तावों और असली निवेश में भारी फर्क होता है. अब यह तो बाद में ही पता चलेगा कि प्रतिकूल हालातों में ममता इस फर्क को पाटने में कामयाब हो पाती हैं या नहीं.